पटना : बिहार की पटना हाई कोर्ट ने बिहार कैडर के आईपीएस अमित लोढ़ा की क्रिमिनल रिट याचिका को ख़ारिज कर दिया है. यही नहीं पटना उच्च न्यायालय ने उनके ख़िलाफ़ दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में दर्ज प्राथमिकी को खारिज करने से भी इनकार कर दिया है. पटना हाई कोर्ट के जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने जांच एजेंसी 'स्पेशल विजलेंस यूनिट' यानी 'SUV' को छह महीने के भीतर अनुसंधान को तार्किक अंत तक ले जाने का निर्देश दिया है.
स्पेशल विजलेंस यूनिट करेगी जांच : उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जांच निष्पक्ष होनी चाहिए. अनुसंधान में याचिकाकर्ता आवश्यकता पड़ने पर जांच एजेंसी के साथ सहयोग करने के लिए बाध्य होंगे. आईपीएस अमित लोढ़ा पर आरोप है कि उन्होंने तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक, मगध रेंज, गया में अपनी पोस्टिंग के बाद से ही फ्राइडे स्टोरी टेलर एलएलपी और अन्य के साथ मिलकर आपराधिक साजिश को आगे बढ़ाने और अवैध रूप से निजी व्यापार में शामिल होकर अवैध रूप से कमाई की.
ड्यूटी में रहकर अवैध कमाई का मामला : उन पर आरोप है कि उन्होंने 7 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति अर्जित की है. जबकि सभी कानूनी स्रोतों से उसकी कुल आय बिना किसी कटौती के 2 करोड़ से अधिक नहीं होनी चाहिए. गौरतलब है कि एक वेब सीरीज 'खाकी': 'द बिहार चैप्टर' बनी थी, जिसे अमित लोढ़ा के जीवन पर अधारित बताया गया. इसे लेकर उन पर लोक सेवा आयोग अधिनियम के उल्लंघन का आरोप लगाया गया.
क्या है विवाद : अमित लोढ़ा ने एक किताब लिखा थी, 'बिहार डायरी'. ये किताब साल 2017 में प्रकाशित हुई थी. इसी किताब को NETFLIX और फ्राइडे स्टोरी टेलर ने मिलकर 'खाकी': द बिहार चैप्टर वेब सीरीज बना डाली. ये सीरीज नेटफ्लिक्स पर 25 नवंबर 2022 को रिलीज हुई थी. इसके खिलाफ शिकायत मिलने पर स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने उनके खिलाफ FIR भी दर्ज की. फिलहाल अब इस मामले में अमित लोढ़ा के खिलाफ जांच करने के लिए पटना हाई कोर्ट की ओर से छह महीने का समय दिया गया है.
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