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वायुसेना के हेलीकॉप्टर के जरिए भरमौर से पांगी पहुंची 55 EVM, स्ट्रॉन्ग रूम में रखी जाएंगी सुरक्षित - EVM transported

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 25, 2024, 4:18 PM IST

MANDI LOK SABHA ELECTION: लोकसभा चुनावों के अंतिम चरण में हिमाचल प्रदेश में भी एक जून को मतदान होना है. भरमौर से पांगी उपमंडल के लिए शनिवार को ईवीएम मशीनें भेजी गईं. इससे पहले मशीनों की कमीशनिंग प्रक्रिया भरमौर में ही पूरी कर ली गई है. विधानसभा क्षेत्र भरमौर से संबंधित पांगी उपमंडल में कुल 39 मतदान केंद्र हैं, जहां के लिए कुल 55 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें हेलीकॉप्टर से सुरक्षित पहुंच दी गई हैं.

EVM
पांगी पहुंची ईवीएम (ईटीवी भारत)

भरमौर: लोकसभा चुनाव के लिए भरमौर से पांगी उपमंडल के लिए शनिवार को ईवीएम मशीनें भेजी गईं. ये मशीन भरमौर से हेलीकॉप्टर के जरिए पांगी पहुंचाई गई. चंबा स्थित हेलीपैड से हेलीकॉप्टर के माध्यम से ईवीएम को पांगी के किलाड़ पहुंचाया गया. इससे पहले तड़के ईवीएम मशीनों को कड़ी सुरक्षा के बीच वाहनों के जरिए भरमौर से चंबा लाया गया.

पांगी उपमंडल भरमौर विधानसभा क्षेत्र के तहत मंडी संसदीय सीट में आता है. बता दें कि लोकसभा चुनावों के अंतिम चरण में हिमाचल प्रदेश में भी एक जून को मतदान होना है. जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त चंबा मुकेश रेपसवाल ने बताया कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भरमौर विधानसभा क्षेत्र से संबंधित उपमंडल पांगी के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (ईवीएम) हेलीकॉप्टर के जरिए शनिवार को पांगी घाटी के उपमंडल मुख्यालय किलाड़ पहुंचा दी गई हैं. इससे पहले मशीनों की कमीशनिंग प्रक्रिया भरमौर में ही पूरी कर ली गई है. विधानसभा क्षेत्र भरमौर से संबंधित पांगी उपमंडल में कुल 39 मतदान केंद्र हैं, जहां के लिए कुल 55 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें हेलीकॉप्टर से सुरक्षित पहुंच दी गई हैं.

चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों का पालन: मुकेश रेपसवाल ने कहा कि पांगी उपमंडल के 39 मतदान केंद्रों के लिए 16 अतिरिक्त मशीनें भेजी गई हैं. कुल मशीनों की संख्या के बराबर वीवीपैट इकाइयां पूर्णतया सुरक्षित तरीके से भेजी गई हैं. ईवीएम मशीनों को तहसीलदार कार्यालय भवन किलाड़ में बनाए स्ट्रॉन्ग रूम में सुरक्षित पहुंचा दिया गया है. ईवीएम को ले जाते समय भारतीय निर्वाचन आयोग की ओर से जारी सभी दिशा निर्देशों की शत प्रतिशत पालन सुनिश्चित की गई है.

बता दें कि चंबा का पांगी क्षेत्र जनजातीय क्षेत्र हैं. यहां की भौगोलिक परिस्थितियां बहुत कठिन हैं. ये एक दुर्गम क्षेत्र है. सर्दियों के समय बर्फबारी होने से पांगी का संपर्क शेष दुनिया से कट जाता है. इस तरह के दुर्गम क्षेत्रों में चुनाव करवाना आयोग के लिए भी एक बड़ी चुनौती होता है. पोलिंग पार्टियों और ईवीएम को सुरक्षित मतदान केंद्रों तक पहुंचाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है.

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भरमौर: लोकसभा चुनाव के लिए भरमौर से पांगी उपमंडल के लिए शनिवार को ईवीएम मशीनें भेजी गईं. ये मशीन भरमौर से हेलीकॉप्टर के जरिए पांगी पहुंचाई गई. चंबा स्थित हेलीपैड से हेलीकॉप्टर के माध्यम से ईवीएम को पांगी के किलाड़ पहुंचाया गया. इससे पहले तड़के ईवीएम मशीनों को कड़ी सुरक्षा के बीच वाहनों के जरिए भरमौर से चंबा लाया गया.

पांगी उपमंडल भरमौर विधानसभा क्षेत्र के तहत मंडी संसदीय सीट में आता है. बता दें कि लोकसभा चुनावों के अंतिम चरण में हिमाचल प्रदेश में भी एक जून को मतदान होना है. जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त चंबा मुकेश रेपसवाल ने बताया कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भरमौर विधानसभा क्षेत्र से संबंधित उपमंडल पांगी के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (ईवीएम) हेलीकॉप्टर के जरिए शनिवार को पांगी घाटी के उपमंडल मुख्यालय किलाड़ पहुंचा दी गई हैं. इससे पहले मशीनों की कमीशनिंग प्रक्रिया भरमौर में ही पूरी कर ली गई है. विधानसभा क्षेत्र भरमौर से संबंधित पांगी उपमंडल में कुल 39 मतदान केंद्र हैं, जहां के लिए कुल 55 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें हेलीकॉप्टर से सुरक्षित पहुंच दी गई हैं.

चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों का पालन: मुकेश रेपसवाल ने कहा कि पांगी उपमंडल के 39 मतदान केंद्रों के लिए 16 अतिरिक्त मशीनें भेजी गई हैं. कुल मशीनों की संख्या के बराबर वीवीपैट इकाइयां पूर्णतया सुरक्षित तरीके से भेजी गई हैं. ईवीएम मशीनों को तहसीलदार कार्यालय भवन किलाड़ में बनाए स्ट्रॉन्ग रूम में सुरक्षित पहुंचा दिया गया है. ईवीएम को ले जाते समय भारतीय निर्वाचन आयोग की ओर से जारी सभी दिशा निर्देशों की शत प्रतिशत पालन सुनिश्चित की गई है.

बता दें कि चंबा का पांगी क्षेत्र जनजातीय क्षेत्र हैं. यहां की भौगोलिक परिस्थितियां बहुत कठिन हैं. ये एक दुर्गम क्षेत्र है. सर्दियों के समय बर्फबारी होने से पांगी का संपर्क शेष दुनिया से कट जाता है. इस तरह के दुर्गम क्षेत्रों में चुनाव करवाना आयोग के लिए भी एक बड़ी चुनौती होता है. पोलिंग पार्टियों और ईवीएम को सुरक्षित मतदान केंद्रों तक पहुंचाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है.

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