धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश में इन दिनों सियासी उठापटक चल रही है. आज कांग्रेस के 6 बागी सहित 9 पूर्व विधायक भाजपा में शामिल हो गए. जिसको लेकर एक ओर जहां कांग्रेस लगातार भाजपा पर हमलावर है. वहीं, पूर्व सीएम शांता कुमार ने अपनी ही पार्टी बीजेपी को आईना दिखाया है. उन्होंने कहा आज की राजनीति सिर्फ कुर्सी के लिए है और मुझे दुख है कि मेरी पार्टी भी इस हवा में चल पड़ी है.
पूर्व सीएम शांता कुमार आज पालमपुर दौरे पर पहुंचे. जहां उन्होंने विवेकानंद ट्रस्ट में शहीद कैप्टन सौरभ कालिया की प्रतिमा का अनावरण किया. इस मौके पर मीडिया ने हिमाचल की बदलती राजनीति को लेकर सवाल किया तो उनका दुख छलक पड़ा. शांता कुमार ने कहा, "प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति में जो कुछ हो रहा है, उसे पर मैं कुछ नहीं बोल पा रहा हूं. मैं कुछ नहीं बोलूंगा, अगर आप बहुत आग्रह करोगे तो हो सकता है, मेरी आंखों से कुछ आंसू निकल आए. मेरे पास शब्द नहीं है".
शांता कुमार ने कहा, "1951 से भारतीय जनसंघ और फिर जनता पार्टी और उसके बाद भारतीय जनता पार्टी में मैंने जीवन के 70 वर्ष राजनीति में लगाए. मुझे मेरी पार्टी और देश ने बहुत कुछ दिया. आज मैं 90 वर्ष की आयु में हूं. जब पीछे मुड़कर देखता हूं सोचता हूं, जब हमारी पार्टी के पास कुछ भी नहीं था. पुलिस की लाठियां खाई, चुनाव लड़ते थे तो जमानत जब्त होती थी. हमारी खबर तक कहीं नहीं लगती थी. लेकिन उस वक्त मेरी पार्टी के पास तीन चीजें थी. समर्पित कार्यकर्ता, देशभक्ति की विचारधारा और मूल्य आधारित राजनीति. इन तीन बातों के कारण उस वक्त दुनिया की सबसे छोटी पार्टी को आज मेरे देश की जनता ने एक बड़ी पार्टी बनाया".
शांता कुमार ने कहा, "जिस कारण भाजपा यहां तक पहुंची. हमें उन बातों को नहीं छोड़ना चाहिए. राजनीति में परिस्थितियों तो नहीं बदली, लेकिन मनुष्य ही परिस्थितियों को बनाता है और मनुष्य ही परिस्थितियों को बदलता है. भगवान करे देश की राजनीति में कुछ स्तर आए. जब देश गुलाम था तब की राजनीति देश के लिए थी. लेकिन आज आजाद देश की राजनीति केवल कुर्सी के लिए है और इस हवा में मेरी पार्टी भी चल पड़ी है, इसका मुझे बहुत दुख है. मेरी पार्टी को इस हवा में नहीं जाना चाहिए था".
शांता कुमार ने कहा, "मै जेल में भी रहा, 2 बार मुख्यमंत्री रहा और केंद्र में मंत्री भी रहा. लेकिन सिंद्धात की राजनीति को कभी नहीं छोड़ा. देश में हमने राम मंदिर बना लिया, लेकिन राम का मंदिर बनने से कुछ नहीं होगा. राम के आदर्श अपनाने होंगे. सिद्धांत की राजनीति लानी होगी. भगवान करे मेरे देश के सब नेताओं को सद्बुद्धि मिले और राजनीति देश के हित के लिए हो".
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