कुचामनसिटी: भारत में देवाधिदेव महादेव के हजारों मंदिर हैं, लेकिन डीडवाना के महाकाली अखाड़े में स्थित सोमित्रेश्वर मंदिर भारत भर में एक मात्र मंदिर है, जिसकी स्थापना और जिसका आकार अपने आप में अनूठा है. ऐसी मान्यता है कि इन्हें 108 शिवलिंग और 108 रुद्राक्षों से वैज्ञानिक और तांत्रिक विधि से स्थापित होने के कारण इसकी पूजा करने से रोग और दोष दूर होते हैं. इसकी स्थापना से पहले शिवलिंग के नीचे स्फटिक और एक मुखी रुद्राक्ष की स्थापना की गई.
पुजारी सोहननाथ योगी ने बताया कि यह एक चमत्कारिक शिवलिंग है, जिस पर मात्र एक बिल्वपत्र से अर्चना करने से ही कई रोगों का नाश होता है. सोमित्रेश्वर महादेव की स्थापना में अंक ज्योतिष का भी विशेष ध्यान रखा गया है. अंक ज्योतिष के अनुसार 9 का अंक सर्वश्रेष्ठ माना जाता है और इस शिवलिंग की स्थापना में 9 के अंक का विशेष ध्यान रखा गया है. 108 शिवलिंगों से बना हुआ है. शिवलिंग पर 108 रुद्राक्ष और 63 बिल्व पत्र बनाए गए हैं. इसके नीचे शेषनाग की आकृति बनाई गई है. शिवलिंग के चारों और अष्ट खम्ब पर अष्ट भैरव स्थापित है.
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इसी मंदिर के परिसर में नव नाथ भी स्थापित है. मान्यता है कि नव नाथ खुद भगवान शिव ही है, जिनके 9 अलग-अलग रूप है. इस मंदिर में नव नाथ की भी पूजा की जाती है. इनकी पूजा के बिना सावन मास की पूजा अधूरी मानी जाती है. इसी प्रकार इस मंदिर में नव ग्रह भी स्थापित है. नव ग्रह की स्थापना में विज्ञान, अध्यात्म, वास्तु, ज्योतिष और तांत्रिक शास्त्र का पूर्ण ध्यान रखा गया है. प्रत्येक ग्रह एक दूसरे के विपरीत दिशा में है, वहीं किसी भी ग्रह की दूसरे ग्रह पर छाया भी नहीं पड़ती. उनकी ऊंचाई, लंबाई और चौड़ाई में भी अलग अलग विज्ञान और अध्यात्म शास्त्र का ध्यान रखा गया है.