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केदारनाथ आपदा की बरसी पर जुटे विशेषज्ञ, आपदाओं की सीख पर हुआ मंथन - 11 years of Kedarnath disaster

11 years of Kedarnath disaster, उत्तराखंड का आपदाओं से सीधा संबंध रहा है. केदारनाथ की 11वीं बरसी पर राज्य की आपदाओं को लेकर पर्यावरण से जुड़े विशेषज्ञों के बीच वृहद मंथन हुआ है. इस दौरान इन आपदाओं से उत्तराखंड ने कितना सीखा और आपदा न्यूनीकरण के लिए क्या प्रयास होने चाहिए. इन बिंदुओं पर भी विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी

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केदारनाथ आपदा की बरसी पर जुटे विशेषज्ञ (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 17, 2024, 9:56 PM IST

केदारनाथ आपदा की बरसी पर जुटे विशेषज्ञ (Etv Bharat)

देहरादून: केदारनाथ आपदा के बाद उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन को लेकर बेहद ज्यादा सक्रियता दिखाई गई. तमाम आपदा प्रबंधन से जुड़े एप और एसडीआरएफ जैसे फोर्स का भी गठन किया गया, लेकिन नियोजित विकास को लेकर सरकार कोई प्लान नहीं बना. केदारनाथ आपदा की 11वीं बरसी पर आज पर्यावरण से जुड़े विशेषज्ञ एकत्रित हुए. उन्होंने प्रदेश में मौजूदा पर्यावरणीय स्थितियों पर बातचीत की. इस दौरान लैंडस्लाइड से लेकर लगातार जंगलों के कटान, बेतरतीब निर्माण जैसे विषयों पर विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी.

केदारनाथ और बदरीनाथ के मास्टर प्लान पर भी विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी. उन्होंने माना जिस तरह से केदारनाथ में 2013 के दौरान आपदा आई थी यदि वही हालत फिर से बनते हैं तो इस बार नुकसान पहले से भी ज्यादा होगा. दरअसल, पर्यावरण विशेषज्ञ बदरीनाथ और केदारनाथ में हो रहे निर्माण के खिलाफ बात रख रहे थे. उनका कहना था कि इस क्षेत्र को विकसित करने की होड़ में सरकार नई मुसीबत को आमंत्रित कर रही है.

पर्यावरण विशेषज्ञ पीयूष रौतेला ने कहा विशेषज्ञों के बीच इस पर भी चर्चा की गई कि आखिरकार सरकार ने पुरानी आपदाओं से कितना सीखा है? जिस तरह सरकार बिना आपदाओं की परवाह किए निर्माण कार्य को मंजूरी दे रही है, चार धाम यात्रा को भी रेगुलेट नहीं किया जा रहा है, उससे यह स्पष्ट है कि आने वाले समय में आपदाओं के लिहाज से प्रदेश की मुसीबत बढ़ने वाली है. उन्होंने कहा उत्तराखंड में पिछले करीब 200 साल से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. ऐसे में जिस तरह से निर्माण हुए है उससे यह साफ है कि जल्द ही यदि कोई बड़ा भूकंप आता है तो उसका सबसे ज्यादा नुकसान उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रों को होगा.

पढे़ं-केदारनाथ आपदा@11: एक दशक में बदल गई केदारपुरी, आपदा के जख्मों पर सरकार ने लगाया मरहम, रफ्तार से हो रहे पुनर्निर्माण कार्य - 11 years of Kedarnath disaster

केदारनाथ आपदा की बरसी पर जुटे विशेषज्ञ (Etv Bharat)

देहरादून: केदारनाथ आपदा के बाद उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन को लेकर बेहद ज्यादा सक्रियता दिखाई गई. तमाम आपदा प्रबंधन से जुड़े एप और एसडीआरएफ जैसे फोर्स का भी गठन किया गया, लेकिन नियोजित विकास को लेकर सरकार कोई प्लान नहीं बना. केदारनाथ आपदा की 11वीं बरसी पर आज पर्यावरण से जुड़े विशेषज्ञ एकत्रित हुए. उन्होंने प्रदेश में मौजूदा पर्यावरणीय स्थितियों पर बातचीत की. इस दौरान लैंडस्लाइड से लेकर लगातार जंगलों के कटान, बेतरतीब निर्माण जैसे विषयों पर विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी.

केदारनाथ और बदरीनाथ के मास्टर प्लान पर भी विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी. उन्होंने माना जिस तरह से केदारनाथ में 2013 के दौरान आपदा आई थी यदि वही हालत फिर से बनते हैं तो इस बार नुकसान पहले से भी ज्यादा होगा. दरअसल, पर्यावरण विशेषज्ञ बदरीनाथ और केदारनाथ में हो रहे निर्माण के खिलाफ बात रख रहे थे. उनका कहना था कि इस क्षेत्र को विकसित करने की होड़ में सरकार नई मुसीबत को आमंत्रित कर रही है.

पर्यावरण विशेषज्ञ पीयूष रौतेला ने कहा विशेषज्ञों के बीच इस पर भी चर्चा की गई कि आखिरकार सरकार ने पुरानी आपदाओं से कितना सीखा है? जिस तरह सरकार बिना आपदाओं की परवाह किए निर्माण कार्य को मंजूरी दे रही है, चार धाम यात्रा को भी रेगुलेट नहीं किया जा रहा है, उससे यह स्पष्ट है कि आने वाले समय में आपदाओं के लिहाज से प्रदेश की मुसीबत बढ़ने वाली है. उन्होंने कहा उत्तराखंड में पिछले करीब 200 साल से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. ऐसे में जिस तरह से निर्माण हुए है उससे यह साफ है कि जल्द ही यदि कोई बड़ा भूकंप आता है तो उसका सबसे ज्यादा नुकसान उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रों को होगा.

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