नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर डीडीए द्वारा अक्षरधाम के पास स्थित यमुना खादर में झुग्गियों को तोड़ने की कार्रवाई की गई. शुक्रवार को दूसरे दिन भी डीडीए के द्वारा 100 से ज्यादा झुग्गियों को तोड़ा गया. इन झुग्गियों को तोड़े जाने से विस्थापित हुए लोगों का कहना है कि हर साल नोटिस आते हैं. हर साल झुग्गियों को तोड़ा जाता है. उसके बाद फिर मामला शांत हो जाता है.
लोगों का कहना है कि एक बार में ही यहां पर झुग्गियों को तोड़ने के बाद दोबारा झुग्गियां नहीं बनाने दी जाएं. लेकिन, दोबारा झुग्गियां बनती हैं तो डीडीए के लोग कोई ऑब्जेक्शन नहीं करते और जब बन जाती हैं तो फिर उनको तोड़ देते हैं. यहां रह रहे ग्रामीणों ने बताया कि लोग यहां 20 से 25 साल से भी ज्यादा समय से खेती कर रहे हैं. करीब 2000 से ज्यादा लोग हैं. यहां पर 100 से ज्यादा परिवार है. लोगों के पास यहां के राशन कार्ड और वोटर कार्ड भी हैं. हर चुनाव में लोग वोट भी डालते हैं.
यहां झुग्गी में रहने वाले मानचंद ने बताया कि पहले 5 तारीख को झुग्गी तोड़ी गई थी. उसके बाद बीच में फिर बंद कर दी गई. अब 18 तारीख से फिर से तोड़ना शुरू किया गया है. बहुत सारा सामान तोड़ दिया है. यहां रहने वाले रूकपाल ने बताया कि उनके छह बच्चे हैं. तीन बच्चे मयूर विहार फेज वन के सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं. एक बच्चा प्राइवेट स्कूल में पढ़ता है. बच्चों का एडमिशन अप्रैल में हो चुका है. अब ऐसे समय में झुग्गियां तोड़ी गई. अब बच्चों को हम कहां लेकर जाएं. दूसरी जगह चले जाएंगे तो बच्चों का दाखिला कैसे होगा.
यमुना खादर में पिछले 10 साल से पंचशील पाठशाला चला रहे शिक्षक सतेंद्र कुमार ने बताया कि हाई कोर्ट के आदेश पर झुग्गियां तोड़ी जा रही हैं. ऐसे में यहां रहने वाले लोगों को विस्थापित तो होना ही पड़ेगा. लेकिन, इस तरह ही कार्रवाई करने से पहले इन लोगों को और समय दे दिया जाता. अभी ऐसे समय में झुग्गियां तोड़ी जा रही, जब बारिश का समय है. बच्चों के दाखिले हो चुके हैं. पाठशाला में पढ़ने वाले बच्चों के लिए हम भी अभी कोई इंतजाम नहीं कर पाए हैं. उनकी आगे की पढ़ाई कैसे होगी इस बारे में भी कुछ सोच नहीं पाए हैं.
सतेंद्र ने आगे बताया कि बहुत से लोग गांव जाने का विचार बना रहे हैं. जबकि कुछ लोगों ने अशोकनगर में कमरे भी किराए पर ले लिए हैं. रैन बसेरे में अभी तक कोई नहीं गया है. वहीं, गीता कॉलोनी में रैन बसेरा संचालक नितिन से बात करके पूछा गया कि गीता कॉलोनी रैन बसेरे में क्या कोई यमुना खादर का विस्थापित गया है तो उन्होंने बताया कि अभी तक कोई विस्थापित नहीं आया है. यहां के रैन बसेरो में पहले से ही कश्मीरी गेट की झुग्गियों के विस्थापित लोग रह रहे हैं. अगर यमुना खादर के विस्थापित लोग आते हैं तो उनके लिए जगह दी जाएगी. गीता कॉलोनी स्थित रैन बसेरे में 100 लोगों के रुकने की व्यवस्था है.