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रामगढ़ ताल की खूबसूरती को बट्टा लगा रहे ये 11 नाले; गोरखपुर के सबसे बड़े टूरिस्ट डेस्टिनेशन में गिराया जा रहा गंदा पानी - Gorakhpur Ramgarh Tal

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 16, 2024, 12:42 PM IST

Updated : Sep 17, 2024, 1:09 PM IST

सीएम सिटी की पहचान बन रहे सबसे बड़े टूरिस्ट डेस्टिनेशन रामगढ़ ताल की खूबसूरती पर 12 नाले बट्टा लगा रहे हैं. बिना ट्रीटमेंट के इन नालों का पानी सीधे गिराया जा रहा है. नालों की गंदगी रामगढ़ ताल को सजाने-संवारने के लिए कई प्रोजेक्ट पर पानी फेर रही है.

रामगढ़ ताल में सीधे गिर रहा नालों का पानी.
रामगढ़ ताल में सीधे गिर रहा नालों का पानी. (Photo Credit; ETV Bharat)

गोरखपुर : सीएम सिटी की पहचान बन रहे रामगढ़ ताल की खूबसूरती पर 12 नाले बट्टा लगा रहे हैं. बिना ट्रीटमेंट के इन नालों का पानी सीधे रामगढ़ ताल में गिर रहा है. एक तरफ रामगढ़ ताल को सजाने-संवारने के लिए कई प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है, तो दूसरी तरफ नालों की गंदगी इस पर पानी फेर रही है. इसी साल जुलाई में रामगढ़ ताल में प्रदूषण के कारण मछलियों के मरने की भी रिपार्ट आई थी. रामगढ़ ताल में बीते दिसंबर में क्रूज की सौगात सीएम योगी के हाथों मिली थी. इसके साथ ही यहां रात में रंगबिरंगी रोशनी में म्यूजिकल फाउंटेन भी लोगों को खूब आकर्षित करता है. ताल के ईर्द-गिर्द कई होटल बनने हैं, इसमें एक ताज भी है. इन सबके बीच नालों का बिना ट्रीटमेंट गिरता पानी इन सारे प्रयासों को धूमिल कर रहा है.

गोरखपुर में नदियों और रामगढ़ ताल में गिरता नालों का पानी प्रदूषण की बड़ी वजह बन गया है. (Video Credit; ETV Bharat)

महज 5 प्रतिशत दूषित पानी की ही सफाई: गोरखपुर में वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और सीवर लाइन की स्थापना के साथ नालों के निर्माण की योजनाएं अफसरों द्वारा गिनाई जाती हैं, लेकिन मौजूदा स्थिति पर गौर करें तो नालों से निकलने वाले 100 करोड़ लीटर गंदे पानी में मात्र 5 प्रतिशत की ही सफाई प्रतिदिन हो पा रही है. 15 नालों का गंदा पानी सीधे राप्ती और रोहिन नदी में जाता है. यह पानी इतना विषैला होता है कि दूर तक नदियों का पानी काला हो जाता है. जल निगम के अधीक्षण अभियंता रतनसेन सिंह कहते हैं कि 212 एमएलडी क्षमता के एसटीपी की जरूरत है, लेकिन अभी 44 एमएलडी पर काम चल रहा है.

रामगढ़ ताल पर म्यूजिकल फाउंटेन बरबस ही लोगों का ध्यान खींचता है.
रामगढ़ ताल पर म्यूजिकल फाउंटेन बरबस ही लोगों का ध्यान खींचता है. (Photo Credit; ETV Bharat)

इन इलाकों का पानी गिरता है रामगढ़ ताल में: रतनसेन सिंह बताते हैं कि चार एसटीपी का संचालन अगले साल शुरू कर दिया जाएगा. इससे गंदा पानी साफ होकर नदियों और रामगढ़ ताल में जाएगा. रामगढ़ ताल में पहले 18 नालों का पानी सीधे गिरता था. इसके किनारे जब बांध बनाने की शुरुआत हुई तो सात नाले बंद हो गए. इसमें सहारा स्टेट, सिंघाड़िया, महेरवा की बारी, बिशनपुरवा, आवास विकास, कच्चा नाला, गिरधारगंज, यादव टोला नंबर एक और दो, स्मार्ट व्हील, श्रीरामपुरम कॉलोनी, श्रीरामपुरम नंबर 1 और 2 के अलावा कृष्णापुरम, सूर्य नगर, रामनगर, पड़हा टोला का पानी सीधे रामगढ़ ताल में गिरता है. वर्तमान में गोड़धोइया नाले का गंदा पानी भी रामगढ़ ताल में जा रहा है. यही पानी पूरे ताल में फैल रहा है.

रामगढ़ ताल पर चलने वाली क्रूज लोगों की पसंदीदा बनी हुई है.
रामगढ़ ताल पर चलने वाली क्रूज लोगों की पसंदीदा बनी हुई है. (Photo Credit; ETV Bharat)

सफाई की क्या है योजना : नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल कहते हैं कि जो भी नाले नदी से जुड़ रहे हैं, उनके पानी को निर्माणधीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से टैब करते हुए बायो रेमेडियेशन मेमरेन तकनीक से साफ करते हुए नदी में छोड़ा जाएगा, जिससे पानी गंदा नहीं होगा. बताते हैं कि शहर से कुल 13 बड़े, 117 मझले और 110 छोटे नाले विभिन्न वार्डों से निकलते हैं. जिनमें से 15 नालों का जल नदी के छोर तक पहुंचता है. सुभाष नगर में निर्माणाधीन ट्रीटमेंट वाटर प्लांट और लहसड़ी बंधे के किनारे बनने वाले ट्रीटमेंट प्लांट से इस पर बहुत हद तक लगाम लगाई जा सकेगी.

शाम के वक्त रामगढ़ ताल का नजारा बेहद दिलकश हो जाता है.
शाम के वक्त रामगढ़ ताल का नजारा बेहद दिलकश हो जाता है. (Photo Credit; ETV Bharat)

यह भी पढ़ें : लंदन आई से बड़ा गोरखपुर आई बनाने का रास्ता साफ, रामगढ़ ताल में 15 किलोमीटर दूर से आयेगी नजर - London Eye in Gorakhpur

नहीं शुरू हो पाया बायो रेमेडिएशन : बताया कि राप्ती नदी में गिरने वाले पांच और रामगढ़ ताल में गिरने वाले 18 नालों का पानी साफ करने के लिए नगर निगम ने बायो रेमेडिएशन की शुरुआत की थी. जिसके तहत बायोकल्चर के माध्यम से नालों में ही गंदा पानी साफ किया जाना था, लेकिन वर्षा के पहले काम ठप हो गया. इसके बाद नालों में गंदा पानी साफ करने की शुरुआत नहीं हो सकी. नगर निगम ने इस पर फिर से काम शुरू कर दिया है.

एसटीपी की जरूरत: जल निगम के अधीक्षण अभियंता की मानें तो एसटीपी की अभी और जरूरत है. इसका प्रस्ताव अभी बन नहीं सका है. महादेव झारखंडी के मरवा की बारी में 20 मिलियन लीटर प्रतिदिन और चिड़ियाघर के पास 30 एमएलडी क्षमता का एसटीपी संचालित है. यानी कि रोजाना 5 करोड़ लीटर गंदा पानी ही साफ हो पा रहा है. पानी को साफ करने की व्यवस्था काफी खर्चीली होती है। और एसटीपी स्थापना के लिए ज्यादा जमीन की भी जरूरत होती है.

यह भी पढ़ें : तालों में रामगढ़ ताल... अब शिकारा-पैराग्लाडिंग का भी लुत्फ लीजिए, गोरखपुर में कश्मीर की डल झील का नजारा - ramgarh tal gorkhpur

रामगढ़ ताल में मरी पाई गई थीं मछलियां : रामगढ़ ताल में प्रदूषण का मामला तब उजागर हुआ है जब 29 जून को मछलियां मरी हुईं पाई गईं. कारण जानने के लिए गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, गोरखपुर कार्यालय को जांच सौंपी. जिसकी रिपोर्ट आई तो पता चला कि ऑक्सीजन की कमी मछलियों की मौत का प्रमुख कारण है. रिपोर्ट में कहा गया था कि ताल में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड यानी (बीओडी) एवं केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (सीओडी) की मात्रा मानक से अधिक पाई गई है, जो मछलियों के लिए बेहद हानिकारक है.

रामगढ़ ताल की खूबसूरती बढ़ाने पर चल रहा काम : एक अनुमान के मुताबिक रामगढ़ ताल में रोज करीब दस हजार लोग घूमने आते हैं. लंदन आई की तर्ज पर "गोरखपुर आई" का भी निर्माण यहां हो रहा है. यहां एक बड़ा जेटी बनाया जाएगा. इसके अलावा क्रूज, शिकारा, पैरा सेलिंग भी शुरू होगी. ताल के चारों तरफ रिंग रोड टू लेन और फोर लेन की बनाई जा रही है. यहां से सी प्लेन चलाने की भी सीएम योगी घोषणा कर चुके हैं.

शिकारा बोट चलाने का भी है प्लान: रामगढ़ ताल में मोटर बोट से लेकर लेजर शो तक संचालित हो रहा है. एक विशेष जोन में केरल और कश्मीर में चलने वाली शिकारा बोट को भी चलाने का GDA ने प्लान तैयार किया है, जिसके लिए उसकी इन्वेस्टर की तलाश बहुत जल्द पूरी होने वाली है. यहां पर हॉट बजार भी विकसित किया जा रहा है. इसके बगल में होटल रेस्तरां भी बनते जा रहे हैं, जिसमें कोर्टयार्ड मैरियट जैसा होटल लोगों को सेवा देने लगा है. होटल ताज के निर्माण की प्रक्रिया भी चल रही है. इस ताल के चारो तरफ सड़क का निर्माण चल रहा है. मोहद्दीपुर से सर्विस रोड के रूप में फोरलेन की सड़क बनाई जा रही है.

यह भी पढ़ें : गोरखपुर का रामगढ़ ताल और होगा बेमिसाल, इस विदेशी टूरिस्ट स्पॉट जैसा दिखेगा, क्या-क्या होगा खास जानिए? - ramgarh tal gorakhpur

गोरखपुर : सीएम सिटी की पहचान बन रहे रामगढ़ ताल की खूबसूरती पर 12 नाले बट्टा लगा रहे हैं. बिना ट्रीटमेंट के इन नालों का पानी सीधे रामगढ़ ताल में गिर रहा है. एक तरफ रामगढ़ ताल को सजाने-संवारने के लिए कई प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है, तो दूसरी तरफ नालों की गंदगी इस पर पानी फेर रही है. इसी साल जुलाई में रामगढ़ ताल में प्रदूषण के कारण मछलियों के मरने की भी रिपार्ट आई थी. रामगढ़ ताल में बीते दिसंबर में क्रूज की सौगात सीएम योगी के हाथों मिली थी. इसके साथ ही यहां रात में रंगबिरंगी रोशनी में म्यूजिकल फाउंटेन भी लोगों को खूब आकर्षित करता है. ताल के ईर्द-गिर्द कई होटल बनने हैं, इसमें एक ताज भी है. इन सबके बीच नालों का बिना ट्रीटमेंट गिरता पानी इन सारे प्रयासों को धूमिल कर रहा है.

गोरखपुर में नदियों और रामगढ़ ताल में गिरता नालों का पानी प्रदूषण की बड़ी वजह बन गया है. (Video Credit; ETV Bharat)

महज 5 प्रतिशत दूषित पानी की ही सफाई: गोरखपुर में वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और सीवर लाइन की स्थापना के साथ नालों के निर्माण की योजनाएं अफसरों द्वारा गिनाई जाती हैं, लेकिन मौजूदा स्थिति पर गौर करें तो नालों से निकलने वाले 100 करोड़ लीटर गंदे पानी में मात्र 5 प्रतिशत की ही सफाई प्रतिदिन हो पा रही है. 15 नालों का गंदा पानी सीधे राप्ती और रोहिन नदी में जाता है. यह पानी इतना विषैला होता है कि दूर तक नदियों का पानी काला हो जाता है. जल निगम के अधीक्षण अभियंता रतनसेन सिंह कहते हैं कि 212 एमएलडी क्षमता के एसटीपी की जरूरत है, लेकिन अभी 44 एमएलडी पर काम चल रहा है.

रामगढ़ ताल पर म्यूजिकल फाउंटेन बरबस ही लोगों का ध्यान खींचता है.
रामगढ़ ताल पर म्यूजिकल फाउंटेन बरबस ही लोगों का ध्यान खींचता है. (Photo Credit; ETV Bharat)

इन इलाकों का पानी गिरता है रामगढ़ ताल में: रतनसेन सिंह बताते हैं कि चार एसटीपी का संचालन अगले साल शुरू कर दिया जाएगा. इससे गंदा पानी साफ होकर नदियों और रामगढ़ ताल में जाएगा. रामगढ़ ताल में पहले 18 नालों का पानी सीधे गिरता था. इसके किनारे जब बांध बनाने की शुरुआत हुई तो सात नाले बंद हो गए. इसमें सहारा स्टेट, सिंघाड़िया, महेरवा की बारी, बिशनपुरवा, आवास विकास, कच्चा नाला, गिरधारगंज, यादव टोला नंबर एक और दो, स्मार्ट व्हील, श्रीरामपुरम कॉलोनी, श्रीरामपुरम नंबर 1 और 2 के अलावा कृष्णापुरम, सूर्य नगर, रामनगर, पड़हा टोला का पानी सीधे रामगढ़ ताल में गिरता है. वर्तमान में गोड़धोइया नाले का गंदा पानी भी रामगढ़ ताल में जा रहा है. यही पानी पूरे ताल में फैल रहा है.

रामगढ़ ताल पर चलने वाली क्रूज लोगों की पसंदीदा बनी हुई है.
रामगढ़ ताल पर चलने वाली क्रूज लोगों की पसंदीदा बनी हुई है. (Photo Credit; ETV Bharat)

सफाई की क्या है योजना : नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल कहते हैं कि जो भी नाले नदी से जुड़ रहे हैं, उनके पानी को निर्माणधीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से टैब करते हुए बायो रेमेडियेशन मेमरेन तकनीक से साफ करते हुए नदी में छोड़ा जाएगा, जिससे पानी गंदा नहीं होगा. बताते हैं कि शहर से कुल 13 बड़े, 117 मझले और 110 छोटे नाले विभिन्न वार्डों से निकलते हैं. जिनमें से 15 नालों का जल नदी के छोर तक पहुंचता है. सुभाष नगर में निर्माणाधीन ट्रीटमेंट वाटर प्लांट और लहसड़ी बंधे के किनारे बनने वाले ट्रीटमेंट प्लांट से इस पर बहुत हद तक लगाम लगाई जा सकेगी.

शाम के वक्त रामगढ़ ताल का नजारा बेहद दिलकश हो जाता है.
शाम के वक्त रामगढ़ ताल का नजारा बेहद दिलकश हो जाता है. (Photo Credit; ETV Bharat)

यह भी पढ़ें : लंदन आई से बड़ा गोरखपुर आई बनाने का रास्ता साफ, रामगढ़ ताल में 15 किलोमीटर दूर से आयेगी नजर - London Eye in Gorakhpur

नहीं शुरू हो पाया बायो रेमेडिएशन : बताया कि राप्ती नदी में गिरने वाले पांच और रामगढ़ ताल में गिरने वाले 18 नालों का पानी साफ करने के लिए नगर निगम ने बायो रेमेडिएशन की शुरुआत की थी. जिसके तहत बायोकल्चर के माध्यम से नालों में ही गंदा पानी साफ किया जाना था, लेकिन वर्षा के पहले काम ठप हो गया. इसके बाद नालों में गंदा पानी साफ करने की शुरुआत नहीं हो सकी. नगर निगम ने इस पर फिर से काम शुरू कर दिया है.

एसटीपी की जरूरत: जल निगम के अधीक्षण अभियंता की मानें तो एसटीपी की अभी और जरूरत है. इसका प्रस्ताव अभी बन नहीं सका है. महादेव झारखंडी के मरवा की बारी में 20 मिलियन लीटर प्रतिदिन और चिड़ियाघर के पास 30 एमएलडी क्षमता का एसटीपी संचालित है. यानी कि रोजाना 5 करोड़ लीटर गंदा पानी ही साफ हो पा रहा है. पानी को साफ करने की व्यवस्था काफी खर्चीली होती है। और एसटीपी स्थापना के लिए ज्यादा जमीन की भी जरूरत होती है.

यह भी पढ़ें : तालों में रामगढ़ ताल... अब शिकारा-पैराग्लाडिंग का भी लुत्फ लीजिए, गोरखपुर में कश्मीर की डल झील का नजारा - ramgarh tal gorkhpur

रामगढ़ ताल में मरी पाई गई थीं मछलियां : रामगढ़ ताल में प्रदूषण का मामला तब उजागर हुआ है जब 29 जून को मछलियां मरी हुईं पाई गईं. कारण जानने के लिए गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, गोरखपुर कार्यालय को जांच सौंपी. जिसकी रिपोर्ट आई तो पता चला कि ऑक्सीजन की कमी मछलियों की मौत का प्रमुख कारण है. रिपोर्ट में कहा गया था कि ताल में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड यानी (बीओडी) एवं केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (सीओडी) की मात्रा मानक से अधिक पाई गई है, जो मछलियों के लिए बेहद हानिकारक है.

रामगढ़ ताल की खूबसूरती बढ़ाने पर चल रहा काम : एक अनुमान के मुताबिक रामगढ़ ताल में रोज करीब दस हजार लोग घूमने आते हैं. लंदन आई की तर्ज पर "गोरखपुर आई" का भी निर्माण यहां हो रहा है. यहां एक बड़ा जेटी बनाया जाएगा. इसके अलावा क्रूज, शिकारा, पैरा सेलिंग भी शुरू होगी. ताल के चारों तरफ रिंग रोड टू लेन और फोर लेन की बनाई जा रही है. यहां से सी प्लेन चलाने की भी सीएम योगी घोषणा कर चुके हैं.

शिकारा बोट चलाने का भी है प्लान: रामगढ़ ताल में मोटर बोट से लेकर लेजर शो तक संचालित हो रहा है. एक विशेष जोन में केरल और कश्मीर में चलने वाली शिकारा बोट को भी चलाने का GDA ने प्लान तैयार किया है, जिसके लिए उसकी इन्वेस्टर की तलाश बहुत जल्द पूरी होने वाली है. यहां पर हॉट बजार भी विकसित किया जा रहा है. इसके बगल में होटल रेस्तरां भी बनते जा रहे हैं, जिसमें कोर्टयार्ड मैरियट जैसा होटल लोगों को सेवा देने लगा है. होटल ताज के निर्माण की प्रक्रिया भी चल रही है. इस ताल के चारो तरफ सड़क का निर्माण चल रहा है. मोहद्दीपुर से सर्विस रोड के रूप में फोरलेन की सड़क बनाई जा रही है.

यह भी पढ़ें : गोरखपुर का रामगढ़ ताल और होगा बेमिसाल, इस विदेशी टूरिस्ट स्पॉट जैसा दिखेगा, क्या-क्या होगा खास जानिए? - ramgarh tal gorakhpur

Last Updated : Sep 17, 2024, 1:09 PM IST
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