जबलपुर। लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व चुनावी महाकुंभ का आगाज हो गया है. पहले चरण के लिए प्रत्याशियों ने नामांकन भी जमा कर दिए हैं. वहीं कई प्रत्याशी अलग-अलग तरह से प्रचार भी कर रहे हैं. ऐसे में जबलपुर लोकसभा क्षेत्र से एक ऐसा प्रत्याशी मैदान उतरा है. जो ना वोट मांगने घर-घर जाता है और ना चुनाव प्रचार में पैसे खर्च करता है. जबलपुर सीट से चुनाव मैदान में उतरे एक उम्मीदवार ने न केवल अपना नाम अनोखा रख लिया है, बल्कि उसका एजेंडा भी अलग है. इस प्रत्याशी का नाम कबीर के दोहे से लिया ढाई अक्षर है. उन्होंने साफ कर दिया है कि वे वोट मांगने किसी के दरवाजे पर नहीं जाएंगे. लोकतंत्र की जगह बाय प्रेम तंत्र की स्थापना करने जा रहे हैं.
बिना वोट मांगे चुनाव लड़ेंगे ढाई अक्षर
दरअसल, जबलपुर लोकसभा सीट पर अपना नामांकन दाखिल करने वाले ढाई अक्षर उर्फ राकेश सोनकर अपने नाम से ही नहीं काम से भी अनोखे है. ढाई अक्षर अपने जीवन काल का 13वां चुनाव लड़ रहे है. यानी कि ढाई अक्षर अभी तक 6 विधानसभा, 6 लोकसभा और एक महापौर का चुनाव लड़ चुके हैं. ढाई अक्षर अभी तक के सभी चुनाव में अपनी जमानत जब्त करवा चुके हैं, लेकिन उन्हें इसकी परवाह नहीं है. उन्होंने कहा दिया है कि न तो वोट मांगेंगे और न ही नोट. जिसकी मर्जी होगी, वह उनको वोट देगा और जिसकी नहीं होगी वह वोट नहीं देगा. इसके साथ ही ढाई अक्षर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का चुनाव डायरेक्ट करने की मांग करते हैं. इस बार लोकसभा चुनाव में उतरे ढाई अक्षर उर्फ राकेश सोनकर को चुनाव चिन्ह भी ऑटो मिला है. इसलिए वह ऑटो चालकों से मेल मुलाकात बढ़ा रहे हैं.
लोकतंत्र की जगह प्रेम तंत्र की करना चाहते हैं स्थापना
ढाई अक्षर का कहना है कि 'वह लोकतंत्र की जगह प्रेम तंत्र की स्थापना करेंगे और नोट तंत्र को खत्म करेंगे. ढाई अक्षर का कहना है कि वह देश के अंदर ना वोट ना नोट का सिद्धांत लागू करने के लिए उन्होंने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है. इसके साथ ही आचार संहिता लगने के बाद किसी भी प्रत्याशी के चुनाव प्रचार प्रसार के लिए पैसे खर्च ना करें, चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी को 5 साल जनता की सेवा करनी चाहिए और इसके बाद उसको चुनाव लड़ना चाहिए. जनता खुद घरों से निकल कर उस प्रत्याशी को वोट करेगी, लेकिन वर्तमान में देश के यह हालात है की वोट दे नोट लो चल रहा है. इसलिए वह किसी के घर वोट मांगने के लिए नहीं जाते.'