डिंडोरी। आदिवासी बाहुल्य जिला डिंडोरी के जंगलों में शिकारी सक्रिय हैं. इसके साथ ही लकड़ी माफिया भी यहां बेलगाम हैं. बैगाचक क्षेत्र के खम्हेरा, शीतलपानी व जीलंग के जंगलों में पेड़ों की कटाई हो रही है. जंगलों को खेत के रूप में तब्दील किया जा रहा है. वन विभाग के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. डिंडोरी के जंगलों में हिरणों की संख्या काफी है. लेकिन इनका शिकार तेजी से होने लगा है.
सामाजिक कार्यकर्ता ने वीडियो जारी कर चिंता जताई
डिडोंरी के सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद बाबा ने वीडियो जारी कर आरोप लगाया "जंगलों में पेड़-पौधों की कटाई हो रही है. हिरणों का शिकार किया जा रहा है, लेकिन इस ओर कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है." उन्होंने इस संबंध में कई बार सोशल मीडिया के माध्यम से शासन-प्रशासन से मांग की लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. शिकारियों के साथ ही लकड़ी काटने वालों के हौसले दिनोंदिन बुलंद होते जा रहे हैं. शासन-प्रशासन को चाहिए कि इस पर संज्ञान लेते हुए जल्द ही कोई ठोस कदम उठाए जाएं.
फंदा डालकर हिरणों का शिकार कर रहे शिकारी
सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद बाबा का कहना है "आदिवासी बाहुल्य जिला डिंडोरी प्राकृतिक खूबसूरती वन्य जीवों और आदिवासी संस्कृति को समेटे हुए है. यहां का प्राकृतिक वातावरण सभी का मन मोह लेता है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि बैगाचक क्षेत्र के जंगलों में शिकारी बेखौफ हैं. पेड़ों की कटाई की जा रही है. कुछ लोग शिकार करने की बदनीयत से फंदा डालकर हिरणों का शिकार कर रहे हैं."
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एमपी में 5 माह में 114 वन्यप्राणियों का शिकार
मध्यप्रदेश में वन्य प्राणियों के शिकार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. वन विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में 1 जनवरी 2024 से लेकर मई 2024 तक कुल 114 जंगली जानवरों का शिकार किया गया है. इन घटनाओं में सबसे ज्यादा 24 तेंदुए, 20 चीतल, 16 नीलगाय और 14 जंगली सुअरों का शिकार किया. इसके अलावा 3 काले हिरणों का भी शिकार किया गया है. बता दें कि काले हिरण का शिकार सीहोर, रायसेन और सागर जिले में हुआ. पन्ना, उमरिया, मंडला सतना शहडोल में सबसे ज्यादा घटनाएं शिकार की हुईं.