ETV Bharat / state

प्लास्टिक कैरी बैग का सब्सीट्यूट बना पेपर कैरी बैग, पेड़ काटकर नहीं बल्की गाय के गोबर से हो रहा तैयार - Paper Bag Day

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन किया है, जिसके बाद से प्लास्टिक कैरी बैग की खपत कम हो गई और इसका सब्सीट्यूट बनकर उभरा पेपर कैरी बैग. हालांकि, इसके लिए पेड़ काटे जाते हैं, लेकिन जयपुर में गौकृति संस्थान गाय के गोबर और कॉटन वेस्ट से पेपर कैरी बेग तैयार कर पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ गो संरक्षण का भी संदेश दे रही है.

PREPARING PAPER CARRY BAGS
प्लास्टिक कैरी बैग का सब्सीट्यूट बना पेपर कैरी बैग (Etv bharat gfx Team)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 12, 2024, 6:33 AM IST

गाय के गोबर से पेपर कैरी बेग (Video : Etv Bharat)

जयपुर. प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने और कागज से बने बैग के उपयोग को बढ़ावा देने की उद्देश्य से हर साल पूरी दुनिया में 12 जुलाई को पेपर बैग डे मनाया जाता है. प्लास्टिक की वजह से बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए पेपर बैग का चलन बढ़ा है. कई लोगों के लिए रोजगार के द्वार भी खुले हैं. हालांकि, एक टन पेपर बनाने में भी करीब 30 पेड़ों को काटा जाता है. ऐसे में पर्यावरण संरक्षण का अधूरा संदेश भी जनता तक पहुंच पाता है, लेकिन जयपुर में गौकृति संस्थान गाय के गोबर और कॉटन वेस्ट से पेपर तैयार कर पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ गो संरक्षण का भी संदेश दे रही है.

गोबर और कॉटन की वेस्टेज से तैयार हो रहे कैरी बेग : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन किया है, जिसके बाद से प्लास्टिक कैरी बैग की खपत कम हो गई और इसका सब्सीट्यूट बनकर उभरा पेपर कैरी बैग. गौकृति संस्थान के भीमराज शर्मा ने बताया कि वो जिन पेपर से कैरी बैग बना रहे हैं, वो गाय के गोबर से तैयार किए गए पेपर हैं. इस पेपर कैरी बैग में एक प्रतिशत भी मूल कागज नहीं है. वो इससे न सिर्फ पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा रहे हैं, बल्कि पर्यावरण का संरक्षण भी किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि एक टन पेपर बनाने में करीब 30 फुट के करीब 30 पेड़ काटे जाते हैं. ऐसे में कागज बनाने के लिए भी पर्यावरण का नुकसान हो रहा है, लेकिन उन्होंने जो कागज तैयार किया है वो गोबर और कॉटन की वेस्टेज से तैयार किए गए हैंडमेड कागज हैं, जो पूरी तरह से रिसायकल और ऑर्गेनिक पेपर है.

preparing paper carry bags
गौकृति संस्थान बना रहा पेपर कैरी बैग (Photo : Etv Bharat)

कागजों में भी डाला जा रहा बीज : उन्होंने बताया कि आज ये कागज जमीन में जाएगा तो ये खाद का काम करेगा. क्योंकि इसमें गोबर, गोमूत्र और कॉटन की वेस्टेज है. 5 से 7 दिन में ये पूरा कागज डिसोल्व हो जाएगा और कुछ दिनों बाद ही वहां सुंदर पौधे भी दिखेंगे. क्योंकि जितने भी कागज तैयार किए जा रहे हैं, उसमें बीज भी डाले जाते हैं. जब ये कागज जमीन में जाते हैं और इन्हें बराबर पानी मिलता है तो ये बीज अंकुरित होकर पौधे का रूप ले लेते हैं. उन्होंने बताया कि भारत के प्रत्येक मौसम के हिसाब से 12 तरह के बीज इस कागज में इस्तेमाल किए जाते हैं. हालांकि जो कागज बाहर एक्सपोर्ट हो रहा है, उनमें पाबंदी होने के चलते बीज का इस्तेमाल नहीं किया जाता.

इसे भी पढ़ें : अनूठी पहल : पिता ने बेटी की शादी में हर बाराती को दिया पौधा, दिलाई शपथ - Unique initiative in marriage

ग्रामीणों को मिल रहा रोजगार : उन्होंने बताया कि इससे रोजगार भी विकसित हो रहा है. इसकी एक पूरी चैन है. जिसके तहत सबसे ज्यादा गोबर गांव में उपलब्ध होता है. इससे ग्रामीण रोजगार की व्यवस्था हो रही है और इस गोबर को खरीद कर शहरों में लाकर प्रोसेसिंग करते हुए कागज बनाया जाता है. फिर उस कागज से पेपरबैक तैयार कर शहरों में बेचा जा रहा है, यानी इस अविष्कार से कई लेवल पर बड़ा रोजगार निकलकर के सामने आया है.

preparing paper carry bags
गोबर और वेस्टेज से बनता पेपर कैरी बैग (Photo : Etv Bharat)

कैदियों को भी दी जा रही ट्रेनिंग : उन्होंने बताया कि अब जेल में भी ट्रेनिंग देना शुरू किया है. कैदियों को गोबर से पेपर और फिर पेपर से कैरी बैग बनाने की विधि सिखाई जा रही है, ताकि जेल से छूटने के बाद वो सन्मार्ग पर चलते हुए आगे अपनी रोजी-रोटी कमा सके. फिलहाल जेल में 120 कैदी ये काम कर रहे हैं, जबकि बाहर कई महिलाओं को जोड़ते हुए उन्हें भी रोजगार दिया जा रहा है. बहरहाल, प्लास्टिक कैरी बैग का पेपर कैरी बैग सब्सीट्यूट बनकर उभरा और जयपुर में गौकृति संस्थान की ओर से जो पेपर बैग तैयार किए जा रहे हैं, वो न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण बल्कि गौ संरक्षण का भी संदेश दे रहे हैं. इन कागजों के थैलों से प्लास्टिक का यूज कम हो रहा है. साथ ही इन्हें इस्तेमाल कर फेंकने या जमीन में गाड़ने से पर्यावरण बनाने में भी ये पेपर बैग अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं.

गाय के गोबर से पेपर कैरी बेग (Video : Etv Bharat)

जयपुर. प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने और कागज से बने बैग के उपयोग को बढ़ावा देने की उद्देश्य से हर साल पूरी दुनिया में 12 जुलाई को पेपर बैग डे मनाया जाता है. प्लास्टिक की वजह से बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए पेपर बैग का चलन बढ़ा है. कई लोगों के लिए रोजगार के द्वार भी खुले हैं. हालांकि, एक टन पेपर बनाने में भी करीब 30 पेड़ों को काटा जाता है. ऐसे में पर्यावरण संरक्षण का अधूरा संदेश भी जनता तक पहुंच पाता है, लेकिन जयपुर में गौकृति संस्थान गाय के गोबर और कॉटन वेस्ट से पेपर तैयार कर पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ गो संरक्षण का भी संदेश दे रही है.

गोबर और कॉटन की वेस्टेज से तैयार हो रहे कैरी बेग : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन किया है, जिसके बाद से प्लास्टिक कैरी बैग की खपत कम हो गई और इसका सब्सीट्यूट बनकर उभरा पेपर कैरी बैग. गौकृति संस्थान के भीमराज शर्मा ने बताया कि वो जिन पेपर से कैरी बैग बना रहे हैं, वो गाय के गोबर से तैयार किए गए पेपर हैं. इस पेपर कैरी बैग में एक प्रतिशत भी मूल कागज नहीं है. वो इससे न सिर्फ पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा रहे हैं, बल्कि पर्यावरण का संरक्षण भी किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि एक टन पेपर बनाने में करीब 30 फुट के करीब 30 पेड़ काटे जाते हैं. ऐसे में कागज बनाने के लिए भी पर्यावरण का नुकसान हो रहा है, लेकिन उन्होंने जो कागज तैयार किया है वो गोबर और कॉटन की वेस्टेज से तैयार किए गए हैंडमेड कागज हैं, जो पूरी तरह से रिसायकल और ऑर्गेनिक पेपर है.

preparing paper carry bags
गौकृति संस्थान बना रहा पेपर कैरी बैग (Photo : Etv Bharat)

कागजों में भी डाला जा रहा बीज : उन्होंने बताया कि आज ये कागज जमीन में जाएगा तो ये खाद का काम करेगा. क्योंकि इसमें गोबर, गोमूत्र और कॉटन की वेस्टेज है. 5 से 7 दिन में ये पूरा कागज डिसोल्व हो जाएगा और कुछ दिनों बाद ही वहां सुंदर पौधे भी दिखेंगे. क्योंकि जितने भी कागज तैयार किए जा रहे हैं, उसमें बीज भी डाले जाते हैं. जब ये कागज जमीन में जाते हैं और इन्हें बराबर पानी मिलता है तो ये बीज अंकुरित होकर पौधे का रूप ले लेते हैं. उन्होंने बताया कि भारत के प्रत्येक मौसम के हिसाब से 12 तरह के बीज इस कागज में इस्तेमाल किए जाते हैं. हालांकि जो कागज बाहर एक्सपोर्ट हो रहा है, उनमें पाबंदी होने के चलते बीज का इस्तेमाल नहीं किया जाता.

इसे भी पढ़ें : अनूठी पहल : पिता ने बेटी की शादी में हर बाराती को दिया पौधा, दिलाई शपथ - Unique initiative in marriage

ग्रामीणों को मिल रहा रोजगार : उन्होंने बताया कि इससे रोजगार भी विकसित हो रहा है. इसकी एक पूरी चैन है. जिसके तहत सबसे ज्यादा गोबर गांव में उपलब्ध होता है. इससे ग्रामीण रोजगार की व्यवस्था हो रही है और इस गोबर को खरीद कर शहरों में लाकर प्रोसेसिंग करते हुए कागज बनाया जाता है. फिर उस कागज से पेपरबैक तैयार कर शहरों में बेचा जा रहा है, यानी इस अविष्कार से कई लेवल पर बड़ा रोजगार निकलकर के सामने आया है.

preparing paper carry bags
गोबर और वेस्टेज से बनता पेपर कैरी बैग (Photo : Etv Bharat)

कैदियों को भी दी जा रही ट्रेनिंग : उन्होंने बताया कि अब जेल में भी ट्रेनिंग देना शुरू किया है. कैदियों को गोबर से पेपर और फिर पेपर से कैरी बैग बनाने की विधि सिखाई जा रही है, ताकि जेल से छूटने के बाद वो सन्मार्ग पर चलते हुए आगे अपनी रोजी-रोटी कमा सके. फिलहाल जेल में 120 कैदी ये काम कर रहे हैं, जबकि बाहर कई महिलाओं को जोड़ते हुए उन्हें भी रोजगार दिया जा रहा है. बहरहाल, प्लास्टिक कैरी बैग का पेपर कैरी बैग सब्सीट्यूट बनकर उभरा और जयपुर में गौकृति संस्थान की ओर से जो पेपर बैग तैयार किए जा रहे हैं, वो न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण बल्कि गौ संरक्षण का भी संदेश दे रहे हैं. इन कागजों के थैलों से प्लास्टिक का यूज कम हो रहा है. साथ ही इन्हें इस्तेमाल कर फेंकने या जमीन में गाड़ने से पर्यावरण बनाने में भी ये पेपर बैग अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.