जबलपुर। राज्य सरकार ने भू-राजस्व संहिता में परिवर्तन किया है. इसके तहत ग्राम पंचायत क्षेत्र में हरे पेड़ों को काटने की अनुमति का अधिकार पंचायत को दिया गया है. पहले इसकी अनुमति तहसीलदार के पास थी. जबलपुर में पर्यावरण क्षेत्र में काम करने वाली संस्था नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच का कहना है कि इस नियम का बेजा दुरुपयोग हो रहा है और इसकी वजह से बड़े पैमाने पर निजी स्वार्थ के लिए पेड़ों को काटा जा रहा है. नियम में यह परिवर्तन प्रकृति के लिए घातक है और उन्होंने मांग की है कि इस नियम को बदला जाए.
जबलपुर की 4 ग्राम पंचायतों ने सैकड़ों पेड़ कटवाए
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने सूचना अधिकार के तहत यह जानकारी निकाली कि बीते एक महीने में केवल जबलपुर की चार पंचायतों ने सैकड़ों पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी. नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के संरक्षक डॉ. पीजी नाज पांडे ने बताया कि जबलपुर के बोरलॉग इंस्टिट्यूट में एक प्रशासनिक भवन बनाने के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों को काटा जा रहा था, जब इस बात की जानकारी नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच को मिली तो वे लोग मौके पर पहुंचे. उन्होंने देखा कि एक प्रशासनिक भवन बनाने के लिए संस्थान एक हरे भरे जंगल को काट रहा है. जब संस्था ने बोरलॉग इंस्टिट्यूट के प्रबंधन से इसकी जानकारी मांगी तो उन्होंने बताया कि उन्हें पेड़ काटने की अनुमति ग्राम पंचायत ने दी है.
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पहले ये अधिकार तहसीलदार के पास था
दरअसल, मध्य प्रदेश की भू राजस्व संहिता में पहले यह अनुमति तहसीलदार दिया करते थे. इसके लिए बाकायदा तहसीलदार कोर्ट में आवेदन लगाना होता था और काफी सुनवाई के बाद बहुत जरूरी होता था. तभी पेड़ों को काटने की अनुमति दी जाती थी लेकिन जनवरी 2023 में भू रजिस्ट्रेशन संहिता में एक संशोधन किया गया और तहसीलदार की जगह अब यह अधिकार ग्राम पंचायत को दिए गए हैं. इसलिए लोगों ने बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की है. यदि सरकारी यह नियम नहीं बदलता है तो मजबूरन संस्था को इस मामले में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा.