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बिहार की अदालतों में वकीलों के लिए सुविधाओं पर HC ने सरकार से मांगी प्रगति रिपोर्ट - Lack of basic facilities in court

Patna High Court : ये बात तो अक्सर ही सुर्खियां बटोरती है कि कोर्ट में कई केस लंबित पड़े हैं. बिहार में विडंबना इस बात की भी है कि यहां पर अधिवक्ताओं के लिए कोर्ट में बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है. इसपर कोर्ट ने सरकार से प्रगति रिपोर्ट मांगा है. पढ़ें पूरी खबर.

Patna High Court Etv Bharat
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 12, 2024, 3:28 PM IST

पटना : पटना हाईकोर्ट ने राज्य की अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था एवं अन्य बुनियादी सुविधाओं के अभाव के मामले पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ ने वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को अगली सुनवाई में प्रगति रिपोर्ट देने का निर्देश दिया.

'13 स्थानों के लिए टेंडर किया गया है जारी' : पूर्व की सुनवाई में कोर्ट के समक्ष राज्य सरकार की ओर से कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया था. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया था कि 13 स्थानों के लिए वकीलों के लिए भवन निर्माण और बुनियादी सुविधाओं के लिए टेंडर जारी कर दिया गया. बाकी अन्य जिलों में भी कार्रवाई चल रही है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को ये भी बताने को कहा था कि राज्य के 38 जिलों में से कितने जिलों में वकीलों के भवन निर्माण के लिए जिलाधिकारियों ने भूमि चिन्हित कर भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई पूरी कर ली है.

'अधिवक्ताओं के लिए बैठने तक की पर्याप्त व्यवस्था नहीं' : याचिकाकर्ता वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा ने कोर्ट को बताया था कि भवनों का निर्माण राज्य सरकार के भवन निर्माण भवन निर्माण विभाग करें, तो काम तेजी से हो सकेगा. ठेकेदारी के काम में बिलम्ब होने के अलावे लागत भी ज्यादा आएगी. याचिकाकर्ता का कहना था कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है. अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते हैं, लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध हैं.

22 मार्च को अगली सुनवाई : याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि वकीलों के लिये शुद्ध पेय जल,शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं होती हैं. अदालतों के भवन के लिए जहां भूमि उपलब्ध भी है, वहां भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है. जहां भूमि उपलब्ध करा दिया गया है, वहां कार्य प्रारम्भ नहीं तो पाया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 22 मार्च 2024 को की जाएगी.

पटना : पटना हाईकोर्ट ने राज्य की अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था एवं अन्य बुनियादी सुविधाओं के अभाव के मामले पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ ने वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को अगली सुनवाई में प्रगति रिपोर्ट देने का निर्देश दिया.

'13 स्थानों के लिए टेंडर किया गया है जारी' : पूर्व की सुनवाई में कोर्ट के समक्ष राज्य सरकार की ओर से कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया था. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया था कि 13 स्थानों के लिए वकीलों के लिए भवन निर्माण और बुनियादी सुविधाओं के लिए टेंडर जारी कर दिया गया. बाकी अन्य जिलों में भी कार्रवाई चल रही है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को ये भी बताने को कहा था कि राज्य के 38 जिलों में से कितने जिलों में वकीलों के भवन निर्माण के लिए जिलाधिकारियों ने भूमि चिन्हित कर भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई पूरी कर ली है.

'अधिवक्ताओं के लिए बैठने तक की पर्याप्त व्यवस्था नहीं' : याचिकाकर्ता वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा ने कोर्ट को बताया था कि भवनों का निर्माण राज्य सरकार के भवन निर्माण भवन निर्माण विभाग करें, तो काम तेजी से हो सकेगा. ठेकेदारी के काम में बिलम्ब होने के अलावे लागत भी ज्यादा आएगी. याचिकाकर्ता का कहना था कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है. अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते हैं, लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध हैं.

22 मार्च को अगली सुनवाई : याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि वकीलों के लिये शुद्ध पेय जल,शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं होती हैं. अदालतों के भवन के लिए जहां भूमि उपलब्ध भी है, वहां भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है. जहां भूमि उपलब्ध करा दिया गया है, वहां कार्य प्रारम्भ नहीं तो पाया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 22 मार्च 2024 को की जाएगी.

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