शिमला: हिमाचल सरकार हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद तय समय पर एक हाइड्रो पावर कंपनी की 64 करोड़ की अपफ्रंट मनी अदालत की रजिस्ट्री में जमा नहीं करवा पाई थी. अनुपालना याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए नई दिल्ली स्थित हिमाचल भवन को कुर्क कर संबंधित कंपनी की रकम चुकाने के आदेश जारी किए थे. साथ ही ये भी कहा था कि वो कौन अफसर थे, जिनके कारण 64 करोड़ रुपए की अपफ्रंट मनी सात फीसदी ब्याज सहित जमा नहीं करवाई गई. राज्य सरकार को अदालत को दोषी अफसरों के नाम बताने थे. मामले में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार हाईकोर्ट में एक बार फिर से उन अफसरों का पता नहीं बता पाई. राज्य सरकार ने हाईकोर्ट से अतिरिक्त समय की मांग की. न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने राज्य सरकार को अतिरिक्त समय देते हुए मामले की सुनवाई 9 जनवरी को तय की है.
उल्लेखनीय है कि सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड के पक्ष में 64 करोड़ रुपए की अपफ्रंट मनी 7 फीसदी ब्याज सहित अदालत की रजिस्ट्री में जमा करवाई जानी थी. सरकार ने इस बाबत जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए एक बार फिर से अतिरिक्त समय की मांग की है. सरकार की मांग को मंजूर करते हुए हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने मामले की सुनवाई 9 जनवरी को निर्धारित करने के आदेश जारी किए.
कुर्की आदेश के बाद जमा करवाए थे 97 करोड़
सेली हाइड्रो पावर कंपनी ने 64 करोड़ रुपए की अपफ्रंट मनी लाहौल स्पीति में चिनाब नदी के किनारे एक पावर प्रोजेक्ट लगाने के लिए जमा की थी. बाद में प्रोजेक्ट वायबल नहीं हुआ तो कंपनी ने अपफ्रंट मनी वापस मांगी. सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया. कंपनी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की तो अदालत ने 64 करोड़ रुपए की अपफ्रंट मनी सात फीसदी ब्याज सहित वापस करने के आदेश दिए. इस पर भी सरकार ने कंपनी को पैसा नहीं लौटाया तो अनुपालना याचिका की सुनवाई में हाईकोर्ट ने नई दिल्ली के हिमाचल भवन को कुर्क करने के आदेश दिए. उसके बाद राज्य सरकार ने मूल राशि व सात फीसदी ब्याज सहित कुल 97 करोड़ रुपए की रकम हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में जमा करवा दी.
हिमाचल हाईकोर्ट ने सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड की तरफ से ऊर्जा विभाग के खिलाफ दायर अनुपालना याचिका पर ये आदेश दिए थे. हाईकोर्ट ने संबंधित विभाग को इस बात की तथ्यात्मक जांच के आदेश भी दिए थे कि किस विशेष अधिकारी अथवा अधिकारियों की चूक के कारण 64 करोड़ रुपए की रकम 7 प्रतिशत ब्याज सहित जमा नहीं की गई. हाईकोर्ट ने कहा था कि दोषियों का पता लगाना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि फिर ये राशि उन्हीं से वसूलने का आदेश दिया जा सके. हाईकोर्ट ने 18 नवंबर 2024 को जारी आदेश में 15 दिन में जांच पूरी कर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था. अब मामले की सुनवाई 9 जनवरी को होगी.