श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के सांसद और नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता आगा रूहुल्लाह मेहदी रिजर्वेशन पॉलिसी को लेकर उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ सोमवार को श्रीनगर में विरोध प्रदर्शन करेंगे.
रूहुल्लाह का विरोध प्रदर्शन जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में लागू किए गए आरक्षण नियमों की समीक्षा के लिए कैबिनेट उप-समिति के गठन के हफ्तों बाद होने जा रहा है.
रूहुल्लाह ने पिछले महीने घोषणा की थी कि अगर सरकार जम्मू-कश्मीर के छात्रों और लोगों द्वारा उठाए गए मुद्दों का समाधान नहीं करती है तो वह आरक्षण नीति को लेकर एनसी सरकार के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करेंगे.
Today marks the date I had committed to stand with those whose voices demand rationality in the reservation policy. In my response to a post on X (Twitter) by a concerned citizen, I urged everyone to wait until 22nd December to give the elected government time to address this…
— Ruhullah Mehdi (@RuhullahMehdi) December 22, 2024
मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास के बाहर विरोध
एनसी सांसद ने कहा कि वह सोमवार को दोपहर 2 बजे राजधानी गुपकार में मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे. पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर कई नेटिजन्स रूहुल्लाह को उनके 22 दिसंबर के विरोध प्रदर्शन की याद दिला रहे हैं. उन्होंने अब उनसे सोमवार को उनके विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए कहा है.
'मैं अपनी प्रतिबद्धता पर कायम हूं'
रूहुल्लाह ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "जो लोग मानते हैं कि इस मुद्दे को संतोषजनक तरीके से संबोधित नहीं किया गया है. मैं अपनी प्रतिबद्धता पर कायम हूं. कल, मैं लोगों के साथ शांतिपूर्ण और सम्मानजनक तरीके से सरकार से उनके मुद्दों पर जवाब मांगने की कोशिश करूंगा. मैं स्वेच्छा से आने वाले सभी लोगों से अनुरोध करता हूं कि वे शिष्टाचार बनाए रखें और तर्कसंगत आरक्षण नीति के लिए वास्तविक मांगों को उठाने पर ध्यान केंद्रित करें."
उन्होंने कहा कि जो लोग राजनीतिक लाभ के लिए इस मुद्दे का फायदा उठाना चाहते हैं. मैं उनका कल बाहर निकलने और बयानबाजी से दूर रहने का स्वागत करता हूं. अपनी ईमानदारी वहां दिखाएं जहां यह मायने रखता है-सड़कों पर.
बता दें कि 2020 में गृह मंत्रालय द्वारा संशोधित आरक्षण नियमों को केंद्र शासित प्रदेश में सामान्य श्रेणी की आबादी भेदभावपूर्ण मानती है. उमर के नेतृत्व वाली सरकार के सामने कई मुद्दे हैं, जिनमें आरक्षण भी शामिल है, भले ही उसने इसकी समीक्षा के लिए एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया हो. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने घोषणापत्र में आरक्षण की समीक्षा करने का वादा किया है. आरक्षण नियमों के खिलाफ जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर की गई है.
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