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खिलाड़ी लाल बैरवा का भाजपा से मोह भंग, इस्तीफा देते समय ये बताया कारण - khiladi laal bairava

लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व सांसद खिलाड़ी लाल बैरवा ने अब बीजेपी से नाता तोड़ लिया है. सोमवार को पूर्व सांसद खिलाड़ी लाल बैरवा ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है.

खिलाड़ी लाल बैरवा का भाजपा से इस्तीफा
खिलाड़ी लाल बैरवा का भाजपा से इस्तीफा (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 29, 2024, 6:18 PM IST

खिलाड़ी लाल बैरवा ने छोड़ी बीजेपी (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर : लोकसभा चुनाव के दौरान बड़ी दमखम के साथ भाजपा में शामिल होने वाले के कांग्रेस नेताओं का महज चार महीने में ही मोह भंग होने लगा है. कई कार्यकर्ताओं के बाद अब बड़े नेताओं ने भी बीजेपी से अपना नाता तोड़ना शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में सोमवार को पूर्व सांसद खिलाड़ी लाल बैरवा ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. बैरवा ने अपना इस्तीफा नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के नाम पत्र लिखकर दिया. पत्र में उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं के लगातार भाजपा से दूरी का हवाला देते हुए अपना इस्तीफा दिया. उन्होंने कहा कि भाजपा की विचारधारा से नहीं जुड़ पा रहा हूं. हालांकि, खिलाड़ी ने अपने इस्तीफे में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर जमकर निशाना साधा.

ये लिखा पत्र में : खिलाड़ी लाल बैरवा ने अपने इस्तीफे में भारतीय जनता पार्टी के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ को संबोधित करते हुए पहले तो उन्हें अध्यक्ष नियुक्त होने पर बधाई दी, उसके बाद कहा कि "पूर्व मुख्यमंत्री (कांग्रेस) की ओर से अपने चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की लालसा में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को कांग्रेस से बाहर करने का असफल प्रयास किया. सचिन पायलट के गुट के लोगों के फोन टेप करवाए, जिसका लोकेश शर्मा (ओ.एस.डी. , पूर्व मुख्यमंत्री) सविस्तार बता चुके हैं. इसमें मेरा भी फोन टेप करवाया गया, जो कि जांच का विषय है. योजनाबद्ध तरीके के साथ मुझे भी पार्टी से निकाला गया."

इसे भी पढ़ें- पूर्व सांसद खिलाड़ी बैरवा का चार महीने में भाजपा से मोह भंग, दिया इस्तीफा..जानिए क्या रही वजह - khiladi lal bairwa resigns

खिलाड़ी ने आगे पत्र में लिखा कि "कुछ खास चापलूस लोगों की सिफारिश पर राजस्थान के इतने टुकडे़-टुकडे़ कर दिए. पंचायत समिति स्तर के क्षेत्रफल वालों को जिले बना दिए, समाज के टुकड़े कर इतने सामाजिक बोर्ड बना दिए, जिनका स्वयं को भी पता नहीं. 18% अनुसूचित जाति के लोगों के लिए आयोग को वैद्यानिक दर्जे की बात की तो क्या गुनाह कर दिया. इसकी वजह से कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए, लेकिन काफी प्रयास के बाद भी 'मैं भाजपा की विचारधारा से अपने आप को जोड़ नहीं पा रहा हूं. मैंने 33 वर्ष कांग्रेस में सक्रीय राजनीति की है. विधारधारा मेरे खून में शामिल हो गई है. मुझे भाजपा से कोई शिकायत नहीं है, लेकिन मैं और मेरे साथी कार्यकर्ता भारतीय जनता पार्टी से अलग होते हुए प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं'.

खिलाड़ी लाल बैरवा ने छोड़ी बीजेपी (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर : लोकसभा चुनाव के दौरान बड़ी दमखम के साथ भाजपा में शामिल होने वाले के कांग्रेस नेताओं का महज चार महीने में ही मोह भंग होने लगा है. कई कार्यकर्ताओं के बाद अब बड़े नेताओं ने भी बीजेपी से अपना नाता तोड़ना शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में सोमवार को पूर्व सांसद खिलाड़ी लाल बैरवा ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. बैरवा ने अपना इस्तीफा नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के नाम पत्र लिखकर दिया. पत्र में उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं के लगातार भाजपा से दूरी का हवाला देते हुए अपना इस्तीफा दिया. उन्होंने कहा कि भाजपा की विचारधारा से नहीं जुड़ पा रहा हूं. हालांकि, खिलाड़ी ने अपने इस्तीफे में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर जमकर निशाना साधा.

ये लिखा पत्र में : खिलाड़ी लाल बैरवा ने अपने इस्तीफे में भारतीय जनता पार्टी के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ को संबोधित करते हुए पहले तो उन्हें अध्यक्ष नियुक्त होने पर बधाई दी, उसके बाद कहा कि "पूर्व मुख्यमंत्री (कांग्रेस) की ओर से अपने चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की लालसा में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को कांग्रेस से बाहर करने का असफल प्रयास किया. सचिन पायलट के गुट के लोगों के फोन टेप करवाए, जिसका लोकेश शर्मा (ओ.एस.डी. , पूर्व मुख्यमंत्री) सविस्तार बता चुके हैं. इसमें मेरा भी फोन टेप करवाया गया, जो कि जांच का विषय है. योजनाबद्ध तरीके के साथ मुझे भी पार्टी से निकाला गया."

इसे भी पढ़ें- पूर्व सांसद खिलाड़ी बैरवा का चार महीने में भाजपा से मोह भंग, दिया इस्तीफा..जानिए क्या रही वजह - khiladi lal bairwa resigns

खिलाड़ी ने आगे पत्र में लिखा कि "कुछ खास चापलूस लोगों की सिफारिश पर राजस्थान के इतने टुकडे़-टुकडे़ कर दिए. पंचायत समिति स्तर के क्षेत्रफल वालों को जिले बना दिए, समाज के टुकड़े कर इतने सामाजिक बोर्ड बना दिए, जिनका स्वयं को भी पता नहीं. 18% अनुसूचित जाति के लोगों के लिए आयोग को वैद्यानिक दर्जे की बात की तो क्या गुनाह कर दिया. इसकी वजह से कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए, लेकिन काफी प्रयास के बाद भी 'मैं भाजपा की विचारधारा से अपने आप को जोड़ नहीं पा रहा हूं. मैंने 33 वर्ष कांग्रेस में सक्रीय राजनीति की है. विधारधारा मेरे खून में शामिल हो गई है. मुझे भाजपा से कोई शिकायत नहीं है, लेकिन मैं और मेरे साथी कार्यकर्ता भारतीय जनता पार्टी से अलग होते हुए प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं'.

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