शिमला: धर्मशाला से चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी सुधीर शर्मा की तरफ से सुखविंदर सिंह सुक्खू के खिलाफ दाखिल मानहानि मामले में अब सुनवाई 27 जून को होगी. दरअसल, इस मामले में सीएम सुक्खू को जारी नोटिस की तामील नहीं हो पाई. इस पर हाई कोर्ट ने नए सिरे से नोटिस तामील करवाने का निर्देश दिया. उल्लेखनीय है कि सुधीर शर्मा के आवेदन पर 2 मई को हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को नोटिस जारी किया था. नोटिस की तामील न होने के कारण न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने प्रार्थी को फिर से नोटिस की तामील करवाने के लिए जरूरी कदम उठाने के आदेश दिए.
प्रार्थी ने इस मामले में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को उनके खिलाफ विवादित बयानबाजी करने से रोकने की मांग को लेकर अंतरिम राहत संबंधी आवेदन दायर किया है. आवेदन पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने सुधीर शर्मा को एकपक्षीय अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने अपने आदेशों में यह स्पष्ट किया था कि मामले को अति आवश्यक तौर पर सुने जाने के बाबत वादी सुधीर शर्मा की ओर से कोई विशेष कारण नहीं दिया गया है.
कोर्ट ने कहा था कि मामले पर अति आवश्यक सुनवाई को लेकर मीडिया में चार और पांच अप्रैल 2024 को प्रकाशित खबरों को आधार बनाया गया है, जबकि इस मामले को 25 अप्रैल 2024 को हाईकोर्ट के समक्ष दायर किया गया है. विवादित समाचार के प्रकाशकों को प्रतिवादी बनाए बगैर आवेदन की गुणवत्ता को लेकर विचार करना अति आवश्यक है और प्रतिवादी को सुने बगैर इस मामले में एक पक्षीय अंतरिम राहत दिया जाना कानूनी तौर पर वाजिब नहीं होगा. सुधीर शर्मा का आरोप है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने भाषणों में बार-बार उन पर कीचड़ उछाला और कई अपमानजनक टिप्पणियां की है, जिससे उनकी मानहानि हुई है.
सुधीर शर्मा की ओर से दायर मामले के अनुसार सुक्खू ने सुधीर शर्मा पर कई झूठे आरोप और गलत टिप्पणियां की है. दलील है कि उन पर 15 करोड़ में बिकने के झूठे आरोप लगाए गए और सबूत होने की बात फैलाई. लेकिन सीएम एक भी सबूत पेश नहीं कर पाए. मुख्यमंत्री के बयान बाकायदा अखबार और टीवी चैनलों से लेकर सोशल मीडिया तक प्रकाशित और प्रसारित हुए हैं. सुधीर शर्मा के अनुसार इससे उनकी छवि, प्रतिष्ठा और मान की हानि हुई है.
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