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खरीदी केंद्र के बाहर खराब हुई धान का कौन देगा मुआवजा?, सड़क पर उतरे किसान - JABALPUR FARMERS WET PADDY

जबलपुर में बारिश की वजह से खराब हुए धान को लेकर किसान तहसीलदार के ऑफिस पहुंचे. इसके लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने सरकार से मुआवजा मांगा है.

Demand for compensation for paddy soaked in rain
मुआवजे की मांग को लेकर किसानों का प्रदर्शन (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 2, 2025, 10:39 AM IST

जबलपुर: मध्य प्रदेश के जबलपुर में धान की खरीदी सबसे ज्यादा होती है. जिले के हर कोने में धान खरीदी केंद्र बनाए जाते हैं. इन्हीं केंद्रों पर पर किसान अपनी धान लेकर पहुंचते हैं. बीते दिनों हुई बेमौसम बारिश की वजह से खरीदी केंद्रों के बाहर रखी हुई धान बुरी तरह से भीग कर खराब हो गई. बुधवार को किसान अपनी खराब धान लेकर तहसीलदार के ऑफिस पहुंचे और सरकार से मुआवजे की मांग की है.

प्रशासन ने कहा कुल खरीदी होने वाले धान में से मात्र 4.5% धान हुआ है गीला

जबलपुर जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है कि जबलपुर में 206000 मीट्रिक टन धान खरीदी जानी है. इसमें से 9300 मीट्रिक टन धान पानी की वजह से गीली हुई है. यह जबलपुर की कुल धान खरीदी का मात्र 4.5% है. जो धान गीला हो गया है, उसे सुखाकर उसकी गुणवत्ता चेक की जाएगी. यदि गुणवत्ता सही रही तो प्रशासन उसे खरीद लेगा. लेकिन कलेक्टर की रिपोर्ट से किसान संतुष्ट नहीं हैं.

बारिश में भीगे धान का मुआवजा दे सरकार (Etv Bharat)

किसानों ने कहा, प्रशासन की गलती से गीला हुआ धान, तत्काल दिया जाए मुआवजा

किसान धर्म पटेल का कहना है "9300 मीट्रिक टन धान सरकार की नहीं है बल्कि किसानों की है और यह खरीदी केंद्र के बाहर पड़ी हुई थी. प्रशासन की गलती से उनका धान भीगकर खराब हो गया है. धान अंकुरित हो चुका है इसलिए इसको दोबारा ठीक नहीं किया जा सकता. इसमें गलती सरकारी इंतजाम की है. ऐसी स्थिति में हमारी सरकार से मांग है कि हमारे नुकसान का सरकार मुआवजा दे."

तहसीलदार रविंद्र पटेल का कहना है "उन्होंने खराब धान को देखा है और वे किसानों की बात सरकार तक पहुंचाएंगे. यह सरकार को तय करना है कि किसानों को कितना मुआवजा किस हिसाब से देना है." जबलपुर जिला कलेक्ट्रेट में किसानों की जिला प्रशासन के साथ बैठक हुई. जिसमें किसानों ने कलेक्टर को बताया कि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की वजह से उनकी चना, मटर और गेहूं की फसल भी खराब हो गई है. इसलिए सरकार मटर की फसल के नुकसान का भी आकलन करवाए. इसके साथ ही मटर मंडी में प्रशासन की बदइंतजामी की वजह से बड़ी संख्या में किसानों का मटर खराब हुआ है.

जबलपुर: मध्य प्रदेश के जबलपुर में धान की खरीदी सबसे ज्यादा होती है. जिले के हर कोने में धान खरीदी केंद्र बनाए जाते हैं. इन्हीं केंद्रों पर पर किसान अपनी धान लेकर पहुंचते हैं. बीते दिनों हुई बेमौसम बारिश की वजह से खरीदी केंद्रों के बाहर रखी हुई धान बुरी तरह से भीग कर खराब हो गई. बुधवार को किसान अपनी खराब धान लेकर तहसीलदार के ऑफिस पहुंचे और सरकार से मुआवजे की मांग की है.

प्रशासन ने कहा कुल खरीदी होने वाले धान में से मात्र 4.5% धान हुआ है गीला

जबलपुर जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है कि जबलपुर में 206000 मीट्रिक टन धान खरीदी जानी है. इसमें से 9300 मीट्रिक टन धान पानी की वजह से गीली हुई है. यह जबलपुर की कुल धान खरीदी का मात्र 4.5% है. जो धान गीला हो गया है, उसे सुखाकर उसकी गुणवत्ता चेक की जाएगी. यदि गुणवत्ता सही रही तो प्रशासन उसे खरीद लेगा. लेकिन कलेक्टर की रिपोर्ट से किसान संतुष्ट नहीं हैं.

बारिश में भीगे धान का मुआवजा दे सरकार (Etv Bharat)

किसानों ने कहा, प्रशासन की गलती से गीला हुआ धान, तत्काल दिया जाए मुआवजा

किसान धर्म पटेल का कहना है "9300 मीट्रिक टन धान सरकार की नहीं है बल्कि किसानों की है और यह खरीदी केंद्र के बाहर पड़ी हुई थी. प्रशासन की गलती से उनका धान भीगकर खराब हो गया है. धान अंकुरित हो चुका है इसलिए इसको दोबारा ठीक नहीं किया जा सकता. इसमें गलती सरकारी इंतजाम की है. ऐसी स्थिति में हमारी सरकार से मांग है कि हमारे नुकसान का सरकार मुआवजा दे."

तहसीलदार रविंद्र पटेल का कहना है "उन्होंने खराब धान को देखा है और वे किसानों की बात सरकार तक पहुंचाएंगे. यह सरकार को तय करना है कि किसानों को कितना मुआवजा किस हिसाब से देना है." जबलपुर जिला कलेक्ट्रेट में किसानों की जिला प्रशासन के साथ बैठक हुई. जिसमें किसानों ने कलेक्टर को बताया कि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की वजह से उनकी चना, मटर और गेहूं की फसल भी खराब हो गई है. इसलिए सरकार मटर की फसल के नुकसान का भी आकलन करवाए. इसके साथ ही मटर मंडी में प्रशासन की बदइंतजामी की वजह से बड़ी संख्या में किसानों का मटर खराब हुआ है.

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