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हिन्दुस्तान की धरती पर होगा 14 हिन्दुस्तानी चीतों का राज, अफ्रीकी चीतों के दिन लदे - INDIAN CHEETAHS WILL DOMINATE KUNO

कूनो चीता प्रोजेक्ट से खुशखबरी मिल रही हैं. 2 शावकों के जन्म और 5 चीतों को खुले में छोड़ने के बाद भारतीय चीते अपना दबदबा बनाएंगे. पीयूष सिंह राजपूत की रिपोर्ट में जानें क्या ये इतना आसान होगा?

Kuno Indian Cheetahs survival
कूनो में भारतीय चीतों की तादाद और उनके सर्वाइवल पर खास रिपोर्ट (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 6, 2025, 11:54 AM IST

Updated : Feb 6, 2025, 2:05 PM IST

श्योपुर (पीयूष सिंह राजपूत): मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क में 2 नए चीतों का जन्म हुआ है. 2 शावकों के जन्म के साथ भारतीय चीतों की तादाद विदेशी चीतों से ज्यादा हो गई है. यानी अब विदेशी चीतों के दिन पुराने हो चले हैं और भारत की धरती पर जन्मे भारतीय चीते अपनी टेरेटरी बनाने की तैयारी करेंगे. आम आदमी के लिए चीतों का जन्म खुशी की बात है पर कैप्टिविटी यानी कैद में जन्मे चीते नेचुरल हैबिटेट में जन्मे चीतों से कमजोर होते हैं.

ऐसे में सवाल ये है कि क्या भारतीय चीते जंगल में आसानी से सर्वाइव कर पाएंगे? क्या भारतीय चीते विदेशी चीतों के मुकाबले अपना दबदबा बनाने में कामयाब हो पाएंगे? आइए जानते हैं.

विदेशी चीतों से ज्यादा हुए भारतीय चीते

मंगलवार को कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता वीरा ने 2 नन्हें शावकों को जन्म दिया था. इस तरह भारत में जन्मे चीतों की संख्या 14 पहुंच गई है और उनके विदेशी माता-पिता यानी वयस्क चीतों की संख्या 12 है. इस प्रकार भारतीय चीते विदेशी चीतों से ज्यादा हो गए हैं. वहीं, चीतों को अपनी टेरेटरी बनाने और नेचुरल हैबिटेट में स्वतंत्र जीने के लिए सरकार इन्हें खुले में छोड़ रही है.

Indian cheetahs in Kuno
मध्य प्रदेश के सीएम ने 5 और चीतों को खुले जंगल में छोड़ा (Etv Bharat)

3 देसी शावकों पर रहेंगी सबकी निगाहें

पीएम मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट में प्रदेश सरकार भी विशेष ध्यान दे रही है. बुधवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने कूनो के जंगल 5 चीतों को छोड़ा है. इनमें से 2 मादा चीता आशा और धीरा विदेशी हैं, जबकि 3 शावक देसी हैं, यानी इनका जन्म भारत में हुआ है. ऐसे में ये 3 शावक तेजी से अपनी-अपनी टेरेटरी बनाने में जुट जाएंगे.

कूनो के जिस क्षेत्र में इन चीतों को छोड़ा गया है, वहां कई तरह के वन्य जीवों की भरमार है, जो इनकी खुराक बनेंगे पर क्या ये इतना आसान होगा?

कैद में जन्म और इंसानी दखल चीतों के लिए ठीक नहीं

देसी शावकों को लेकर वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे ने ईटीवी भारत से कहा, '' कैप्टिविटी यानी कैद में जन्मे चीते इंसानी दखल से प्रभावित रहते हैं. पिछले ढाई सालों में चीतों के जिन शावकों ने जन्म लिया, वे सभी कैप्टिविटी में जन्मे. ऐसे में खुले या जंगल में जन्मे चीतों के मुकाबले इनकी इम्युनिटी और नेचर प्रभावित होता है. इंसानों के ज्यादा करीब रहने से ये चीते वाइल्ड नहीं रह पाते और जंगल में शिकार और सर्वाइव कर पाना मुश्किल हो जाता है.''

New Cheetahs born in kuno
मंगलवार को कूनो में 2 नन्हें शावकों का हुआ जन्म (Etv Bharat)

अपनी टेरेटरी बनाने में सफल होंगे देसी चीते?

वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे ने कहा, '' मैं इस बात से सहमत हूं कि खुले में छोड़े गए चीते कैद में रखे गए चीतों से बेहतर स्थिति में होंगे. वे इंसानी दखल से जितना दूर रहेंगे, उनके लिए उतना बेहतर होगा. हमने देखा है कि सरकार की मंशा थी कि कूनो में चीतों को खुले जंगलों में रखा जाए और फिर इनका पुनर्वास हो. इसके लिए अफ्रीका, नमीबिया से चीते लाए गए पर 8 चीते खुले जंगल में सर्वाइव नहीं कर पाए. कई तरह की लापरवाही की वजह से इनकी मौत हो गई. हालांकि, जिन चीतों का जन्म भारत में हुआ है, उनसे उम्मीदें हैं कि वे विदेशी चीतों के मुकाबले आसानी से सर्वाइव कर पाएंगे.''

भारत में जन्मी पहली फीमेल चीता को क्यों नहीं छोड़ा?

बुधवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने कूनो के जंगल 5 चीतों को छोड़ा है. इनमें से 2 मादा चीता विदेशी हैं और 3 नर शावक देसी हैं. इस बीच सवाल ये भी उठ रहा है कि इन तीन देसी शावकों से पहले भारत में जन्मी फीमेल चीता को खुले में क्यों नहीं छोड़ा गया?

इसपर वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे ने कहा, '' भारत में जन्मी पहली चीता को नवंबर 2023 में पैर में फ्रेक्चर हो गया था. ये क्यों हुआ इसका कारण कभी सामने नहीं आया. जनवरी 2024 में मैं इसे सामने लेकर आया था. वह फीमेल चीता हाल ही में छोड़े गए शावकों से बड़ी है, फिर भी उसे नहीं छोड़ा गया और ना ही इसका कारण बताया गया.''

Kuno National park cheetah count
विदेशी चीतों से ज्यादा हुई भारतीय चीतों की तादाद (Etv Bharat)

क्या होगी इन चीतों की खुराक, कैसे करेंगे सर्वाइव?

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने कूनो के जंगलों में जिन चीतों को छोड़ा है, वे सभी अपनी-अपनी टेरेटरी बनाने की जद्दोजहद में जुट जाएंगे. वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट ने कहा, '' जंगल में जीवित रहने के लिए चीतों को शिकार करना होगा. अबतक इंसानों की देखरेख में उन्हें बिना शिकार भोजन मिलता रहा है, इससे उनकी शिकार करने की क्षमता भी कमजोर पड़ती है. इनका शिकार सीमित होता है और ये छोटे हिरण और चौसिंघा को अपना शिकार बनाते हैं. हिरणों को भी यहां बाहर से लाया गया है. देखना होगा कि जंगल इन चीतों को किस तरह से स्वीकार करता है. इनमें शामिल 3 देसी शावकों पर सभी की खास निगाहें होंगी, क्योंकि इनपर चीता प्रोजेक्ट का भविष्य निर्भर करेगा.''

कूनो के खुले जंगल में कितने चीते हैं?

कूनो नेशनल पार्क (Kuno national park) के खुले जंगल में 7 चीतें मौजूद हैं. इससे पहले 4 दिसंबर 2024 को अग्नि और वायु नाम के दो चीतों को खुले जंगल में छोड़ा गया था. वहीं अब 5 चीतों को छोड़े जाने से खुले में इनकी संख्या 7 हो गई है. वहीं बाड़े में 8 वयस्क और 11 शावक चीते मौजूद हैं. इस प्रकार इनकी कुल संख्या 26 है.

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श्योपुर (पीयूष सिंह राजपूत): मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क में 2 नए चीतों का जन्म हुआ है. 2 शावकों के जन्म के साथ भारतीय चीतों की तादाद विदेशी चीतों से ज्यादा हो गई है. यानी अब विदेशी चीतों के दिन पुराने हो चले हैं और भारत की धरती पर जन्मे भारतीय चीते अपनी टेरेटरी बनाने की तैयारी करेंगे. आम आदमी के लिए चीतों का जन्म खुशी की बात है पर कैप्टिविटी यानी कैद में जन्मे चीते नेचुरल हैबिटेट में जन्मे चीतों से कमजोर होते हैं.

ऐसे में सवाल ये है कि क्या भारतीय चीते जंगल में आसानी से सर्वाइव कर पाएंगे? क्या भारतीय चीते विदेशी चीतों के मुकाबले अपना दबदबा बनाने में कामयाब हो पाएंगे? आइए जानते हैं.

विदेशी चीतों से ज्यादा हुए भारतीय चीते

मंगलवार को कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता वीरा ने 2 नन्हें शावकों को जन्म दिया था. इस तरह भारत में जन्मे चीतों की संख्या 14 पहुंच गई है और उनके विदेशी माता-पिता यानी वयस्क चीतों की संख्या 12 है. इस प्रकार भारतीय चीते विदेशी चीतों से ज्यादा हो गए हैं. वहीं, चीतों को अपनी टेरेटरी बनाने और नेचुरल हैबिटेट में स्वतंत्र जीने के लिए सरकार इन्हें खुले में छोड़ रही है.

Indian cheetahs in Kuno
मध्य प्रदेश के सीएम ने 5 और चीतों को खुले जंगल में छोड़ा (Etv Bharat)

3 देसी शावकों पर रहेंगी सबकी निगाहें

पीएम मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट में प्रदेश सरकार भी विशेष ध्यान दे रही है. बुधवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने कूनो के जंगल 5 चीतों को छोड़ा है. इनमें से 2 मादा चीता आशा और धीरा विदेशी हैं, जबकि 3 शावक देसी हैं, यानी इनका जन्म भारत में हुआ है. ऐसे में ये 3 शावक तेजी से अपनी-अपनी टेरेटरी बनाने में जुट जाएंगे.

कूनो के जिस क्षेत्र में इन चीतों को छोड़ा गया है, वहां कई तरह के वन्य जीवों की भरमार है, जो इनकी खुराक बनेंगे पर क्या ये इतना आसान होगा?

कैद में जन्म और इंसानी दखल चीतों के लिए ठीक नहीं

देसी शावकों को लेकर वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे ने ईटीवी भारत से कहा, '' कैप्टिविटी यानी कैद में जन्मे चीते इंसानी दखल से प्रभावित रहते हैं. पिछले ढाई सालों में चीतों के जिन शावकों ने जन्म लिया, वे सभी कैप्टिविटी में जन्मे. ऐसे में खुले या जंगल में जन्मे चीतों के मुकाबले इनकी इम्युनिटी और नेचर प्रभावित होता है. इंसानों के ज्यादा करीब रहने से ये चीते वाइल्ड नहीं रह पाते और जंगल में शिकार और सर्वाइव कर पाना मुश्किल हो जाता है.''

New Cheetahs born in kuno
मंगलवार को कूनो में 2 नन्हें शावकों का हुआ जन्म (Etv Bharat)

अपनी टेरेटरी बनाने में सफल होंगे देसी चीते?

वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे ने कहा, '' मैं इस बात से सहमत हूं कि खुले में छोड़े गए चीते कैद में रखे गए चीतों से बेहतर स्थिति में होंगे. वे इंसानी दखल से जितना दूर रहेंगे, उनके लिए उतना बेहतर होगा. हमने देखा है कि सरकार की मंशा थी कि कूनो में चीतों को खुले जंगलों में रखा जाए और फिर इनका पुनर्वास हो. इसके लिए अफ्रीका, नमीबिया से चीते लाए गए पर 8 चीते खुले जंगल में सर्वाइव नहीं कर पाए. कई तरह की लापरवाही की वजह से इनकी मौत हो गई. हालांकि, जिन चीतों का जन्म भारत में हुआ है, उनसे उम्मीदें हैं कि वे विदेशी चीतों के मुकाबले आसानी से सर्वाइव कर पाएंगे.''

भारत में जन्मी पहली फीमेल चीता को क्यों नहीं छोड़ा?

बुधवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने कूनो के जंगल 5 चीतों को छोड़ा है. इनमें से 2 मादा चीता विदेशी हैं और 3 नर शावक देसी हैं. इस बीच सवाल ये भी उठ रहा है कि इन तीन देसी शावकों से पहले भारत में जन्मी फीमेल चीता को खुले में क्यों नहीं छोड़ा गया?

इसपर वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे ने कहा, '' भारत में जन्मी पहली चीता को नवंबर 2023 में पैर में फ्रेक्चर हो गया था. ये क्यों हुआ इसका कारण कभी सामने नहीं आया. जनवरी 2024 में मैं इसे सामने लेकर आया था. वह फीमेल चीता हाल ही में छोड़े गए शावकों से बड़ी है, फिर भी उसे नहीं छोड़ा गया और ना ही इसका कारण बताया गया.''

Kuno National park cheetah count
विदेशी चीतों से ज्यादा हुई भारतीय चीतों की तादाद (Etv Bharat)

क्या होगी इन चीतों की खुराक, कैसे करेंगे सर्वाइव?

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने कूनो के जंगलों में जिन चीतों को छोड़ा है, वे सभी अपनी-अपनी टेरेटरी बनाने की जद्दोजहद में जुट जाएंगे. वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट ने कहा, '' जंगल में जीवित रहने के लिए चीतों को शिकार करना होगा. अबतक इंसानों की देखरेख में उन्हें बिना शिकार भोजन मिलता रहा है, इससे उनकी शिकार करने की क्षमता भी कमजोर पड़ती है. इनका शिकार सीमित होता है और ये छोटे हिरण और चौसिंघा को अपना शिकार बनाते हैं. हिरणों को भी यहां बाहर से लाया गया है. देखना होगा कि जंगल इन चीतों को किस तरह से स्वीकार करता है. इनमें शामिल 3 देसी शावकों पर सभी की खास निगाहें होंगी, क्योंकि इनपर चीता प्रोजेक्ट का भविष्य निर्भर करेगा.''

कूनो के खुले जंगल में कितने चीते हैं?

कूनो नेशनल पार्क (Kuno national park) के खुले जंगल में 7 चीतें मौजूद हैं. इससे पहले 4 दिसंबर 2024 को अग्नि और वायु नाम के दो चीतों को खुले जंगल में छोड़ा गया था. वहीं अब 5 चीतों को छोड़े जाने से खुले में इनकी संख्या 7 हो गई है. वहीं बाड़े में 8 वयस्क और 11 शावक चीते मौजूद हैं. इस प्रकार इनकी कुल संख्या 26 है.

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Last Updated : Feb 6, 2025, 2:05 PM IST
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