जयपुर. राजस्थान में एक ऐसी बीमारी चिकित्सा विभाग के लिए चुनौती बनती जा रही है, जो खास तौर पर बच्चों को अपनी जद में ले रही है. राजस्थान और खासकर जयपुर के अस्पतालों में मम्प्स नाम की बीमारी के मामले हर वर्ग में देखने को मिल रहे हैं, लेकिन बच्चों को यह बीमारी अपनी जद में अधिक ले रही है. अभी तक राजस्थान में कई मरीज इस बीमारी की चपेट में आए हैं, लेकिन इसकी जानकारी चिकित्सा विभाग के पास नहीं है. जयपुर के जेके लोन और एसएमएस अस्पताल में इस बीमारी के मरीज लगातार बढ़ते जा रहे हैं.
सवाई मानसिंह अस्पताल के ईएनटी विभाग के चिकित्सक डॉ. विकास का कहना है कि मम्प्स एक संक्रामक बीमारी है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक संक्रमण के जरीए फैल रहा है. इससे पहले इस बीमारी के हर साल एक या दो मामले ही देखने को मिलते थे, लेकिन इस साल सबसे अधिक मामले देखने को मिल रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में इस बीमारी के लगभग 50 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. यहां तक कि कुछ बच्चों की सुनने की क्षमता भी खत्म हो गई है.
बच्चों में सबसे अधिक मामला : डॉ. विकास का कहना है कि बच्चों में इस बीमारी के सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं. दरअसल, यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित करती है. ऐसे में बच्चे इसकी जद में सबसे अधिक आ रहे हैं. बच्चे स्कूल और खेलने जाते हैं, इस दौरान एक दूसरे को संक्रमित कर रहे हैं. हालांकि, सही समय पर इलाज किया जाए तो इस बीमारी से छुटाकारा पाया जा सकता है. चिकित्सकों का दावा है कि करीब 80 फीसदी से अधिक मरीज इस बीमारी से ठीक हो रहे हैं. गंभीर लक्षण उन मरीजों में ही देखने को मिल रहे हैं जो सही समय पर इलाज नहीं ले रहे. इस बीमारी से बचाव के लिए टीका उपलब्ध है, लेकिन सरकारी अस्पतालों मे यह टीका बच्चों को नहीं लगाया जा रहा. हालांकि, प्राइवेट अस्पतालों में यह टीका लगाया जा रहा है.
ये लक्षण नजर आएं तो सावधानी जरूरी : एसएमएस अस्पताल के ईएनटी विभाग के एचओडी डॉ. मोहनीश ग्रोवर का कहना है कि यह बीमारी एक वायरल फीवर है, जो आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है. यहां तक कि हवा के माध्यम से भी किसी को भी संक्रमित कर सकता है. इस बीमारी से ग्रसित होने के बाद मरीजों मे बुखार, सिरदर्द के साथ मांसपेशियों में दर्द होना, चेहरे के दोनों ओर पैरोटिड ग्लैंड में सूजन आ जाती है, जिससे व्यक्ति को मुंह तक खोलने में दिक्कत होती है. कुछ केस में पेट दर्द और सूजन की वजह से कानों पर भी असर पड़ता है.
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यूं करे इस बीमारी से बचाव : चिकित्सकों का कहना है कि बच्चों को इस बीमारी से बचाने के लिए एमएमआर वैक्सीन लगाई जाती है, सरकार के वैक्सीनेशन शिडयूल में यह शामिल नहीं है. कई लोग अपने स्तर पर टीका लगवाते हैं. इस बीमारी का पता चलते ही संक्रमित बच्चे को तुरंत उपचार की जरूरत होती है, इसलिए तुरंत उसे अस्पताल में एडमिट करवाएं. एंटीबायोटिक दवाएं देकर उसका इलाज किया जाता है. अगर इस बीमारी का इलाज समय पर न किया जाए तो बच्चे की सुनने की क्षमता भी जा सकती है.