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आरएसएस के 1994 में तैयार एजेंडे पर काम कर रही मोदी सरकार, आदिवासियत खत्म कर हिन्दू राष्ट्र बनाने की हो रही साजिश: गीताश्री उरांव

Geeta Shree Oraon protest. कांग्रेस नेता गीताश्री उरांव ने अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के बैनर तले मोरहाबादी मैदान से लेकर राजभवन तक मार्च किया. इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी आदिवासियों को खत्म करना चाहती है और देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की साजिश की जा रही है.

Soldier Akash injured in Naxalite attack
Soldier Akash injured in Naxalite attack
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 8, 2024, 8:26 PM IST

Updated : Feb 8, 2024, 9:54 PM IST

गीताश्री उरांव का बयान

रांची: 11 फरवरी 2024 को भारतीय जनता पार्टी रांची में जनजातीय सम्मेलन कर रही है. इसके जरिए आदिवासी समुदाय को यह मैसेज दिया जा रहा है कि केंद्र सरकार के कार्यकाल में जनजातीय समाज के लिए बहुत काम हुआ है. जाहिर है कि इसमें भाजपा एक आदिवासी मुख्यमंत्री से लेकर राष्ट्रपति बनाने और मंत्रिमंडल में 08 जनजातीय समुदाय के लोगों को मंत्री बनाने की बात को जोर शोर से प्रचारित करेगी.

भाजपा के इस आयोजन से पहले आज राज्य की पूर्व शिक्षामंत्री और कांग्रेस नेता गीताश्री उरांव सड़क पर उतरी. अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के बैनर तले सड़क पर उतरी गीताश्री उरांव ने मोरहाबादी से लेकर राजभवन तक मार्च किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि केंद्र की सरकार ने हमारी पहचान को ही खत्म कर दिया है. रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के फार्म से हमारा कॉलम कोड हटाकर भाजपा की सरकार ने आदिवासियों के इतिहास और गौरवमय विरासत को ही समाप्त करने की कोशिश की है.

गीताश्री उरांव ने कहा कि किस तरह से मणिपुर में संस्थागत हिंसा के शिकार हुए कुकी समुदाय को लेकर प्रधानमंत्री ने एक शब्द नहीं कहा, चुनाव खत्म होते ही छत्तीसगढ़ में जंगल काटे जा रहे हैं. गीताश्री उरांव ने कहा कि जब वह 2021 में रजिस्ट्रार जेनरल ऑफ इंडिया के दफ्तर गयीं तो उनसे कहा गया कि धर्म के आधार पर कोई गणना नहीं होगी. लेकिन जो फार्म दिया गया उसमें हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध और जैन का कोड था, लेकिन ऑथर्स यानि अन्य का कोड नहीं था.

इसी तरह 2023 में आठवीं क्लास के छात्रों के लिए राष्ट्रीय वजीफा के लिए जो फार्म दिया गया है उसमें भी हमारा कोड/कॉलम नहीं है. ऐसे में 15 फरवरी को JAC कार्यालय का भी विभिन्न आदिवासी संगठन घेराव करेंगे.

लगातार होती रही है अलग सरना धर्म कोड की मांग: पूर्व शिक्षामंत्री और कांग्रेसी नेता गीताश्री उरांव ने कहा कि देशभर में 10 करोड़ से अधिक की जनजातीय आबादी अपनी पहचान को बचाये रखने के लिए अलग सरना धर्म कोड की मांग कर रहे हैं. ऐसे में सरना धर्म कोड देने की जगह एक अन्य वाला कॉलम भी समाप्त कर आदिवासियत की पहचान समाप्त करने की कोशिश की जा रही है, जिसका विरोध और लोगों में जागरूकता कार्यक्रम तेज किया जाएगा.

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गीताश्री उरांव का बयान

रांची: 11 फरवरी 2024 को भारतीय जनता पार्टी रांची में जनजातीय सम्मेलन कर रही है. इसके जरिए आदिवासी समुदाय को यह मैसेज दिया जा रहा है कि केंद्र सरकार के कार्यकाल में जनजातीय समाज के लिए बहुत काम हुआ है. जाहिर है कि इसमें भाजपा एक आदिवासी मुख्यमंत्री से लेकर राष्ट्रपति बनाने और मंत्रिमंडल में 08 जनजातीय समुदाय के लोगों को मंत्री बनाने की बात को जोर शोर से प्रचारित करेगी.

भाजपा के इस आयोजन से पहले आज राज्य की पूर्व शिक्षामंत्री और कांग्रेस नेता गीताश्री उरांव सड़क पर उतरी. अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के बैनर तले सड़क पर उतरी गीताश्री उरांव ने मोरहाबादी से लेकर राजभवन तक मार्च किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि केंद्र की सरकार ने हमारी पहचान को ही खत्म कर दिया है. रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के फार्म से हमारा कॉलम कोड हटाकर भाजपा की सरकार ने आदिवासियों के इतिहास और गौरवमय विरासत को ही समाप्त करने की कोशिश की है.

गीताश्री उरांव ने कहा कि किस तरह से मणिपुर में संस्थागत हिंसा के शिकार हुए कुकी समुदाय को लेकर प्रधानमंत्री ने एक शब्द नहीं कहा, चुनाव खत्म होते ही छत्तीसगढ़ में जंगल काटे जा रहे हैं. गीताश्री उरांव ने कहा कि जब वह 2021 में रजिस्ट्रार जेनरल ऑफ इंडिया के दफ्तर गयीं तो उनसे कहा गया कि धर्म के आधार पर कोई गणना नहीं होगी. लेकिन जो फार्म दिया गया उसमें हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध और जैन का कोड था, लेकिन ऑथर्स यानि अन्य का कोड नहीं था.

इसी तरह 2023 में आठवीं क्लास के छात्रों के लिए राष्ट्रीय वजीफा के लिए जो फार्म दिया गया है उसमें भी हमारा कोड/कॉलम नहीं है. ऐसे में 15 फरवरी को JAC कार्यालय का भी विभिन्न आदिवासी संगठन घेराव करेंगे.

लगातार होती रही है अलग सरना धर्म कोड की मांग: पूर्व शिक्षामंत्री और कांग्रेसी नेता गीताश्री उरांव ने कहा कि देशभर में 10 करोड़ से अधिक की जनजातीय आबादी अपनी पहचान को बचाये रखने के लिए अलग सरना धर्म कोड की मांग कर रहे हैं. ऐसे में सरना धर्म कोड देने की जगह एक अन्य वाला कॉलम भी समाप्त कर आदिवासियत की पहचान समाप्त करने की कोशिश की जा रही है, जिसका विरोध और लोगों में जागरूकता कार्यक्रम तेज किया जाएगा.

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Last Updated : Feb 8, 2024, 9:54 PM IST
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