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गोबिंद सागर झील में अवैध डंपिंग पर HC सख्त, दोषियों पर दंडात्मक कार्रवाई के आदेश - Illegal dumping Gobind Sagar Lake - ILLEGAL DUMPING GOBIND SAGAR LAKE

Illegal dumping Gobind Sagar Lake: गोविंद सागर झील में अवैध डंपिंग को लेकर हिमाचल हाईकोर्ट ने दोषियों पर दंडात्मक कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं. फोर-लेन विस्थापित और प्रभावित समिति के महासचिव मदन लाल की तरफ से दायर जनहित याचिका पर ये आदेश पारित किए गए हैं.

Shimla High court
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट शिमला (File photo)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 31, 2024, 10:38 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गोविंद सागर झील में अवैध डंपिंग को गंभीरता से लेते हुए दोषियों पर दंडात्मक कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं. कोर्ट ने मुख्य सचिव को कार्रवाई की निगरानी करने के आदेश देते हुए स्टेट्स रिपोर्ट भी तलब की है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कानून का उल्लंघन कर डंपिंग करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए इसे अंजाम तक ले जाने की जिम्मेवारी मुख्य सचिव की होगी.

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम एस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने फोर-लेन विस्थापित और प्रभावित समिति के महासचिव मदन लाल की तरफ से दायर जनहित याचिका पर ये आदेश पारित किए. कोर्ट ने पर्यावरण की दृष्टि से इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा सरकार के कर्ताधर्ताओं द्वारा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने का सीधा मतलब है कि वे अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्वों के निर्वहन करने में विफल रहे हैं.

कोर्ट ने कहा कि यह सरकार का संवैधानिक दायित्व है कि वह पर्यावरण को बचाने और सुधारने के पुरजोर प्रयास करे साथ ही देश के वन्य एवं जल प्राणियों की रक्षा करे. प्रार्थी के अनुसार नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने ठेकेदार को किरतपुर-मनाली सड़क को चौड़ा करने का कार्य सौंपा है. स्थानीय लोगों के कठोर विरोध के बावजूद भी भाखड़ा बांध जलाशय में अवैध रूप से सड़क का मलबा फैंका जा रहा है. इसके बारे में स्थानीय प्रशासन और एनएचएआई को कई शिकायतें की गई हैं.

प्रार्थी के अनुसार, बिलासपुर के बरमाणा और तुनहु में एम्स के पास मलबे को डंप किया जा रहा है. इसके अलावा रघुनाथपुरा-मंडी भराड़ी सड़क को चौड़ा करते समय मलबे को बिलासपुर जिले में भाखड़ा बांध के जलाशय में अवैध रूप से डंप किया जा रहा है. प्रार्थी के अनुसार, अवैध डंपिंग से न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है बल्कि, झील में मछलियों की कमी भी देखी जा रही है. इसका मुख्य कारण झील में अवैध डंपिंग से गाद के स्तर में वृद्धि है.

गाद की वजह से बिलासपुर जिले के सबसे बड़े जल निकाय गोविंद सागर में विभिन्न मछली प्रजातियों के प्रजनन को नुकसान पहुंचाया गया है. 51 मछली प्रजातियों जैसे कि सिल्वर कार्प, सिंहरा, महेसेर, और जीआईडी के साथ गोविंद सागर राज्य के महत्वपूर्ण मत्स्य पालन का केंद्र था. अवैध डंपिंग के कारण यहां अब मछलियों के प्रजनन में भी कमी दर्ज की गई है. हिमाचल प्रदेश रोड एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के ठेकेदार पर मंडवान और अन्य नालों में मलबे के ट्रक को खाली करने का आरोप लगाया गया है. प्रार्थी ने अदालत से गुहार लगाई है कि गोविंद सागर में अवैध डंपिंग पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई जाए और दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए.

ये भी पढ़ें: विश्व का सबसे ऊंचा पोलिंग बूथ टशीगंग, यहां पहुंचना किला फतह करने से कम नहीं, जानें खासियत

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गोविंद सागर झील में अवैध डंपिंग को गंभीरता से लेते हुए दोषियों पर दंडात्मक कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं. कोर्ट ने मुख्य सचिव को कार्रवाई की निगरानी करने के आदेश देते हुए स्टेट्स रिपोर्ट भी तलब की है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कानून का उल्लंघन कर डंपिंग करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए इसे अंजाम तक ले जाने की जिम्मेवारी मुख्य सचिव की होगी.

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम एस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने फोर-लेन विस्थापित और प्रभावित समिति के महासचिव मदन लाल की तरफ से दायर जनहित याचिका पर ये आदेश पारित किए. कोर्ट ने पर्यावरण की दृष्टि से इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा सरकार के कर्ताधर्ताओं द्वारा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने का सीधा मतलब है कि वे अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्वों के निर्वहन करने में विफल रहे हैं.

कोर्ट ने कहा कि यह सरकार का संवैधानिक दायित्व है कि वह पर्यावरण को बचाने और सुधारने के पुरजोर प्रयास करे साथ ही देश के वन्य एवं जल प्राणियों की रक्षा करे. प्रार्थी के अनुसार नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने ठेकेदार को किरतपुर-मनाली सड़क को चौड़ा करने का कार्य सौंपा है. स्थानीय लोगों के कठोर विरोध के बावजूद भी भाखड़ा बांध जलाशय में अवैध रूप से सड़क का मलबा फैंका जा रहा है. इसके बारे में स्थानीय प्रशासन और एनएचएआई को कई शिकायतें की गई हैं.

प्रार्थी के अनुसार, बिलासपुर के बरमाणा और तुनहु में एम्स के पास मलबे को डंप किया जा रहा है. इसके अलावा रघुनाथपुरा-मंडी भराड़ी सड़क को चौड़ा करते समय मलबे को बिलासपुर जिले में भाखड़ा बांध के जलाशय में अवैध रूप से डंप किया जा रहा है. प्रार्थी के अनुसार, अवैध डंपिंग से न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है बल्कि, झील में मछलियों की कमी भी देखी जा रही है. इसका मुख्य कारण झील में अवैध डंपिंग से गाद के स्तर में वृद्धि है.

गाद की वजह से बिलासपुर जिले के सबसे बड़े जल निकाय गोविंद सागर में विभिन्न मछली प्रजातियों के प्रजनन को नुकसान पहुंचाया गया है. 51 मछली प्रजातियों जैसे कि सिल्वर कार्प, सिंहरा, महेसेर, और जीआईडी के साथ गोविंद सागर राज्य के महत्वपूर्ण मत्स्य पालन का केंद्र था. अवैध डंपिंग के कारण यहां अब मछलियों के प्रजनन में भी कमी दर्ज की गई है. हिमाचल प्रदेश रोड एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के ठेकेदार पर मंडवान और अन्य नालों में मलबे के ट्रक को खाली करने का आरोप लगाया गया है. प्रार्थी ने अदालत से गुहार लगाई है कि गोविंद सागर में अवैध डंपिंग पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई जाए और दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए.

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