गोपालगंज : एक तरफ जहां देश में अक्सर ही हिन्दू-मुस्लिम को लेकर सियासतदां अपनी रोटिंयां सेंकते हैं, वहीं दूसरी तरफ गोपालगंज से ऐसी तस्वीर उभरकर सामने आयी है जो देश के भाईचारे को दर्शाता है. जी हां, भारत में हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई क्यों कहा जाता है इस तस्वीर ने साफ कर दी.
पंडितों ने पढ़े मंत्र, मौलानाओं ने कराया निकाह : अब जरा सोचिए, एक ही स्थान हो जहां पंडित मंत्र पढ़ रहे हों और मौलाना निकाह की रश्मअदायगी करा रहा हो तो क्या कहेंगे? गोपालगंज के लामीचौर पश्चिम टोला स्याही नदी के तट पर अनोखे सामूहिक विवाह का आयोजन हुआ. यहां हिन्दू धर्म के मानने वाले जोड़ों के लिए पंडितों ने मंत्रोच्चार किया तो वहीं मुस्लिम जोड़ों के लिए मौलवियों ने निकाह कराया.
21 जोड़ों का हुआ सामूहिक विवाह : बाबा भूतनाथ शांति सेवा संस्थान की ओर से 21 जोड़ों की शादी संपन्न कराई गई. एक ही मंडप में जहां एक ओर विवाह की वेदी सजी थी, तो वहीं दूसरी तरफ निकाह का कबूलनामा किया जा रहा था. एक तरफ वैदिक मंत्र पढ़े जा रहे थे, तो बगल में मौलाना कलमा पढ़ रहे थे. इस दौरान महिलाओं के मंगल गीत भी गाती रही.
देश के विभिन्न हिस्सों से पहुंचे लोग : जिन 21 जोड़ों की शादी करायी गयी उनमें चार मुस्लिम समुदाय के थे. गोपालगंज और सीवान जिले तो छोड़िए, उत्तर प्रदेश के देवरिया, कुशीनगर, गुजरात के कच्छ से लोग पहुंचे थे. शादी के बंधन में बंधने के लिये वर-वधू परिजनों के साथ यहां आए हुए थे. यही नहीं विवाह के उपरांत नवदंपतियों को आशीर्वाद और उपहार भी दिया गया. कुल मिलाकर कहें तो यह कार्यक्रम गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल बनी.
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