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कांगड़ा में गग्गल एयरपोर्ट के विस्तार का मामला, हाईकोर्ट ने ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के दिए आदेश, 24 दिसंबर को होगी सुनवाई - HC ON GAGGAL AIRPORT EXPANSION CASE

हिमाचल हाईकोर्ट ने कांगड़ा में गग्गल एयरपोर्ट विस्तार मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए. मामले में अगली सुनवाई 24 दिसंबर को होगी.

कांगड़ा में गग्गल एयरपोर्ट के विस्तार का मामला
कांगड़ा में गग्गल एयरपोर्ट के विस्तार का मामला (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 12, 2024, 10:30 PM IST

शिमला: जिला कांगड़ा के गग्गल एयरपोर्ट के विस्तार से जुड़े मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश जारी किए हैं. साथ ही इस मामले में अब सुनवाई 24 दिसंबर के लिए टल गई है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने सुनवाई के दौरान पाया कि इस मामले में वन भूमि का तबादला (ट्रांसफर ऑफ फॉरेस्ट लैंड) करने से जुड़ी स्वीकृति केंद्र सरकार के पास लंबित है. हवाई अड्डे के विस्तार का मामला भी प्रोजेक्ट स्क्रीनिंग कमेटी के पास लंबित पड़ा हुआ है. इसके अलावा तकनीकी आर्थिक व्यवहार्यता रिपोर्ट (टेक्नो इकोनॉमिक फिजिबिलिटी रिपोर्ट) यानी टीईएफआर भी अभी तक नहीं मिली है.

उल्लेखनीय है कि टीईएफआर पर्यावरण संबंधी सेवाओं के लिए एक पूर्व आवश्यक दस्तावेज है और सिर्फ इस रिपोर्ट के प्राप्त होने के बाद ही भारत सरकार वन मंजूरी की अनुमति देने के लिए आगे बढ़ सकती है. हाई कोर्ट ने पाया कि किसी भी हवाई अड्डे के निर्माण/विकास के लिए बाधा सीमा सतह सर्वेक्षण पूर्व अपेक्षित शर्त है. यह सर्वे भी सक्षम प्राधिकारी के पास विचाराधीन है. हाईकोर्ट ने इन कमियों को दूर करने से जुड़ी स्टेटस रिपोर्ट तलब की है. उल्लेखनीय है कि इस मामले में हाईकोर्ट ने एडवोकेट जनरल द्वारा दिए आश्वासन को वापिस लेने की इजाजत नहीं दी थी.

अदालत को दिए गए आश्वासन में एडवोकेट जनरल ने कहा था कि सरकार किसी को भी भूमि से बेदखल नहीं करेगी, जो भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन उचित मुआवजा और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013 की धारा 11(1) के तहत जारी अधिसूचना का हिस्सा है. सुनवाई के बाद अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट से विभिन्न औपचारिकताएं पूरी करने के अतिरिक्त समय की प्रार्थना की. इस पर कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण से जुड़ी वैधानिक अनुपालना के संबंध में ताजा स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया.

सरकार की ओर से कोर्ट के समक्ष 13 नवंबर 2024 विशेष सचिव (पर्यटन और सीए) ने पूरक हलफनामा दायर किया है. इसके अवलोकन से पता चलता है कि प्रतिवादी-राज्य ने पहले ही भूमि अधिग्रहण के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है और कुछ मामलों में पैसे भी दे दिए हैं. कोर्ट ने पाया कि कुछ मामलों में भूमि अधिग्रहण कलेक्टर द्वारा अवार्ड पारित किया गया है, लेकिन आज तक भारत सरकार द्वारा वन भूमि के डायवर्सन के संबंध में आवश्यक अनुमति प्रदान नहीं की गई है. अब मामले की सुनवाई 24 दिसंबर को होगी.

ये भी पढ़ें: कुल्लू के तोष में हुई थी हरियाणा के युवक वैभव की मौत, हाईकोर्ट ने दिए सीबीआई जांच के साथ तुरंत एफआईआर करने के आदेश

शिमला: जिला कांगड़ा के गग्गल एयरपोर्ट के विस्तार से जुड़े मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश जारी किए हैं. साथ ही इस मामले में अब सुनवाई 24 दिसंबर के लिए टल गई है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने सुनवाई के दौरान पाया कि इस मामले में वन भूमि का तबादला (ट्रांसफर ऑफ फॉरेस्ट लैंड) करने से जुड़ी स्वीकृति केंद्र सरकार के पास लंबित है. हवाई अड्डे के विस्तार का मामला भी प्रोजेक्ट स्क्रीनिंग कमेटी के पास लंबित पड़ा हुआ है. इसके अलावा तकनीकी आर्थिक व्यवहार्यता रिपोर्ट (टेक्नो इकोनॉमिक फिजिबिलिटी रिपोर्ट) यानी टीईएफआर भी अभी तक नहीं मिली है.

उल्लेखनीय है कि टीईएफआर पर्यावरण संबंधी सेवाओं के लिए एक पूर्व आवश्यक दस्तावेज है और सिर्फ इस रिपोर्ट के प्राप्त होने के बाद ही भारत सरकार वन मंजूरी की अनुमति देने के लिए आगे बढ़ सकती है. हाई कोर्ट ने पाया कि किसी भी हवाई अड्डे के निर्माण/विकास के लिए बाधा सीमा सतह सर्वेक्षण पूर्व अपेक्षित शर्त है. यह सर्वे भी सक्षम प्राधिकारी के पास विचाराधीन है. हाईकोर्ट ने इन कमियों को दूर करने से जुड़ी स्टेटस रिपोर्ट तलब की है. उल्लेखनीय है कि इस मामले में हाईकोर्ट ने एडवोकेट जनरल द्वारा दिए आश्वासन को वापिस लेने की इजाजत नहीं दी थी.

अदालत को दिए गए आश्वासन में एडवोकेट जनरल ने कहा था कि सरकार किसी को भी भूमि से बेदखल नहीं करेगी, जो भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन उचित मुआवजा और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013 की धारा 11(1) के तहत जारी अधिसूचना का हिस्सा है. सुनवाई के बाद अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट से विभिन्न औपचारिकताएं पूरी करने के अतिरिक्त समय की प्रार्थना की. इस पर कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण से जुड़ी वैधानिक अनुपालना के संबंध में ताजा स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया.

सरकार की ओर से कोर्ट के समक्ष 13 नवंबर 2024 विशेष सचिव (पर्यटन और सीए) ने पूरक हलफनामा दायर किया है. इसके अवलोकन से पता चलता है कि प्रतिवादी-राज्य ने पहले ही भूमि अधिग्रहण के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है और कुछ मामलों में पैसे भी दे दिए हैं. कोर्ट ने पाया कि कुछ मामलों में भूमि अधिग्रहण कलेक्टर द्वारा अवार्ड पारित किया गया है, लेकिन आज तक भारत सरकार द्वारा वन भूमि के डायवर्सन के संबंध में आवश्यक अनुमति प्रदान नहीं की गई है. अब मामले की सुनवाई 24 दिसंबर को होगी.

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