नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को जेल अधिकारियों को कथित ठग सुकेश चंद्रशेखर द्वारा दायर रिट याचिका पर विचार करने और निर्णय लेने का निर्देश दिया. सुकेश ने जेल में रहने के दौरान अपने वकीलों से अतिरिक्त मुलाकात का अनुरोध किया है. न्यायमूर्ति अमित महाजन की पीठ ने मामले की सुनवाई की और निर्देश जारी किया. इससे पहले न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था.
सुकेश चंद्रशेखर ने याचिका के माध्यम से अपने कानूनी सलाहकार के साथ अपनी मुलाकातों को सप्ताह में पांच बार बढ़ाने की अनुमति मांगी है. इस अनुरोध में वर्तमान में प्रति सप्ताह दो मुलाकातों के अलावा अतिरिक्त तीन मुलाकातों की मांग की गई है. सुकेश का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता अनंत मलिक ने कहा कि याचिकाकर्ता, विभिन्न न्यायालयों में कई मामलों में शामिल एक विचाराधीन कैदी, वर्चुअल मुलाकातों की वर्तमान अनुमति को अपर्याप्त पाता है. हाई-प्रोफाइल भ्रष्टाचार और जबरन वसूली के मामलों सहित अपने कानूनी मुद्दों की जटिलता और व्यापकता को देखते हुए उसको अपने बचाव को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए अपने वकीलों के साथ अधिक बार परामर्श करना महत्वपूर्ण है.
याचिका में सुकेश चंद्रशेखर की व्यक्तिगत कठिनाइयों पर जोर दिया गया है, जिसमें दूरी के कारण अपने परिवार से अलग-थलग पड़ना और अपने जीवनसाथी को जेल में रखना शामिल है. यह स्थिति उनके संकट को बढ़ाती है, जो उनके कानूनी सलाहकार के साथ नियमित और सार्थक बातचीत की आवश्यकता को रेखांकित करती है.
यह भी पढ़ें- जैकलीन फर्नांडीस की ED चार्जशीट को रद्द करने की याचिका पर अंतिम बहस 18 सितंबर को, हाईकोर्ट ने किया सूचीबद्ध
याचिका में कहा गया है कि कानूनी परामर्श पर मौजूदा प्रतिबंध भारत के संविधान के अनुच्छेद 22(1) के तहत चंद्रशेखर के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं, जो अपनी पसंद के कानूनी व्यवसायी से परामर्श करने और बचाव करने के अधिकार की गारंटी देता है. अपने अनुरोध का समर्थन करने के लिए सुकेश चंद्रशेखर की याचिका में हाल के न्यायिक उदाहरणों का संदर्भ दिया गया है, जिसमें अरविंद केजरीवाल बनाम दिल्ली कारागार विभाग में दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला भी शामिल है। उस मामले में, अदालत ने अभियुक्तों को उनके वकील के साथ पांच साप्ताहिक बैठकों की अनुमति दी.
यह भी पढ़ें- ठग सुकेश चंद्रशेखर की जेल में वकील से ज्यादा मुलाकात की मांग पर सुनवाई से जज हटे