गोरखपुर: 02 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के साथ साथ उनके सबसे बड़े अनुयायी और पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री जी की भी जयंती हैं. जय जवान, जय किसान का नारा बुलंद करने वाले शास्त्री जी का देश को अन्न उत्पादन में आत्म निर्भर बनाने में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है. सत्तर के दशक में जब उनका गोरखपुर आगमन हुआ था. तब उन्होंने वर्तमान के टाउनहाल के मैदान से लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि, देश को अन्न उत्पादन में मजबूत बनाने के लिए हम सभी को कठिन मेहनत करनी होगी. भूखों को भी भोजन मिले इसलिए एक टाइम का भोजन करना होगा और हर जगह और समय का उपयोग अन्न उत्पादन के लिए करना होगा. पाकिस्तान पर ऐतिहासिक विजय हासिल करने के बाद गोरखपुर में भी कहा कि संदूक (बॉक्स) में भी अन्न और सब्जी उगाओ, कपड़े को पोटली में दो बांध, यह समय की जरूरत है. शास्त्री जी के आह्वान पर गोरखपुर इलाके के लोगों ने अन्न उत्पादन में बड़ी पहल की, गोरखपुर रेलवे ने भी अपनी खाली जमीन पर रिकॉर्ड फसल का उत्पादन किया था.
गोरखपुर के वरिष्ठ पत्रकार और अर्थशास्त्री डॉ. मुमताज खान ने कहा कि, शास्त्री जी के गोरखपुर आगमन और उनके ओर से लोगों के बीच, अन्न उत्पादन को लेकर दिए गए भाषण की कहानी, उन्होंने अपने मामा जी से सुनी थी. शास्त्री जी ने देश को खाद्यान्न के साथ सामरिक शक्तियों में समृद्ध बनाने के लिए प्रयास किया था. उन्होने कहा कि रेलवे के रिकॉर्ड बताते हैं कि 1965 के अंत में पाकिस्तान से युद्ध के बाद उन्होंने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था, तो इसका असर पूर्वोत्तर रेलवे में बड़े स्तर पर हुआ. खाली पड़ी जमीन पर रेलवे ने भी खेती शुरू किया जिसमें रेलवे अफसरों के बंगले की खाली जमीन भी शामिल थी. पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन के पास मौजूद दस्तावेजों के मुताबिक 10 अक्तूबर 1965 को, तत्कालीन प्रधानमंत्री शास्त्री जी ने देश से अपील की थी कि, सेना के जवानों के लिए अनाज का भंडारण बेहद जरूरी है. ऐसे में उन्होंने सभी छोटी-बड़ी सरकारी जमीनों पर अनाज और सब्जियों की खेती का सुझाव दिया था.
शास्त्री जी के आह्वान का असर यह हुआ कि 48 घंटे में पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने निर्णय लिया कि, खाली पड़ी जमीनों पर गेहूं-आलू, अफसरों के बंगले पर सब्जियों की खेती की जाएगी. इसकी शुरुआत सबसे पहले गोरखपुर में हुई. इसके बाद नवंबर 1965 तक हर जगह खेती शुरू कर दी गई थी. 31 जनवरी 1966 को रेलवे बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन ने गोरखपुर का दौरा किया था और गेहूं, आलू, सब्जियों को देखकर हैरत में पड़ गये. गोरखपुर क्षेत्र से ही 320 क्विंटल गेहूं और 400 क्विंटल आलू का उत्पादन किया गया था. इस प्रयास को पूरे देश में सराहा गया था. डॉ. मुमताज खान के मुताबिक, इसके अलावा गोरखपुर शहर और आसपास के गांव में भी शास्त्री जी के संदेश का बड़ा असर हुआ और लोगों ने अपने बॉक्स से कपड़े निकाल कर उसमें मिट्टी भरकर सब्जियां उगाने का कार्य किया था.
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