शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने युवती को अगवा करने के आरोप में साधु को दोषी पाया है. आरोपी साधु को निचली अदालत ने साक्ष्यों को अभाव में बरी कर दिया था. मामला वर्ष 2009 का है बाद में केस हाईकोर्ट में आया. हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला पलट दिया साथ ही आरोपी साधु को दोषी करार दिया.
चूंकि आरोपी पहले ही डेढ़ साल जेल में बिता चुका था, लिहाजा दोषी करार दिए जाने के बावजूद हाईकोर्ट ने डेढ़ साल की जेल अवधि को सजा मानते हुए साधु को छोड़ दिया. हाईकोर्ट ने माना कि साधु ने डेढ़ साल जेल में बिताया है. इसी अवधि को सजा मानते हुए अदालत ने उसे दोषी करार देने के बावजूद छोड़ दिया. अदालत ने चरण दास नामक साधु को 5 हजार रुपये जुर्माना भरने की सजा भी सुनाई. मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक ठाकुर व न्यायमूर्ति राकेश कैंथला ने की.
15 साल पहले किया था युवती को अगवा:
साधु चरण दास पर आरोप था कि उसने 22 अप्रैल 2009 को युवती को अगवा किया और अपने जानकार के घर ले गया. जानकार के घर में युवती को कमरे में बंद करके रखा गया और उसके साथ दुराचार का प्रयास किया गया. शिकायत पर दोषी चरण दास के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया और उसे हिरासत में ले लिया गया. आरोपी 23 अप्रैल 2009 से 18 नवंबर 2010 तक पुलिस हिरासत में रहा फिर बिलासपुर के अतिरिक्त सेशन जज की अदालत ने 18 नवंबर 2010 को साक्ष्यों के अभाव में चरण दास को बरी कर दिया.
अभियोजन पक्ष की ओर से दोषी के खिलाफ अभियोग साबित करने के लिए 17 गवाह पेश किए गए थे. वहीं, हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि निचली अदालत के समक्ष रखे रिकॉर्ड को देखते हुए प्रार्थी के खिलाफ पीड़िता को अगवा करने का जुर्म साबित होता है. ऐसे में आरोपी को दोषी करार दिया जाता है. वहीं, डेढ़ साल की अवधि जेल में बिताने को हाईकोर्ट ने सजा माना और उसे छोड़ने के आदेश दिए.
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