जयपुर : गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले प्रथम पूज्य का सिंजारा उत्सव मनाया जाता है. इस दिन भगवान गणेश को मेहंदी अर्पित करने की परंपरा रही है. फिर इस मेहंदी को प्रसाद के रूप में भक्तों को वितरित किया जाता है. इस मेहंदी से जुड़ी कई मान्यताएं हैं. माना जाता है कि यदि कुंवारे युवक या युवती भगवान गणेश को अर्पित की गई मेहंदी लगाते हैं, तो उनकी शादी की मनोकामना पूर्ण हो जाती है.
कोई भी खाली हाथ न जाए : मंदिर महंत कैलाश शर्मा ने बताया कि मोती डूंगरी गणेश मंदिर में प्रथम पूज्य भगवान गणेश के सिंजारा उत्सव के दौरान हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ती है. सिंजारा उत्सव के दौरान भगवान गणेश को हीरे जड़ित सोने का मुकुट धारण कराते हुए चांदी के सिंहासन पर विराजमान कराया जाता है. इस दिन भगवान को मेहंदी धारण कराई जाती है. सिंजारे पर भगवान गणेश को अर्पित की जाने वाली मेहंदी की कोई निश्चित क्वांटिटी नहीं होती. डिमांड और सप्लाई के ऊपर ये निर्भर करता है. मंदिर से कोई भी खाली हाथ न जाए बस ये सुनिश्चित किया जाता है. इस बार सोजत से मंगवाई गई 3100 किलो मेहंदी प्रथम पूज्य को अर्पित की जाएगी.
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मंदिर में उमड़ती है श्रद्धालुओं में होड़ : उन्होंने बताया कि मान्यता है कि अगर किसी के विवाह में दिक्कत आ रही है तो इस मेहंदी को लगाने से उस युवक या युवती का विवाह एक वर्ष के अंदर हो जाता है. ऐसे में इस मेहंदी के प्रसाद को लेने के लिए श्रद्धालुओं में होड़ भी देखने को मिलती है. भगवान गणेश का ये सिंजारा उत्सव राजधानी के सभी प्रमुख गणेश मंदिरों में आयोजित होंगे. जयपुर के प्राचीन नहर की गणेश मंदिर में भी सिंजारा उत्सव की खासी तैयारी की जा रही है.
चोले का सिंदूर भी किया जाता है वितरित : मंदिर के युवाचार्य मानव शर्मा ने बताया कि पौराणिक मान्यता है कि हरतालिका तीज पर विवाहित महिलाओं का व्रत रहता है. महिलाएं अपने सौभाग्य के लिए ये व्रत रखती हैं और मेहंदी को सौभाग्य की दृष्टि से ही माना जाता है. ऐसे में भगवान गणेश को अर्पित मेहंदी को महिलाएं लगाती हैं. जिनकी शादी नहीं होती वो भी यदि इस मेहंदी को लगाते हैं तो उनकी भी मनोकामना पूरी होती है. यहां मेहंदी के साथ ही चोले का सिंदूर भी वितरित किया जाता है.