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सतुआनी पर पटना के घाटों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, सत्तू के साथ आम का टिकोरा चढ़ाने की परंपरा - Satuani 2024

Satuani Festival in Patna: आज बिहार में सतुआनी पर्व मनाया जा रहा है. इसको लेकर घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. माना जाता है कि इस दिन से सनातन धर्म में नव वर्ष की शुरुआत होती है.

सतुआनी
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 14, 2024, 9:58 AM IST

सतुआनी पर्व पर उमड़ी लोगों की भीड़

पटना: आज रविवार को देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से सतुआनी का पर्व मनाया जा रहा है. सतुआनी को लेकर पटना के अलग-अलग घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली. दीघा स्थित पटना के जनार्दन घाट पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाकर के स्नान किए और फिर अपने पितरों के लिए शांति का पाठ किए. आज के दिन स्नान और दान का बड़ा विशेष महत्व है, इसलिए श्रद्धालु स्नान करने के बाद अपनी इच्छा शक्ति अनुसार ब्राह्मण को दान भी दिया.

सनातन धर्म में नववर्ष की शुरुआत: पंडित रामदुलार पांडे ने कहा कि आज से सनातन धर्म में नववर्ष की शुरुआत हो गई है. आज मेष संक्रांति मनाई जा रही है. मेष संक्रांति का बड़ा विशेष महत्व है. सत्तू और मीठा खाने की मान्यता है. पुण्य काल में दान का विशेष लाभ मिलता है.

"हम जितना भी दान देते हैं, उसका दोगुना फल प्राप्त होता है. इसलिए स्नान दान का विशेष महत्व बताया गया है और घर पर लोग जाने के बाद अपने पूरे परिवार से सत्तू और मीठा जल का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं, इसलिए सुबह से ही गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंच रही है."- रामदुलार पांडे, पंडित

क्या बोले श्रद्धालु?: घाट पर मौजूद श्रद्धालु पुष्पा सिन्हा ने कहा कि आज सतुआनी है और आज के दिन नहाने और दान के साथ-साथ सत्तू खाने का विशेष महत्व है. इसलिए सुबह हम लोग गंगा स्नान करके घाट पर पूजा पाठ करने आ हैं. घर पर जाकर के सत्तू का भोग लगाकर सत्तू खाएंगे और उसके बाद पूरी पकवान भी बनाएंगे.

'जुड़ शीतल' नाम से भी चर्चित: बिहार के मिथिलांचल में लोगों के द्वारा 'जुड़ शीतल' के नाम से मनाया जाता है, इसे मिथिला में नए साल की शुरुआत का प्रतीक कहा जाता है. सूर्य राशि परिवर्तित करते हैं. आज से गर्मी का मौसम शुरू हो जाता है और खरमास की समाप्ति हो जाती है. इसलिए इस दिन को मेष संक्रांति कहा जाता है. इस दिन सत्तू खाने की परंपरा काफी समय से चली आ रही है. इस दिन लोग मिट्टी के बर्तन में भगवान को पानी गेहूं और जौ चना मक्का के सत्तू के साथ आम का टिकोरा भी चढ़ाते हैं, इसके बाद वह प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण करते हैं.

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सनातन धर्म में नववर्ष की शुरुआत: पंडित रामदुलार पांडे ने कहा कि आज से सनातन धर्म में नववर्ष की शुरुआत हो गई है. आज मेष संक्रांति मनाई जा रही है. मेष संक्रांति का बड़ा विशेष महत्व है. सत्तू और मीठा खाने की मान्यता है. पुण्य काल में दान का विशेष लाभ मिलता है.

"हम जितना भी दान देते हैं, उसका दोगुना फल प्राप्त होता है. इसलिए स्नान दान का विशेष महत्व बताया गया है और घर पर लोग जाने के बाद अपने पूरे परिवार से सत्तू और मीठा जल का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं, इसलिए सुबह से ही गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंच रही है."- रामदुलार पांडे, पंडित

क्या बोले श्रद्धालु?: घाट पर मौजूद श्रद्धालु पुष्पा सिन्हा ने कहा कि आज सतुआनी है और आज के दिन नहाने और दान के साथ-साथ सत्तू खाने का विशेष महत्व है. इसलिए सुबह हम लोग गंगा स्नान करके घाट पर पूजा पाठ करने आ हैं. घर पर जाकर के सत्तू का भोग लगाकर सत्तू खाएंगे और उसके बाद पूरी पकवान भी बनाएंगे.

'जुड़ शीतल' नाम से भी चर्चित: बिहार के मिथिलांचल में लोगों के द्वारा 'जुड़ शीतल' के नाम से मनाया जाता है, इसे मिथिला में नए साल की शुरुआत का प्रतीक कहा जाता है. सूर्य राशि परिवर्तित करते हैं. आज से गर्मी का मौसम शुरू हो जाता है और खरमास की समाप्ति हो जाती है. इसलिए इस दिन को मेष संक्रांति कहा जाता है. इस दिन सत्तू खाने की परंपरा काफी समय से चली आ रही है. इस दिन लोग मिट्टी के बर्तन में भगवान को पानी गेहूं और जौ चना मक्का के सत्तू के साथ आम का टिकोरा भी चढ़ाते हैं, इसके बाद वह प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण करते हैं.

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