देवास: इन दिनों गणेश चतुर्थी की तैयारियां जोरों-शोरों पर चल रही हैं. लोगों द्वारा लगातार पंडाल बनाकर गणेश प्रतिमाएं स्थापित की जा रही हैं. वहीं देवास के भौंरासा कस्बे में भगवान गणेश की एक स्वयं-भू प्रतिमा है. यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. लोगों का मानना है कि यहां पूजा-अर्चना करने से सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. वहीं इस प्रतिमा के प्रकट होने को लेकर कई धार्मिक मान्याताएं हैं.
मंदिर के पुजारी ने किया बड़ा दावा
इस मंदिर की प्रतिमा के बारे में मंदिर के पुजारी महंत संतोष गिरी गोस्वामी ने बताया, '' गणेश जी की इस अद्भुत अति प्राचीन चेतन्य प्रतिमा को कुछ लोग 400 वर्षों पहले जयपुर से लेकर आए थे, जो बैलगाड़ी से बागली लेकर जा रहे थे. तभी रात्रि विश्राम के लिए वह लोग भौंरासा नगर में महंत नाथूगिरि गोस्वामी के मठ पर रुक गए. रात के दौरान गणेश प्रतिमा बैलगाड़ी में रखी थी, लेकिन जब लोगों ने सुबह उठकर देखा तो प्रतिमा बैलगाड़ी से गायब होकर अपने मठ में विराजमान हो चुकी थी. लोगों ने प्रतिमा को बागली ले जाने के लिए उठाने का प्रयास किया, लेकिन प्रतिमा उठना तो दूर वहां से हिली तक नहीं.''
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पूरी होती हैं लोगों की मनोकामनाएं
पुजारी ने आगे बताया, ''आखिरकार हार मानकर बागली गांव के लोग खाली हाथ लौट गए. इसके बाद में महंत और भौंरासा वासियों ने इस प्रतिमा की पूरी विधि विधान से स्थापना की. तब से आज तक हजारों श्रृद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी हुईं हैं. इसी प्रकार गणेश स्थापना के अवसर पर प्रति वर्ष नगर के लोगों के द्वारा महाआरती कर लड्डुओं का भोग लगाया जाता है. प्रतिमा के लिए शिर्डी महाराष्ट्र से विशेष गुलाब की पुष्पमाला भक्तों द्वारा मंगवाई जाती है.'' महंत संतोष गिरी गोस्वामी ने आगे बताया, ''जिन महिलाओं को बच्चे नहीं होते हैं, वह अगर यहां पर आकर सच्चे मन से भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करते है और उल्टा स्वास्तिक बनाकर मन्नत मांगती हैं तो सालभर के अंदर महिलाओं की सूनी गोद भर जाती है. ऐसे एक दो नहीं कई उदाहरण हैं. संतान प्राप्ति के बाद संतान का तुलादान यहां पर किया जाता है.''