देहरादूनः उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाएं हमेशा से ही सवालों के घेरे में रहती आयी हैं. सरकार प्रदेश में अस्पतालों का उच्चीकरण करने के साथ ही भले ही तमाम सुविधाएं उपलब्ध करा रही हो, लेकिन अधिकारियों के औचक निरीक्षण में तमाम अस्पतालों की पोल भी खुलती नजर आई है. प्रदेश में लगातार डॉक्टरों की देखी जा रही लापरवाही को लेकर अब स्वास्थ्य विभाग सख्त रुख अपनाने जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग डॉक्टर्स को अपने कर्तव्य और उनकी जवाबदेही तय किए जाने को लेकर एसओपी तैयार करने पर विचार कर रहा है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत से खास बातचीत की है.
लावारिस हालत में मिला था अस्पताल: उत्तराखंड के खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सवाल उठते रहे हैं. 30 सितंबर 2024 को पौड़ी में भी ऐसा ही मामला सामने आया था. जिलाधिकारी आशीष चौहान ने थलीसैंण स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का औचक निरीक्षण किया तो सीएचसी में तमाम खामियां मिली थी. अपस्ताल में एक भी कर्मचारी मौजूद नहीं था. बायो मेडिकल वेस्ट भी बेतरतीब ढंग से फेंका हुआ था. अस्पताल में ओपीडी रजिस्टर और उपकरण खुले छोड़े हुए थे. इस पर डीएम ने गैरहाजिर डॉक्टरों और कर्मचारियों के वेतन रोकने के निर्देश दिए थे.
ऋषिकेश अस्पताल में नदारद मिले थे डॉक्टर्स: इसी तरह मैदानी क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाल स्थिति देखी जाती रही है. 4 अक्टूबर 2024 को देहरादून जिलाधिकारी सविन बंसल ने ऋषिकेश स्थित राजकीय चिकित्सालय का औचक निरीक्षण किया था. इस दौरान सीएमएस सहित पांच डॉक्टर्स अपने कमरे से नदारद दिखाई दिए. जिस पर डीएम ने तत्काल उनका वेतन रोकने के निर्देश दिए थे. यही नहीं, अस्पताल परिसर में साफ-सफाई की व्यवस्था ठीक न होने पर अधिकारियों को फटकार लगाते हुए सफाई एजेंसी पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था.
एक साल में डॉक्टर ने नहीं किया एक भी ऑपरेशन: हैरानी की बात है कि राजधानी देहरादून के सीएचसी में भी कुछ इसी तरह के हाल हैं. 8 अक्टूबर को मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. संजय जैन ने देहरादून के रायपुर स्थिति सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण किया. इस दौरान अस्पताल की सफाई व्यवस्था को लेकर मुख्य चिकित्साधिकारी ने नाराजगी व्यक्त करते हुए चिकित्सा अधीक्षक डॉ. पीएस रावत को साफ-सफाई का विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए थे. यही नहीं, जब मुख्य चिकित्साधिकारी ने रिकॉर्ड चेक किया तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि सीएचसी रायपुर में संविदा पर तैनात सर्जन डॉ. प्रशांत सक्सेना ने पिछले एक साल में एक भी ऑपरेशन नहीं किया. जिसपर मुख्य चिकित्साधिकारी ने सख्त निर्देश दिए कि अगर जरूरतमंद मरीजों के आपरेशन नहीं किए जाते हैं, तो उनकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी.
हर साल मिलेंगे 1300 डॉक्टर्स: वहीं, ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज शुरू हो चुका है. इस साल से हरिद्वार मेडिकल कॉलेज भी शुरू हो गया है. इसी क्रम में साल 2025 में रुद्रपुर मेडिकल कॉलेज और फिर 2026 में पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज शुरू किया जाएगा. जिससे हर साल करीब 1300 डॉक्टर विभाग को मिलेंगे. जबकि तीन साल के लिए डॉक्टर्स की जरूरत होती है. ऐसे में उत्तराखंड देश का ऐसा राज्य बन जाएगा, जहां डॉक्टर्स की कमी नहीं रहेगी. इसके साथ ही 1500 नर्स की भर्ती की जा चुकी है. इसी महीने 1500 और नर्स को नियुक्ति दी जाएगी. प्रदेश में एएनएम और डॉक्टर्स पर्याप्त संख्या में तैनात हैं, जबकि मेडिकल कॉलेज में 70 फीसदी फैकल्टी मौजूद है. जल्द ही लैब टेक्नीशियन को नियुक्ति देने जा रहे हैं.
शुरू होगी एयर एंबुलेंस: स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश में मेडिकल स्टाफ की कमी नहीं है. एक साल में अभी तक 12 लाख लोगों का फ्री इलाज किया जा चुका है. एक साल में करीब 45 लाख लोगों की फ्री जांच आयुष्मान समेत कई योजनाओं में कराई जा चुकी है. जल्द ही प्रदेश में एयर एंबुलेंस की सेवा शुरू होने जा रही है. ऐसे में उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य होगा, जहां गंभीर मरीजों को निशुल्क एयर एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.
अस्पतालों में डॉक्टर की बायोमेट्रिक हाजिरी: मंत्री ने कहा कि डॉक्टर्स समय पर अस्पतालों में पहुंचें, इसके लिए बायोमेट्रिक हाजिरी भी शुरू की गई है. ऐसे में उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां डॉक्टर्स के साथ ही विभागाध्यक्षों की बायोमेट्रिक के जरिए हाजिरी लगाई जा रही है. स्वास्थ्य विभाग रोजाना 39 हजार लोगों का निःशुल्क इलाज कर रहा है. ऐसे में अब विभाग की कोशिश है कि एक भी मरीज जिला अस्पताल से रेफर न हो, इसके लिए विशेषज्ञ डॉक्टर्स की तैनाती की जा रही है. लिहाजा, अगले दो सालों में विशेषज्ञ डॉक्टर्स की कमी भी पूरी हो जाएगी.
डॉक्टर्स के लिए जारी की जाएगी एसओपी: स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि हर विभाग के लिए एसओपी जारी कर चुके हैं. ऐसे में अब डॉक्टर्स के लिए भी एसओपी जारी की जाएगी. इस एसओपी के तहत डॉक्टर्स को 24 घंटे अस्पताल में उपलब्ध रहना होगा. अगर किसी कारणवश अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं, तो ऑन कॉल रहना होगा. जिन अस्पतालों में स्टाफ की कमी है, वहां पर स्टाफ की कमी को दूर किया जा रहा है. ताकि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल सके. साथ ही कहा कि डॉक्टरों की एसओपी तैयार करने के लिए जल्द ही डॉक्टर्स एसोसिएशन के साथ बैठक की जाएगी. ताकि डॉक्टर्स के कर्तव्य और जनता के साथ जवाबदेही तय की जा सके. हालांकि, प्रदेश के डॉक्टर्स बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन जो गिने चुके डॉक्टर्स ऐसा कर रहे हैं, उसको संज्ञान में लिया जाएगा.
टेलीमेडिसिन के लिए एमओयू: मंत्री ने कहा कि प्रदेश में टेलीमेडिसिन की सुविधा बहुत अच्छी चल रही है. हर महीने करीब 60 से 70 हजार लोगों को टेलीमेडिसिन की सुविधा दे रहे हैं. टेलीमेडिसिन की सुविधा को और बेहतर करने के लिए एम्स ऋषिकेश के साथ एमओयू किया गया है. इसके अलावा देश के जो अच्छे हॉस्पिटल हैं, उनके साथ ही टेलीमेडिसिन की सुविधा को लेकर एमओयू करने जा रहे हैं. ताकि अच्छे से अच्छे डॉक्टर्स को टेलीमेडिसिन के साथ जोड़ सकें.
धामों में बन रहे अस्पताल: उत्तराखंड चारधाम की यात्रा जोर शोर से चल रही है. मई महीने में चारों धामों के कपाट खुलने के बाद से 22 अक्टूबर तक स्वास्थ्य खराब होने की वजह से 237 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है. जिसके सवाल पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि चारधाम यात्रा के दौरान करीब 300 मरीजों की जान बचाने का काम स्वास्थ्य विभाग ने किया है. जब किसी मरीज की क्रिटिकल स्थिति होती है तो उसको एयरलिफ्ट कर एम्स या फिर मेडिकल कॉलेज में उपचार के लिए भेजा जाता है. यात्रा मार्गों पर जितने भी श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य खराब होने की वजह से मौतें हुई हैं, उनकी मौतें अस्पतालों में नहीं हुई हैं. हालांकि, यात्रा मार्गों पर 24 घंटे स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा रही हैं. बदरीनाथ और केदारनाथ धाम में 50-50 बेड के हॉस्पिटल बन रहे हैं, जो अगले साल से स्वास्थ्य सुविधाएं देने लग जाएंगे.
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