ग्वालियर: जैसे जैसे आयकर-लोकायुक्त और ईडी जांच एजेंसियों की कार्रवाइयां आगे बढ़ रही हैं, वैसे वैसे आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा की मुसीबत भी बढ़ती जा रही हैं. सौरभ भले ही दुबई में छिपकर बैठा है लेकिन मध्यप्रदेश में उसके चिट्ठे खुलते जा रहे हैं. पता चला है कि परिवहन विभाग से VRS ले चुके सौरव शर्मा की नियुक्ति ही फर्जी तरीके से हुई थी. ये मुद्दा ग्वालियर के RTI एक्टिविस्ट संकेत साहू ने उठाया है.
सौरभ शर्मा के पास से करोड़ों का कैश, प्रॉपर्टी का खुलासा
सौरभ शर्मा इस समय देश में सबसे चर्चित नामों में से एक है. क्योंकि परिवहन विभाग के इस पूर्व सिपाही की तलाश आईटी-ईडी-लोकायुक्त के साथ पुलिस को भी है. अब तक उसके पास से करोड़ों रुपये कैश, सोना, जेवरात और प्रॉपर्टी का खुलासा हो चुका है. उसकी फर्जी नियुक्ति की बात भी सामने आ चुकी है और इस मामले में ना सिर्फ सौरभ शर्मा बल्कि उसकी मां उमा शर्मा पर तथ्य छिपाकर अनुकंपा नियुक्ति कराने का आरोप लगा है.
ऐसे में पूर्व अधिकारियों पर सवाल खड़े हो गए हैं. क्योंकि इनके खिलाफ जांच के लिए एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने लोकायुक्त एसपी से शिकायत की है. बल्कि दो दिन बाद इस संबंध में कोर्ट में भी मामला ले जाने की बात कही है.
सौरभ शर्मा की नियुक्ति फर्जी होने का आरोप
संकेत साहू ने ग्वालियर लोकायुक्त SP को शिकायत पत्र सौंपकर इस नियुक्ति की जांच कराने की बात कही है. संकेत साहू का कहना है कि, ''परिवहन विभाग में सौरव शर्मा की नियुक्ति हुई थी वह पूरी तरह फर्जी थी. सौरव शर्मा के पिता डॉक्टर आरके शर्मा की मृत्यु के बाद 2016 में उसने अधिकारियों के साथ मिलकर फर्जी तरीके से नौकरी हासिल कर ली थी.''
बड़े भाई की सरकारी नौकरी, एफिडेबिट में दी थी गलत जानकारी
संकेत साहू का कहना है कि, ''सौरभ शर्मा का बड़ा भाई सचिन शर्मा, पिता डॉक्टर RK शर्मा की मृत्यु (2015) से दो साल पहले ही 04 सितंबर 2013 को छत्तीसगढ़ में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर नियुक्त हो कर शासकीय सेवा में आ चुका था. लेकिन सौरभ शर्मा की नियुक्ति के दौरान अनुकंपा नियुक्ति के लिए दिए गए शपथ पत्र में सौरभ की मां उमा शर्मा ने 12 जुलाई 2016 को यह लिख कर दिया था की उनका बड़ा बेटा सचिन शर्मा नौकरी करता है लेकिन शासकीय सेवक नहीं है.''
''ऐसे में उनके द्वारा दिया गया शपथ पत्र पूरी तरह फर्जी था. क्योंकि अनुकंपा नियुक्ति संबंधी शासकीय नियमावली के अनुसार, अनुकंपा नियुक्ति उसी व्यक्ति को मिल सकती है जिसके परिवार और कुटुम्ब मैं कोई सरकारी नौकरी में न हो.''
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पूर्व अधिकारियों के खिलाफ जांच की मांग की
RTI एक्टिविस्ट संकेत साहू कहते हैं कि, ''इस पूरे मामले में फर्जी नियुक्ति के लिए न सिर्फ सौरभ शर्मा और उसकी मा उमा शर्मा दोषी हैं बल्कि उस समय अनुकंपा नियुक्ति का प्रस्ताव बनाकर भेजने वाले कई अधिकारी भी दोषी हैं. क्योंकि बिना किसी भौतिक सत्यापन के यह प्रस्ताव कैसे भेजा गया और नियुक्ति कैसे कराई गई ये बड़ा सवाल है.''
इसलिए उन्होंने इस मामले में शामिल सभी व्यक्तियों की भूमिका की जांच कर दोषियों के खिलाफ मुकदमा कायम करने के लिए आवेदन दिया है. संकेत साहू का यह भी कहना है कि, ''अगर दो दिन के अंदर रविवार तक लोकायुक्त SP इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं करते हैं तो सोमवार को वे न्यायालय में इस केस को लेकर परिवाद दायर करेंगे.''