भिंड. चुनावों के नजदीक आते ही विभिन्न संगठन कई तरह की मांगें करने लगते हैं, वो भी इस उम्मीद में कि सरकार दबाव में उनकी मांगों को मान लेगी. हालांकि, चंबल से उठी ये मांग जरा हटकर है. चंबल का एक संगठन इसे एक अलग प्रदेश बनने की मांग कर रहा है. इस नए प्रदेश का नक्शा और बाकायदा नाम तक तय कर लिया गया है, जिसमें न सिर्फ मध्यप्रदेश बल्कि उत्तरप्रदेश और राजस्थान के कई जिलों को शामिल करने की बात कही जा रही है.
किसने उठाई चंबल को प्रदेश बनाने की मांग?
चंबल को प्रदेश बनाने की मांग (Demand to form chambal state) एक स्थानीय सामाजिक दल 'राष्ट्रीय हनुमान सेना' (rashtriya hanuman sena ) ने की है. राष्ट्रीय हनुमान सेना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरसिंह कुमार चौबे का कहना है कि चंबलांचल की समस्या और निदान के मुख्य बिन्दुओं को लेकर राष्ट्रीय हनुमान सेना पार्टी 27 दिसम्बर 1999 से चम्बल प्रदेश गठन की मांग करता रहा है. इसमें उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान के सीमावर्ती 22 जिलों को मिलाकर चम्बल प्रदेश गठन की मांग की गई.
3 राज्यों के 22 जिले जोड़कर बनाएं नया प्रदेश
चंबल को प्रदेश बनाने की मांग में कहा गया है कि इसे बनाने के लिए 3 राज्यों के 22 जिलों को जोड़ा जाए, जिसमें उत्तरप्रदेश से आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, जालौन, झांसी और ललितपुर, मध्यप्रदेश से गुना, शिवपुरी, अशोकनगर, दतिया, ग्वालियर, मुरैना, श्योपुर और भिंड और राजस्थान से धौलपुर, करौली, सवाई माधौपुर, कोटा, बारा, झालावाड़ को शामिल किया जाए.
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आरोप- चंबल में विकास की धीमी रफ्तार
चंबल को प्रदेश बनाने की मांग करने वाले संगठन राष्ट्रीय हनुमान सेना का कहना है कि इस मांग के पीछे की वजह चंबलांचल के साथ हुई अनदेखी और सौतेलापन है. राष्ट्रीय हनुमान सेना पार्टी के अध्यक्ष नरसिंह कुमार चौबे कहते हैं, 'राजनैतिक दलों ने इस क्षेत्र के विकास के लिए कोई खास कदम नहीं उठाए, वहीं किसान, युवा परेशान हैं, बेरोजगारी चरम पर है. जिससे पूरे चंबल अंचल में लोगों में रोष व्याप्त हो रहा है और इस रोष के बीच पार्टी को नए प्रदेश के गठन की मांग को लेकर भारी समर्थन मिल रहा है. अब चंबलांचल की चाहत चंबल प्रदेश है.'