नई दिल्ली: पूर्व विधायक और माफिया मुख्तार अंसारी की गुरुवार को हार्ट अटैक मौत हो गई. मुख्तार की मौत की खबर आने के बाद से विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया सामने आने लगी है. कई नेताओं ने मौत पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग की है. वहीं कुछ नेता ये बात भी याद दिला रहे हैं कि मुख्तार ने प्रशासन पर आरोप लगाया था. कहा था कि उसको धीमा जहर दिया गया है.
वहीं, इस मामले को लेकर दिल्ली बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि मुख्तार की जो मौत हुई है उसको लेकर जांच के आदेश दे दिए गए हैं. यह एक जांच का विषय है और जांच की जा रही है, लेकिन मेरा लोगों से अनुरोध है कि किसी भी प्रकार की अफवाहों पर ध्यान ना दें. जो भी घटना घटी है उसको लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं. इस पूरे मामले पर जांच जारी है. अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा कि पूरा मामला क्या है. लेकिन तब तक लोगों को संयम रखना चाहिए. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति साफ हो पाएगी कि किन कारणों की वजह से उनकी मौत हुई है.
दरअसल, मुख्तार अंसारी को देर शाम जेल से बांदा मेडिकल कॉलेज ले जाया गया. जब अचानक से उनकी तबीयत खराब हो गई थी. उसके बाद हार्ट अटैक से उनकी अस्पताल में ही मौत हो गई. मुख्तार की मौत के बाद उत्तर प्रदेश में धारा 144 भी लगा दी गई है. बीजेपी के राष्ट्रीय मुख्यालय के बाहर आज इंडिया एलायंस का प्रदर्शन होना था, लेकिन एन वक्त पर प्रदर्शन को कैंसिल कर दिया गया.
इस पूरे मामले को लेकर दिल्ली बीजेपी आम आदमी पार्टी पर हमलावर हो गई है. दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा है कि इंडिया एलायंस के नाम पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का अवसरवादी गठबंधन आगे नहीं बढ़ पा रहा है क्योंकि दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता एक साथ आने के लिए तैयार नहीं हैं. गुरूवार शाम AAP ने मीडिया आमंत्रण और प्रेस विज्ञप्ति जारी की, लेकिन कांग्रेस ने कोई निमंत्रण जारी नहीं किया और न ही इंडिया एलायंस के आधिकारिक लेटरहेड पर निमंत्रण जारी किया गया.
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दिल्ली भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि इंडिया गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं होने का बड़ा सबूत इस बात से मिलता है कि 27 फरवरी को आप द्वारा अपने 4 उम्मीदवारों की घोषणा के 30 दिन बाद भी कांग्रेस 3 लोकसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं कर पाई है. कपूर ने कहा कि समस्या यह है कि आप के 62 विधायकों में से अधिकांश कम से कम दूसरी बार विधायक हैं और वे गठबंधन सीट समायोजन में अपनी सीटें खोने के डर से कांग्रेस के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं.