पटना: पटना हाईकोर्ट में नीतीश सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं किये जाने के मामले और पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन मामले की सुनवाई 15 मार्च 2024 को होगी. रंजीत पंडित की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने हलफनामा दायर किया. इस जनहित याचिका में ये आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार के कई विभागों द्वारा उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं जमा किया गया है.
पटना हाईकोर्ट में सुनवाई: याचिकाकर्ता रंजीत पंडित के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि ये राशि लगभग एकहत्तर हजार करोड़ रुपये का हैं. जिसका उपयोगिता प्रमाणपत्र अबतक नहीं दायर किया गया है. कोर्ट ने अकाउंटेंट जनरल के पक्ष प्रस्तुत कर रहे अधिवक्ता से जानना चाहा था कि इस सन्दर्भ में अकाउंटेंट जनरल की क्या शक्तियां हैं.
अब 15 मार्च को होगी अगली सुनवाई: पटना हाईकोर्ट में पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अकाउंटेंट जनरल को हलफनामा दायर कर बताने को कहा था कि सन 2003-04 से 2018-19 तक का उपयोगिता प्रमाणपत्र राज्य सरकार व उनके विभागों द्वारा क्यों नहीं प्रस्तुत किये गए. कोर्ट ने जानना चाहा था कि उन्होंने अपने शक्तियों का प्रयोग क्यों नहीं किया. इस मामले पर अगली सुनवाई 15 मार्च 2024 को होगी.
पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन मामले की सुनवाई: वहीं पटना हाईकोर्ट ने पाटलिपुत्र रेल स्टेशन क जोड़ने वाली सड़कों के निर्माण व बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के मामलेपर सुनवाई की. भरत प्रसाद सिंह की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को जवाब दायर करने के दो सप्ताह का समय दिया. कोर्ट को बताया गया था कि एम्स एलिवेटेड रोड को स्टेशन तक बढ़ाने की योजना हैं, ताकि यात्री सीधे स्टेशन पहुंच सके.
पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन को चारों ओर से जोड़ने की योजना: पश्चिम की तरफ से दानापुर और गोला रोड की ओर से आने वाले यात्रियों के लिए नहर की सड़क को चौड़ा किये जाने की योजना है. याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि पाटलिपुत्र स्टेशन का निर्माण तो काफी पहले ही हो गया था, लेकिन वहां तक सभी ओर से पहुंचने के लिए सड़कें नहीं होने के कारण यात्रियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
नागरिकों के लिए बुनियादी सुविधाएं नहीं: कोर्ट को यह भी बताया गया कि पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन पर रेलों का परिचालन काफी पहले ही प्रारम्भ हो गया है, लेकिन नागरिकों के लिए बुनियादी सुविधाएं पूरी तरह उपलब्ध नहीं हो सकी है. इस मामले पर पुनः 15 मार्च 2024 को सुनवाई की जाएगी.
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