लखनऊ : उत्तर प्रदेश में गर्मी में 30,700 मेगावाट का रिकॉर्ड बनाने के बाद अब जहां उत्तर प्रदेश में 26,287 से 27 हजार मेगावाट के बीच डिमांड चल रही है. वहां जब बरसात में उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली देने की बारी आई तो रोस्टर व्यवस्था लागू कर दी गई. इस पर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बुधवार को विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष से मुलाकात कर विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 23 के तहत एक जनहित प्रस्ताव दाखिल किया. ये मांग उठाई कि उत्तर प्रदेश में उपभोक्ता अधिकार रूल 2020 के तहत 24 घंटे विद्युत आपूर्ति का जो निर्णय वापस लिया गया है, वह उपभोक्ता विरोधी है. अब पूरा मामला संवैधानिक बन गया है इसलिए विद्युत नियामक आयोग को विद्युत अधिनियम 2003 का प्रयोग करते हुए पावर काॅरपोरेशन को दिशा निर्देश जारी करना चाहिए.
प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्र में 6 घंटे कटौतीकरने के लिए रोस्टर व्यवस्था लागू होने के खिलाफ उपभोक्ता परिषद पहुंचi नियामक आयोग दाखिल किया जनहित प्रस्ताव कहा आयोग तत्काल पावर कारपोरेशन को विद्युत अधिनियम 2003 की धारा23 के तहत जारी करें निर्देशसभी को 24घंटे विद्युत आपूर्ति का अधिकार।
— avadhesh kumar verma (@uprvup) July 3, 2024
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के सामने अनेकों राज्यों के प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत के आंकड़े रखते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत बहुत कम है. ऊपर से अब यह रोस्टर का आदेश, ऐसे में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत और कम हो जाएगी. वर्ष 2019-20 की बात की जाए तो पूरे देश की प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत जहां 1208 थी, वहीं उत्तर प्रदेश की सिर्फ 629 थी. दिल्ली की 1572 ,हरियाणा की 2229, पंजाब 2171, हिमांचल 1527, उत्तराखंड 1528, गुजरात 2388 और महाराष्ट्र की 1418 थी. ऐसे में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत में बढोतरी तभी होगी जब सभी विद्युत उपभोक्ताओं को 24 घंटे विद्युत आपूर्ति का ऐलान किया जाएगा. उपभोक्ता अधिकार रूल 2020 के तहत सभी को 24 घंटे बिजली मिलने का अधिकार है. पावर काॅरपोरेशन ने बड़े रिकॉर्ड के दावे करने के बाद अब बारिश में जब पावर एक्सचेंज पर एवरेज 2.31 पैसे प्रति यूनिट और न्यूनतम 70 पैसे प्रति यूनिट में बिजली बिक रही है तो उपभोक्ताओं को बिजली 24 घंटे नहीं दी जा रही है.
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन रियल टाइम मार्केट में तीन बजकर 32 मिनट तक लगभग 1842 मेगावाट बिजली दूसरे राज्यों को बेच रहा था, जो यह साबित करता है कि उत्तर प्रदेश में बिजली कटौती करके जो बिजली बच रही है दूसरे राज्यों में उसकी बिक्री की जा रही है. ये अपने आप में बहुत गंभीर मामला है.
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