चित्तौड़गढ़: श्रम विभाग के अधिकारी बन लोगों को जाल में फंसा साइबर फ्राॅड (ठगी) करने के मामले में सदर चित्तौड़गढ़ थाना पुलिस व साइबर सेल टीम ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. दोनों ने विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर कई जिलों के लोगों के साथ लाखों की ठगी की वारदातें करना स्वीकार किया है. वहीं, वारदात में प्रयुक्त चार मोबाइल भी जब्त किए हैं.
पुलिस अधीक्षक सुधीर जोशी के अनुसार 17 दिसम्बर को मदन पुत्र मोहन लाल लोधा निवासी लक्ष्मीपुरा बराड़ा थाना सदर चित्तौड़गढ़ ने सदर थाने पर रिपोर्ट दी कि उसकी पत्नी पिन्की लोधा की मौत हो गई थी, जिसके श्रमिक कार्ड से राजस्थान सरकार द्वारा दी जाने वाली 2 लाख रुपये की राशि के लिए उसने ई-मित्र ओछ्ड़ी के मार्फत आनलाइन आवेदन किया था. 17 दिसम्बर को शाम करीब 4-5 बजे उसके पास अज्ञात व्यक्ति का फोन आया व कहा कि वह श्रम अधिकारी चित्तौड़गढ़ सुरेश बुनकर बोल रहा है. आपकी 2 लाख की राशि स्वीकृत हो गई है. उस राशि को आपके खाते में डालने के लिए खाते में कुछ राशि डालो और विभिन्न प्रकार के बहाने बनाते हुए 81 हजार रुपये अपने खाते में डलवा दिए.
ठगी का एहसास होने पर उसने पैसे लूटने को कहा तो कॉल करने वाले व्यक्ति ने धमकी दी कि तुम उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाओगे. वह सब फर्जी सिम और अकाउन्ट काम में लेते हैं और गाली-गलौच करते हुए फोन बन्द कर दिया. प्रकरण की गम्भीरता को देखते हुए टीम द्वारा तकनीकी रूप से अनुसंधान करते हुए उक्त वारदात में काम में लिए गए अकाउन्ट व मोबाइल नम्बरों का विश्लेषण किया तो सभी नम्बर और अकाउन्ट फर्जी पाए गए जो कि दूसरों के नाम पर धोखे से लिए थे.
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टीम ने साइबर ठगी करने वाले पूराने रिकॉर्ड निकलवाकर और रूट मैप बनाकर वारदात के समय काम में लिए गए नम्बरों का तकनिकी डाटा का विश्लेषण कर टीम आरोपियों तक पहुंची. आरोपियों को नामजद कर उस संदिग्ध ठिकानों पर जगह-जगह दबीश दी गई व महामंदिर थाना जोधपुर पुलिस के सहयोग से साइबर ठगी करने वाले दोनों आरोपियों दिलिप पुत्र धीरेन्द्र माली निवासी तिवरी, मनोहर पुत्र नगसिह ओड निवासी मन्थानिया जिला जोधपुर को गिरफ्तार किया. उक्त आरोपियों द्वारा दूसरों के नाम पर सीम कार्ड लेकर व किराया पर अकाउन्ट लेकर ठगी की वारदात करते हैं, ताकि जल्दी से ट्रैस नहीं हों.
वारदात करते समय आरोपी अपनी लगातार लोकेशन चेन्ज करते रहते ताकि ठगी करते समय पुलिस द्वारा उनके नम्बरों को ट्रैंस करे तो पकड़े नहीं जाएं. वारदात के बाद पैसों को गेम के अकाउन्ट में ट्रान्सफर करते हैं, ताकी खुद के अकाउन्ट पुलिस शिकायत के बाद हाोल्ड नहीं हो. ठगी करते समय अपने साथ में एक और व्यक्ति को साथ रखते हैं, जिसको अपना अधिकारी बता ठगी के शिकार व्यक्ति से बात कराते हैं कि ये हमारे अधिकारी हैं. इनसे बात कर लो, जो कि पूरी सफाई से बात करता है, जिससे ठगी होने वाला व्यक्ति एक बार सन्तुष्ट हो जाए.
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि आरोपियों द्वारा साइबर ठगी की निम्न लोगों के साथ वारदातें करना स्वीकार किया जो डाटा रिकॉर्ड से भी तस्दीक हुआ है. जिला चित्तौडगढ में अलग-अलग थाना सर्कल के 6 व्यक्तियों के साथ साइबर ठगी की, जबकि जिला नागौर के अलग-अलग थाना सर्कल के 14 व्यक्तियों के साथ साइबर ठगी करना बताया. जालोर के अलग-अलग थाना सर्कल के 3 व्यक्तियों, जिला उदयपुर व कोटा के दो-दो व्यक्ति, जिला सांचौर, सीकर व बीकानेर के एक-एक व्यक्ति के साथ साइबर ठगी की है. इसके अलावा जो ठगी की है उनका रिकॉर्ड प्राप्त कर जांच जारी है.