इंदौर। सफाई अभियान और विभिन्न सामाजिक मुहिम में स्थानीय लोगों की भागीदारी के लिए चर्चाओं में रहने वाले इंदौर लोकसभा सीट पर 13 मई को दो रिकॉर्ड बन सकते हैं. इसके लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही कोशिश में जुटी है. कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम के बीजेपी में शामिल होने से बौखलाई कांग्रेस अब इंदौर में सबसे ज्यादा नोटा का बटन दबाने का रिकॉर्ड बनाने की कोशिश कर रही है. दूसरा इंदौर में सबसे बड़े अंतर से जीत का रिकॉर्ड भी बन सकता है, इसके लिए बीजेपी प्रयासों में जुटी है.
इंदौर में कांग्रेस ने किया नोटा का समर्थन
इंदौर में नामांकन वापसी के आखिरी दिन कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम बीजेपी की गोद में बैठने के बाद कांग्रेस बौखलाई हुई है. कांग्रेस ने इस सीट पर किसी भी अन्य नेता को अपना समर्थन नहीं दिया. कांग्रेस मतदाताओं से नोटा का बटन दबाने की अपील कर रही है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी लगातार लोगों से नोटा का उपयोग करने की बात कह रहे हैं. यदि कांग्रेस की अपील का असर हुआ तो इंदौर में सबसे ज्यादा नोटा का रिकॉर्ड बन सकता है.
झाबुआ लोकसभा सीट पर है नोटा का रिकॉर्ड
मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा नोटा का रिकॉर्ड रतलाम लोकसभा सीट पर पिछले चुनाव में बना था. 2019 के लोकसभा चुनाव में रतलाम में सबसे ज्यादा 35 हजार 431 वोट नोटा पर डले थे, हालांकि इस सीट पर जीत बीजेपी के गुमान सिंह डामोर 90 हजार वोटों से जीते, लेकिन उससे ज्यादा चर्चा नोटा पर वोट डाले जाने को लेकर चर्चा हुई. इसके पहले 2015 में हुए उपचुनाव में भी रतलाम में 24 हजार 426 वोट नोटा पर डले थे. देश में मतदाताओं को नोटा का अधिकार 2013 में मिला था. 2019 के लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की 29 सीटों पर कुल 3 लाख 40 हजार 984 वोट नोटा को मिले थे. यह कुल मतदान का 0.92 फीसदी था. जबकि समाजवादी पार्टी का वोट प्रतिशत 0.22 फीसदी था.
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क्या बनेगा सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड
उधर कांग्रेस नोटा का रिकॉर्ड बनाने की कोशिश कर रही है, जबकि बीजेपी सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड बनाने के प्रयास में है. कांग्रेस उम्मीदवार के पाला बदलने के बाद बीजेपी के लिए रास्ता एक तरह से साफ है. हालांकि इस सीट पर अभी भी 14 उम्मीदवार चुनाव लड़ हैं. बीजेपी सबसे बड़ी जीत के लिए अब इस सीट पर बंपर वोटिंग की कोशिश कर रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार शंकर ललवानी को कुल 10.68 लाख वोट मिले थे और जीत का अंतर 5.47 लाख वोटों का था.