श्रीनगर: रोजगार की तलाश में युवा बड़े शहरों का रुख कर रहे हैं. वहीं कुछ युवा ऐसे भी हैं जो बड़े शहरों की अच्छी नौकरी को छोड़कर पहाड़ों की ओर लौट रहे हैं और अपने घर में ही रोजगार स्थापित कर अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं. ऐसे ही एक युवा पंकज नेगी हैं, जो पौड़ी जिले के उरेगी गांव के रहने वाले हैं. पंकज नेगी ने, दिल्ली की एक नामचीन कंपनी की नौकरी छोड़कर अपने गृह जनपद पौड़ी में स्थानीय उत्पादों और मसालों की फैक्ट्री स्थापित की है. इस फैक्ट्री में उन्हें तो रोजगार मिल ही रहा है साथ में गांव के अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं.
नौकरी छोड़कर गांव का किया रुख: दरअसल, पंकज नेगी दिल्ली में 12 साल से नौकरी कर रहे थे, लेकिन पहाड़ों से लगाव ने उन्हें अपनी गांव से जोड़ दिया. पंकज गांव में ही मसालों की फैक्ट्री लगाकर जख्या, मंडुआ, झंगोरा, हल्दी, मिर्च, धनिया, मेथी जैसे स्थानीय उत्पादों और मसालों को ग्रामीणों से खरीदकर उनकी अच्छी पैकिंग कर "एवर टेस्ट" नाम से बेचते हैं. पंकज नेगी ने बताया कि उन्होंने दिल्ली की नौकरी छोड़ घर वापसी की. वो पहाड़ में रहकर कुछ करना चाहते थे.
गांव में स्थापित किया मसाला उद्योग: घर वापस आकर उन्होंने गांवों से मसाले और पहाड़ी उत्पादों को इकट्ठा करना शुरू किया. धीरे-धीरे उन्होंने एक छोटी सी फैक्ट्री लगाई, जहां वो मसलों को बनाकर एवर टेस्ट नाम से उनकी पैकिंग कर बाजार में बेचते हैं. पंकज बताते हैं कि उन्होंने धीरे-धीरे बाजार और स्थानीय दुकानों में मसालों को बेचना शुरू किया.लोगों को उनके मसालों का स्वाद और गुणवत्ता पसंद आने लगी.बाजार से मांग बढ़ने के बाद उनका काम भी बढ़ने लगा. काम बढ़ने के साथ ही उन्होंने अन्य लोगों को रोजगार देना शुरू किया.
लोगों को दे रहे रोजगार: वर्तमान में वो 3 से 4 लोगों को रोजगार दे रहे हैं. जिन्हें वो घर बैठे ही 20 हजार रुपए सैलरी के रूप में दे रहे हैं. उनके साथ कई महिलाएं वेंडर के तौर पर भी जुड़ी हुई हैं. उन्होंने बताया कि वो एक माह में 3 लाख रुपए तक का व्यापार कर लेते हैं. जिसमें उन्हें 80 हजार रुपये की बचत होती है. बताया कि उन्हें काम शुरू किए तीन साल हो गए हैं. पंकज कहते हैं कि बाजार में अधिकतर मसाले मिलावट वाले मिलते हैं. इसे देखते हुए वो केवल अच्छे और बिना मिलावट वाले ऑर्गेनिक मसाले ही बेचते हैं. इसी कारण उनके मसालों की मार्केट में मांग है.
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