जोधपुर : पश्चिमी राजस्थान का महाकुंभ कहे जाने वाले लोक देवता बाबा रामदेव का भाद्रपद माह में लगने वाले मेले के लिए देशभर से श्रद्धालुओं का जोधपुर और रामदेवरा पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है. जोधपुर में मसूरिया स्थित मंदिर में दर्शन के बाद भक्त रामदेवरा जाते हैं. पैदल जाने वाले ऐसे कई जातरुओं के हाथों में कपड़े के बने हुए घोड़े नजर आते हैं, जिसे बाबा रामदेव की सवारी कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि लोगों की मन्नत पूरी होने के बाद लोग घोड़े की सवारी बाबा को चढ़ाते हैं.
बाबा के पर्चे की मान्यता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 40 से 50 किलो के घोड़े को भक्त कंधे पर उठाकर 200 किमी की पैदल यात्रा करते हैं. हाल ही में जोधपुर के महादेव ग्रुप ने कांच से घोड़े का श्रृंगार करवाकर रामदेवरा में अर्पित किया है. लोक देवता बाबा रामदेव का जन्म विक्रम संवत 1409 में बाड़मेर जिले में हुआ था. उन्होंने छुआछूत को खत्म करने के लिए काम किया था. उनकी सवारी सफेद घोड़ा था, इसलिए भक्त उनको सफेद घोड़े चढ़ाते हैं.
एक ही परिवार की तीन पीढियां लगी है सवारी बनाने में : जोधपुर में एक परिवार ऐसा भी है जिसकी तीन पीढ़ियां लगातार बाबा रामदेव की सवारी के रूप में पूजे जाने वाले कपड़े के घोड़े को बनाती आ रही हैं. पूरे परिवार की महिलाएं और पुरुष बाबा के घोड़े बनाने में दिन-रात लगे रहते हैं. पुरुष जहां कपड़े के घोड़े को बांस और खपच्चियों से मूर्त रूप देते हैं, तो वहीं महिलाएं घोड़े का कपड़ों व आर्टिफिशिसयल ज्वैलरी से श्रृंगार कर उसे तैयार करती हैं.
श्रद्धा और मनोकामना पूर्ण होने पर चढ़ाते हैं घोड़ा : लोक देवता बाबा रामदेव के घोड़े का संबंध पंच महाभूत यानी पृथ्वी, जल, आकाश, अग्नि व वायु से बताया गया है. बाबा के भक्तों की मान्यता भी है कि उनकी मनचाही मुराद पूरी होने पर भक्त कपड़े का घोड़ा बनाकर उसे अपने कंधे पर उठाकर जोधपुर से रामदेवरा पैदल चलते हुए रूणिचा धाम में अर्पित करते हैं. बाबा रामदेव की सवारी के रूप में पूजे जाने वाले यह विशेष प्रकार के घोड़े केवल जोधपुर और रामदेवरा में ही तैयार होते हैं. कठपुतली शो का काम करने वाले भरतलाल भाट ने बताया कि साल में दो महीने हमारा पूरा परिवार यही काम करता है.
कपड़े और बांस से बनाते हैं हुबहू घोड़ा : जोधपुर में राहुल अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी है जो बाबा की सवारी को तैयार कर रही है. इन घोड़े की कद-काठी हूबहू वास्तविक घोड़े की तरह ही लगती है. यहां 2 फीट से लेकर 12 फीट तक के घोड़े तैयार किए जाते हैं. वहीं, मांग के अनुरूप 30 से 40 फीट तक के बड़े घोड़े भी तैयार करते हैं.