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इंडस्ट्रियल यूनिट्स से 16 फीसदी से अधिक इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी वसूलने पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक - HIGH COURT ON ELECTRICITY DUTY

राज्य में स्थापित मध्यम और बड़ी औद्योगिक इकाईयों के लिए राहत भरी खबर आई है. हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देष जारी कर मध्यम और बड़ी औद्योगिक इकाईयों से साढ़े 16 फीसदी से अधिक इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी वसूलने पर रोक लगा दी है.

HIGH COURT ON ELECTRICITY DUTY
इंडस्ट्रियल यूनिट्स से 16 फीसदी से अधिक इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी वसूलने पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Apr 29, 2024, 7:41 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य में स्थापित बड़ी और मध्यम औद्योगिक इकाईयों से साढ़े 16 फीसदी से अधिक इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी वसूलने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कानून के प्रावधानों के विपरीत अधिक बिजली शुल्क वसूले जाने पर प्रदेश सरकार की तरफ से जारी निर्देश पर रोक लगाने के आदेश जारी किए.
इस संदर्भ में बीबीएन इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने अदालत में याचिका दाखिल की है. याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने यह आदेश पारित किए.

प्रार्थी संस्था के अनुसार 01 अगस्त 2015 से बड़े औद्योगिक उपभोक्ताओं और मध्यम औद्योगिक उपभोक्ताओं के संबंध में बिजली शुल्क 11 फीसदी तय किया गया था. फिर 01 सितंबर 2023 को जारी अधिसूचना के तहत इसे बढ़ाकर 17% और 19% तक कर दिया गया है. यह हिमाचल प्रदेश विद्युत (शुल्क) अधिनियम, 2009 की धारा 11 की उपधारा (2) के विपरीत है. इसके तहत राज्य सरकार अधिसूचना के माध्यम से केवल पहले से तय बिजली शुल्क में 50 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर सकती है.

कोर्ट ने प्रथम दृष्टया पाया कि बिजली की दर को 11 फीसदी से बढ़ाकर 17 फीसदी से 19 फीसदी तक करना अधिनियम की धारा 11 के विपरीत प्रतीत होता है. इसलिए प्रतिवादियों को मध्यम उद्योगों और बड़े उद्योगों के संबंध में 16.5% से अधिक बिजली शुल्क एकत्र करने से रोकने के आदेश पारित किए.

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य में स्थापित बड़ी और मध्यम औद्योगिक इकाईयों से साढ़े 16 फीसदी से अधिक इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी वसूलने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कानून के प्रावधानों के विपरीत अधिक बिजली शुल्क वसूले जाने पर प्रदेश सरकार की तरफ से जारी निर्देश पर रोक लगाने के आदेश जारी किए.
इस संदर्भ में बीबीएन इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने अदालत में याचिका दाखिल की है. याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने यह आदेश पारित किए.

प्रार्थी संस्था के अनुसार 01 अगस्त 2015 से बड़े औद्योगिक उपभोक्ताओं और मध्यम औद्योगिक उपभोक्ताओं के संबंध में बिजली शुल्क 11 फीसदी तय किया गया था. फिर 01 सितंबर 2023 को जारी अधिसूचना के तहत इसे बढ़ाकर 17% और 19% तक कर दिया गया है. यह हिमाचल प्रदेश विद्युत (शुल्क) अधिनियम, 2009 की धारा 11 की उपधारा (2) के विपरीत है. इसके तहत राज्य सरकार अधिसूचना के माध्यम से केवल पहले से तय बिजली शुल्क में 50 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर सकती है.

कोर्ट ने प्रथम दृष्टया पाया कि बिजली की दर को 11 फीसदी से बढ़ाकर 17 फीसदी से 19 फीसदी तक करना अधिनियम की धारा 11 के विपरीत प्रतीत होता है. इसलिए प्रतिवादियों को मध्यम उद्योगों और बड़े उद्योगों के संबंध में 16.5% से अधिक बिजली शुल्क एकत्र करने से रोकने के आदेश पारित किए.

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