कानपुर : जिस आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक का प्रयोग दुनिया में बहुत तेजी से हो रहा है, उसी तकनीक की मदद से अब आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ देश के 5 अलग-अलग शहरों में तस्वीर बदलने का काम करेंगे. जब विशेषज्ञों का काम पूरा हो जाएगा, तो उनका दावा है कि शहर का पूरा रूप ही बदल जाएगा. शहरवासियों के लिए ईज ऑफ लिविंग को आसान बनाने के साथ ही हर जनसुविधा को भी मुहैया कराया जाएगा. वहीं, सबसे खास बात यह है कि पूरी कवायद के बावजूद पर्यावरण व वातावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. दरअसल, आईआईटी कानपुर को पहली बार शिक्षा मंत्रालय से एआई फॉर सस्टेनेबल सिटी बनाने का प्रोजेक्ट मिला है.
यहां जानिए, क्या है एआई फॉर सस्टेनेबल सिटी प्रोजेक्ट : इस पूरे मामले पर ईटीवी भारत से आईआईटी कानपुर के डिपार्टमेंट ऑफ सस्टेनेबल एनर्जी एंड सिविल इंजीनियरिंग के वरिष्ठ प्रोफेसर सच्चिदानंद त्रिपाठी ने खास बात की. उन्होंने बताया कि एआई फॉर सस्टेनेबल सिटी के लिए शिक्षा मंत्रालय की ओर से 15 जनवरी को देश के उन टॉप-100 रैंकिंग वाले संस्थानों की सूची जारी की गई थी, जिन्हें एआई फॉर हेल्थ, एआई फॉर एग्रीकल्चर और एआई फॉर सस्टेनेबल सिटी के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस दिया जाना था.
इसमें आईआईटी कानपुर की ओर से 15 फरवरी को प्रस्ताव का प्रेजेंटेशन दिया गया. नौ मार्च को ही आईआईटी कानपुर को प्रूफ ऑफ कांसेप्ट (6 माह तक की जाने वाली कवायद) के लिए चुन लिया गया. अब हम और हमारी टीम के सदस्य पहले चरण में पांच शहरों- कानपुर, वाराणसी, चंडीगढ़, बेंगलुरु व मध्य प्रदेश के कुछ शहरों में काम शुरू कर देंगे. हमारा काम बेहतर होगा तो 6 माह बाद आईआईटी कानपुर को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (एआई फॉर सस्टेनेबल सिटी) मिल जाएगा.
हर शहर की जनसुविधाओं के सिस्टम को समझना होगा : प्रो.सच्चिदानंद त्रिपाठी ने कहा कि इस कवायद में सबसे पहले हमें हर शहर में दी जाने वाली जन सुविधाओं को जानना और समझना होगा. मौजूदा समय में सिस्टम कैसे काम कर रहा है, उसे कैसे बेहतर किया जा सकता है? साथ ही लोगों को किसी तरह की परेशानी न हो, इस तरह के तमाम बिंदुओं पर हम काम करेंगे. हां, सबसे अहम है कि हर काम को सुधारने के लिए हम आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक का प्रयोग करेंगे.
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