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Delhi: 'यमुना में प्रदूषण के लिए दिल्ली सरकार जिम्मेदार...' केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा का बड़ा आरोप

*हर्ष मल्होत्रा ने दिल्ली के कालिंदी कुंज यमुना नदी का किया दौरा. *मंत्री ने यमुना में बेतहाशा फैल रहे झाग की समस्या पर जताई चिंता.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 19, 2024, 2:05 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति गंभीर बनी हुई है, न केवल वायुमंडलीय प्रदूषण बल्कि यमुना नदी की भी बदहाली स्पष्ट नजर आ रही है. शनिवार को कालिंदी कुंज यमुना घाट पर पहुंचने वाले केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने यमुना में फैले झाग को लेकर चिंता जताई और दिल्ली सरकार को सख्त लहजे में जिम्मेदार ठहराया.

यमुना का दयनीय हाल: यमुना नदी, जो एक समय में जीवनदायिनी मानी जाती थी, अब प्रदूषण के कारण गंभीर संकट में है. शनिवार सुबह से ही यमुना के सतह पर झाग का जमाव साफ तौर पर दिखाई दे रहा था. यह स्थिति लंबे समय से बनी हुई है, विशेष रूप से ठंड के मौसम में जबकि दिल्ली का वायुमंडलीय प्रदूषण भी तेजी से बढ़ता है.

हर साल अक्टूबर और नवंबर के महीने में यमुना की यह मर्मान्तक स्थिति दिखाई देती है, लेकिन अब तक कोई ठोस उपाय नहीं किए गए हैं. इसके लिए सरकारों की विभिन्न योजनाओं और दावों के बावजूद, यमुना की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है.

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर: केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) पर निशाना साधते हुए कहा कि, "यदि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर कम नहीं हुआ है और यमुना की स्थिति भी बदतर बनी हुई है, तो इसके लिए पार्टी के नेता, विशेष रूप से अरविंद केजरीवाल और आतिशी, जिम्मेदार हैं. मल्होत्रा ने यह भी सवाल उठाया कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए निर्धारित करोड़ों रुपयों का क्या हुआ."

यह भी पढ़ें- Delhi: Chhath Puja 2024: यमुना में झाग, पूर्वांचलियों का सवाल, हम कैसे मनाएंगे छठ

राजनीति में प्रदूषण और यमुना की सफाई के मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप का यह दौर नई बात नहीं है. पिछले कई वर्षों से यह मुद्दा राजनीतिक बहस का विषय बना हुआ है, जिससे आम जनता की वास्तविक स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ता.

यमुना की स्थितियों में सुधार के लिए प्रयास: यमुना नदी की सफाई और संरक्षण के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं, लेकिन दावे हमेशा की तरह हवा में ही खो जाते हैं. नदी के जल और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के लिए ठोस नीतियों की आवश्यकता है. सरकारों को चाहिए कि वे एक ठोस रणनीति बनाएं और उस पर सच्चे मन से कार्य करें, ताकि यमुना एक बार फिर से साफ-स्वच्छ और जीवनदायिनी बन सके. यमुना की इस बदहाली और दिल्ली के प्रदूषण की समस्या को केवल राजनीतिक बयानों से नहीं, बल्कि ठोस कदम उठाने से ही हल किया जा सकता है.

यह भी पढ़ें- यह भी पढ़ें- दिल्ली में हवा के साथ पानी भी 'जहरीला' ! यमुना की सतह पर नजर आया सफेद झाग

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति गंभीर बनी हुई है, न केवल वायुमंडलीय प्रदूषण बल्कि यमुना नदी की भी बदहाली स्पष्ट नजर आ रही है. शनिवार को कालिंदी कुंज यमुना घाट पर पहुंचने वाले केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने यमुना में फैले झाग को लेकर चिंता जताई और दिल्ली सरकार को सख्त लहजे में जिम्मेदार ठहराया.

यमुना का दयनीय हाल: यमुना नदी, जो एक समय में जीवनदायिनी मानी जाती थी, अब प्रदूषण के कारण गंभीर संकट में है. शनिवार सुबह से ही यमुना के सतह पर झाग का जमाव साफ तौर पर दिखाई दे रहा था. यह स्थिति लंबे समय से बनी हुई है, विशेष रूप से ठंड के मौसम में जबकि दिल्ली का वायुमंडलीय प्रदूषण भी तेजी से बढ़ता है.

हर साल अक्टूबर और नवंबर के महीने में यमुना की यह मर्मान्तक स्थिति दिखाई देती है, लेकिन अब तक कोई ठोस उपाय नहीं किए गए हैं. इसके लिए सरकारों की विभिन्न योजनाओं और दावों के बावजूद, यमुना की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है.

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर: केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) पर निशाना साधते हुए कहा कि, "यदि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर कम नहीं हुआ है और यमुना की स्थिति भी बदतर बनी हुई है, तो इसके लिए पार्टी के नेता, विशेष रूप से अरविंद केजरीवाल और आतिशी, जिम्मेदार हैं. मल्होत्रा ने यह भी सवाल उठाया कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए निर्धारित करोड़ों रुपयों का क्या हुआ."

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राजनीति में प्रदूषण और यमुना की सफाई के मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप का यह दौर नई बात नहीं है. पिछले कई वर्षों से यह मुद्दा राजनीतिक बहस का विषय बना हुआ है, जिससे आम जनता की वास्तविक स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ता.

यमुना की स्थितियों में सुधार के लिए प्रयास: यमुना नदी की सफाई और संरक्षण के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं, लेकिन दावे हमेशा की तरह हवा में ही खो जाते हैं. नदी के जल और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के लिए ठोस नीतियों की आवश्यकता है. सरकारों को चाहिए कि वे एक ठोस रणनीति बनाएं और उस पर सच्चे मन से कार्य करें, ताकि यमुना एक बार फिर से साफ-स्वच्छ और जीवनदायिनी बन सके. यमुना की इस बदहाली और दिल्ली के प्रदूषण की समस्या को केवल राजनीतिक बयानों से नहीं, बल्कि ठोस कदम उठाने से ही हल किया जा सकता है.

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