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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस : युवा महिला सरपंच ने पेश की अनोखी मिशाल, गांव वालों की सेवा के लिए छोड़ दिया अपने विदेश जाने का सपना - International Womens Day 2024

खेड़ी की युवा महिला सरपंच जिसने पढ़ाई तो विदेश जाने के सपने को पूरा करने के लिए की,लेकिन कोरोना काल में उपजे गांव के हालातों के बाद उसने वहीं रह कर उनकी सेवा करने का फैसला किया. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर मिलिए जयपुर से 45 किलोमीटर दूर के खेड़ी ग्राम पंचायत की युवा सरपंच ऐश्वर्या सिंह राठौड़ से. Etv भारत की इस ख़ास रिपोर्ट में सुनिए ऐश्वर्या की कहानी उसकी जुबानी.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 8, 2024, 6:35 AM IST

Updated : Mar 8, 2024, 11:13 AM IST

युवा सरपंच ऐश्वर्या सिंह राठौड़ से खास बातचीत

जयपुर. राजनीति समाज के जरूरतमंद को सेवा उपलब्ध का माध्यम होती है साथ ही गरीब, जरूरतमंद, मजबूर को सहायता उपलब्ध कराने का एक बड़ा सशक्त माध्यम भी है. राजनीति के मंच से ऐसे भाषण आपने बहुत सुने होंगे, लेकिन बहुत कम होते हैं जो दूसरों के लिए अपने सपने को पीछे छोड़ दे और मिसाल पेश करें. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आज आप को मिलाते है एक ऐसी ही युवा सरपंच से जिसने अपनी माटी, अपने लोगों की सेवा के लिए विदेश जाने के सपने को भी छोड़ दिया.

जयपुर से 45 किलोमीटर दूर के खेड़ी ग्राम पंचायत की युवा सरपंच ऐश्वर्या सिंह राठौड़ जिसने मूलभूत सुविधाओं से महरूम गांव की सेवा के लिए चार साल पहले जर्मन कोर्स को बीच में छोड़ सरपंच पद का चुनाव लड़ने का फैसला लिया. ऐश्वर्या ने इस कार्यकाल में न केवल अपने गांव बल्कि ग्राम पंचायत में किए गए कार्यों से दशा और दिशा बदल कर ये साबित कर दिया की परिवार और समाज का नाम विदेश जाने से रोशन नहीं होता बल्कि मिट्टी में रह कर अपने लोगों की सेवा से भी होता है.

पढ़ें: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2024 : भारत की टॉप 10 सबसे अमीर महिलाएं

कोरोना ने दिखाई नई राह : ऐश्वर्या सिंह राठौड़ कहती हैं कि बच्चपन जयपुर में गुजरा, शुरू से मन में था विदेश जाना है , ऐसे में कॉलेज शिक्षा पूरी होने के साथ पुणे जर्मन लैंग्वेज कोर्स को लेकर पढाई शुरू की, दो साल के कोर्स की पढाई चल रही रही थी की कोरोना कहर सामने आ गया. कॉलेज बंद हुए तो परिवार वालों के साथ अपने गांव खेड़ी चले गए, ये पहला ऐसा मौका था जब गांव में इतने लम्बे समय तक रहे , इससे पहले जब भी जाते एक दो दिन में वापस आ जाते, लेकिन इस बार न केवल गावं में रहे बल्कि लोगों से सम्पर्क बढ़ा, ख़ास कर महिलाओं से मिलना उनके बारे में समझने का मौका मिला. स्कूली बच्चों से मिले तब लगा की आजादी के इतने साल बाद भी राजधानी से महज 45 किलोमीटर दूर होने के बाद भी महिलाओं को दूर दूर से सर पर पानी लाना पड़ता है. बच्चों के लिए अच्छी स्कूल की बिल्डिंग नहीं है. तब मन में ख्याल आया कि क्यों न अपने लोगों के बीच रह कर इनकी सेवा की जाए, इसी दौरान ग्राम पंचायत के चुनाव की घोषणा हो गई, खेड़ी ग्राम पंचायत के लिए महिला सीट रिजर्व हुई. तब पहली बार पापा से बात करने पर समझ आया कि सरपंच बन कर लोगों की सेवा की जा सकती है, उन्हें वो सुविधा उपलब्ध कराइ जा सकती है, जिसकी उन्हें जरूरत भी है और वो उसकी लिए हकदार भी है.

पढ़ें: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2024 : ये हैं सबसे अधिक ताकतवर और प्रभावशाली महिला पॉलिटिशियंस

बालिका शिक्षा और महिलाओं पर किया फोकस : ऐश्वर्या कहती हैं सरपंच का चुनाव बड़े मार्जिन से जीता, लोगों ने भरपूर समर्थन दिया तो जिम्मेदारी भी बढ़ गई थी.इस लिए सबसे पहले बालिका शिक्षा और महिलाओं पर फ़ोकस किया. सबसे पहले सफाई अभियान की शुरूआत की, उसके बाद में महिलाओं के लिए शौचालय बनाने का अभियान चलाया, सरकार की योजनाओं के जरिये हर घर मे शौचालय बना कर हर दिन महिलाओं को होने वाली शर्मिंदगी से राहत दिलाई. इसके बाद स्कूल भजन जो जर्जर हो गया था उसका जीर्णोद्धार कराया. आज सरकारी स्कूल में अच्छी संख्या में बच्चों के साथ बालिकाएं भी शिक्षा ले रही है. इसके बाद जो सबसे महत्वपूर्ण और चुनौतियों वाला काम था वो था गांव के साथ छोटी छोटी ढाणियों तक पानी पहुंचाना था, इसके लिए जल जीवन मिशन योजना से ग्राम पंचायत को जोड़ा और अतिरिक्त पाइपलाइन के जरिये घर घर नल से जल पहुंचाने का काम किया.

युवा महिला सरपंच ने पेश की अनोखी मिशाल
युवा महिला सरपंच ने पेश की अनोखी मिशाल

पढ़ें: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2024 : जानिए भारत की 10 महिला खिलाड़ियों के संघर्ष और सफलता की कहानी

वाटर हार्वेस्टिंग से जोड़ा : ऐश्वर्या सिंह कहती है कि खेड़ी ग्राम पंचायत में लगातार वाटर लेवल गिर रहा है. इस समस्या को देखते हुए भागीरथी फाउंडेशन के सहयोग से गांव में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए काम शुरू किया. इसमें 300 टांके बनाने की स्वीकृति मिली जिसमें से अब तक 75 घरों में टांके बनाये जा चुके है. जिससे बारिश का पानी व्यर्थ नही बहता. ऐश्वर्या ने कहा 4 साल के कार्यकाल में अपनी तरफ से बेहतर काम करने की कोशिश की और अभी 1 साल और बचा है तो तब तक मेरे जितने भी काम पेंडिंग है मैं उनको पूरा प्रयास करके उन्हें भी पूरा करूंगी.

हर महिला और बच्ची की सपने देखना चाहिए: महिला दिवस पर ऐश्वर्या ने महिलाओं और बच्चियों से कहा कि वो सपने देखें जो कुछ वो करना चाहती है. उसे पूरा करने के लिए खुद को खड़ा होना चाहिए और पैरेंट्स को इस बात को देखना चाहिए कि लड़के और लड़कियों में कोई फर्क नही है. बेटियों भी वो सब कर सकती जो एक लड़का कर सकता है. ऐश्वर्या ने अपना उदाहरण देते हुए कहा हम तीन बहने , भाई नहीं है, लेकिन फिर भी आप देख लीजिए हम तीनों बहने मिल कर गांव के लोगों की हर सम्भव सेवा कर रही हैं. लड़कियां आजकल हर चीज में आगे हैं.

युवा सरपंच ऐश्वर्या सिंह राठौड़ से खास बातचीत

जयपुर. राजनीति समाज के जरूरतमंद को सेवा उपलब्ध का माध्यम होती है साथ ही गरीब, जरूरतमंद, मजबूर को सहायता उपलब्ध कराने का एक बड़ा सशक्त माध्यम भी है. राजनीति के मंच से ऐसे भाषण आपने बहुत सुने होंगे, लेकिन बहुत कम होते हैं जो दूसरों के लिए अपने सपने को पीछे छोड़ दे और मिसाल पेश करें. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आज आप को मिलाते है एक ऐसी ही युवा सरपंच से जिसने अपनी माटी, अपने लोगों की सेवा के लिए विदेश जाने के सपने को भी छोड़ दिया.

जयपुर से 45 किलोमीटर दूर के खेड़ी ग्राम पंचायत की युवा सरपंच ऐश्वर्या सिंह राठौड़ जिसने मूलभूत सुविधाओं से महरूम गांव की सेवा के लिए चार साल पहले जर्मन कोर्स को बीच में छोड़ सरपंच पद का चुनाव लड़ने का फैसला लिया. ऐश्वर्या ने इस कार्यकाल में न केवल अपने गांव बल्कि ग्राम पंचायत में किए गए कार्यों से दशा और दिशा बदल कर ये साबित कर दिया की परिवार और समाज का नाम विदेश जाने से रोशन नहीं होता बल्कि मिट्टी में रह कर अपने लोगों की सेवा से भी होता है.

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कोरोना ने दिखाई नई राह : ऐश्वर्या सिंह राठौड़ कहती हैं कि बच्चपन जयपुर में गुजरा, शुरू से मन में था विदेश जाना है , ऐसे में कॉलेज शिक्षा पूरी होने के साथ पुणे जर्मन लैंग्वेज कोर्स को लेकर पढाई शुरू की, दो साल के कोर्स की पढाई चल रही रही थी की कोरोना कहर सामने आ गया. कॉलेज बंद हुए तो परिवार वालों के साथ अपने गांव खेड़ी चले गए, ये पहला ऐसा मौका था जब गांव में इतने लम्बे समय तक रहे , इससे पहले जब भी जाते एक दो दिन में वापस आ जाते, लेकिन इस बार न केवल गावं में रहे बल्कि लोगों से सम्पर्क बढ़ा, ख़ास कर महिलाओं से मिलना उनके बारे में समझने का मौका मिला. स्कूली बच्चों से मिले तब लगा की आजादी के इतने साल बाद भी राजधानी से महज 45 किलोमीटर दूर होने के बाद भी महिलाओं को दूर दूर से सर पर पानी लाना पड़ता है. बच्चों के लिए अच्छी स्कूल की बिल्डिंग नहीं है. तब मन में ख्याल आया कि क्यों न अपने लोगों के बीच रह कर इनकी सेवा की जाए, इसी दौरान ग्राम पंचायत के चुनाव की घोषणा हो गई, खेड़ी ग्राम पंचायत के लिए महिला सीट रिजर्व हुई. तब पहली बार पापा से बात करने पर समझ आया कि सरपंच बन कर लोगों की सेवा की जा सकती है, उन्हें वो सुविधा उपलब्ध कराइ जा सकती है, जिसकी उन्हें जरूरत भी है और वो उसकी लिए हकदार भी है.

पढ़ें: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2024 : ये हैं सबसे अधिक ताकतवर और प्रभावशाली महिला पॉलिटिशियंस

बालिका शिक्षा और महिलाओं पर किया फोकस : ऐश्वर्या कहती हैं सरपंच का चुनाव बड़े मार्जिन से जीता, लोगों ने भरपूर समर्थन दिया तो जिम्मेदारी भी बढ़ गई थी.इस लिए सबसे पहले बालिका शिक्षा और महिलाओं पर फ़ोकस किया. सबसे पहले सफाई अभियान की शुरूआत की, उसके बाद में महिलाओं के लिए शौचालय बनाने का अभियान चलाया, सरकार की योजनाओं के जरिये हर घर मे शौचालय बना कर हर दिन महिलाओं को होने वाली शर्मिंदगी से राहत दिलाई. इसके बाद स्कूल भजन जो जर्जर हो गया था उसका जीर्णोद्धार कराया. आज सरकारी स्कूल में अच्छी संख्या में बच्चों के साथ बालिकाएं भी शिक्षा ले रही है. इसके बाद जो सबसे महत्वपूर्ण और चुनौतियों वाला काम था वो था गांव के साथ छोटी छोटी ढाणियों तक पानी पहुंचाना था, इसके लिए जल जीवन मिशन योजना से ग्राम पंचायत को जोड़ा और अतिरिक्त पाइपलाइन के जरिये घर घर नल से जल पहुंचाने का काम किया.

युवा महिला सरपंच ने पेश की अनोखी मिशाल
युवा महिला सरपंच ने पेश की अनोखी मिशाल

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वाटर हार्वेस्टिंग से जोड़ा : ऐश्वर्या सिंह कहती है कि खेड़ी ग्राम पंचायत में लगातार वाटर लेवल गिर रहा है. इस समस्या को देखते हुए भागीरथी फाउंडेशन के सहयोग से गांव में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए काम शुरू किया. इसमें 300 टांके बनाने की स्वीकृति मिली जिसमें से अब तक 75 घरों में टांके बनाये जा चुके है. जिससे बारिश का पानी व्यर्थ नही बहता. ऐश्वर्या ने कहा 4 साल के कार्यकाल में अपनी तरफ से बेहतर काम करने की कोशिश की और अभी 1 साल और बचा है तो तब तक मेरे जितने भी काम पेंडिंग है मैं उनको पूरा प्रयास करके उन्हें भी पूरा करूंगी.

हर महिला और बच्ची की सपने देखना चाहिए: महिला दिवस पर ऐश्वर्या ने महिलाओं और बच्चियों से कहा कि वो सपने देखें जो कुछ वो करना चाहती है. उसे पूरा करने के लिए खुद को खड़ा होना चाहिए और पैरेंट्स को इस बात को देखना चाहिए कि लड़के और लड़कियों में कोई फर्क नही है. बेटियों भी वो सब कर सकती जो एक लड़का कर सकता है. ऐश्वर्या ने अपना उदाहरण देते हुए कहा हम तीन बहने , भाई नहीं है, लेकिन फिर भी आप देख लीजिए हम तीनों बहने मिल कर गांव के लोगों की हर सम्भव सेवा कर रही हैं. लड़कियां आजकल हर चीज में आगे हैं.

Last Updated : Mar 8, 2024, 11:13 AM IST
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