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श्रम विभाग में 1.10 करोड़ रुपये के घोटाले में दो आरोपी गिरफ्तार, सिस्टम की थी पूरी जानकारी, डाटा को किया था हैक

उत्तर प्रदेश भवन एवं संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में घोटाला (UP labor department scam) हुआ था. पुलिस ने मामले में दो आरोपियों को छत्तीसगढ़ से पकड़ लिया.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 13, 2024, 1:08 PM IST

कानपुर : श्रम विभाग के अंतर्गत संचालित उत्तर प्रदेश भवन एवं संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में हुए घोटाले में क्राइम ब्रांच ने दो आरोपियों को छत्तीसगढ़ से गिरफ्तार किया है. इसकी पुष्टि एडीसीपी क्राइम मनीष सोनकर ने की. उन्होंने बताया कि दोनों आरोपी उत्तर प्रदेश के ही रहने वाले हैं, उन्हें सिस्टम की पूरी जानकारी थी. उन्होंने ही डाटा को हैक करके इस तरीके की घटना को अंजाम दिया.

एडीसीपी क्राइम ने बतायाा कि पुलिस अब उनके किसी गिरोह से संपर्क होने का आधार तलाश रही है. एडीसीपी क्राइम मनीष सोनकर ने बताया कि दोनों आरोपियों से लगातार पूछताछ जारी है. हमने जो 64 खाते फ्रीज किए थे, उनमें करीब 60 लाख से अधिक रुपए को सुरक्षित कर लिया गया है जबकि लगभग इस मामले में 100 से अधिक खाते खुले थे. 1. 10 करोड़ रुपए का फ्रॉड किया गया था.

श्रम विभाग के अफसरों में मचा था हड़कंप : दरअसल जब श्रम विभाग के अफसर को 1.10 करोड़ रुपए की घोटाले की बात पता चली थी तो पूरे महकमें में हड़कंप की स्थिति हो गई थी. कुछ दिन पहले ही खुद श्रम मंत्री अनिल राजभर ने इस मामले का भी संज्ञान लिया था.

वहीं एक सबसे खास बात यह भी थी कि इस मामले में आरोपियों ने जिस यूजर आईडी और पासवर्ड का उपयोग किया था. वह भी एक अपर श्रमायुक्त स्तर के अफसर का था. ऐसे में अफसर यह मान रहे थे कि विभाग का ही कोई ऐसा शातिर दिमाग वाला है, जिसने इस तरीके की घटना को अंजाम दिया.

जानिए कि किस तरह हुआ घोटाला : बता दें श्रम विभाग के अंतर्गत एक योजना का संचालन किया जाता है, जिसका नाम कन्या विवाह सहायता योजना है. इसी योजना में 1.10 करोड़ रुपए का फ्रॉड हुआ. श्रम विभाग के एक आला फसर ने बताया कि इस योजना के तहत आवेदक को या लाभार्थी को एक कन्या के लिए 55000 की मदद दी जाती है. हालांकि आवेदक का जो पंजीयन है वह बोर्ड के पंजीकृत पोर्टल पर 1 साल पुराना होना चाहिए.

एक ही दिन में दो-दो बार ट्रांजेक्शन : जो घोटाला हुआ था, उसमें जो लाभार्थी सामने आए थे. उन्हें एक ही दिन में दो बार 55-55 हजार रुपए की राशि का ट्रांजेक्शन किया गया था. एडीसीपी क्राइम मनीष सोनकर ने यह भी बताया था कि इस योजना में जो खाते खुले थे वह एक निजी संचार कंपनी के पेमेंट बैंक के खाते थे. जिनका समय से सत्यापन भी नहीं कराया गया था. अब क्राइम ब्रांच के अफसर का दावा है कि वह आरोपियों से पूछताछ के दौरान घोटाले की पूरी रकम 1.10 करोड़ रुपए की रिकवरी कर लेंगे.

यह भी पढ़ें : शादी में गर्म रोटी न मिलने पर हलवाई पर तानी बंदूक, कुर्सियां तोड़ीं, जमकर मारपीट, बिना दुल्हन के लौटी बारात

कानपुर : श्रम विभाग के अंतर्गत संचालित उत्तर प्रदेश भवन एवं संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में हुए घोटाले में क्राइम ब्रांच ने दो आरोपियों को छत्तीसगढ़ से गिरफ्तार किया है. इसकी पुष्टि एडीसीपी क्राइम मनीष सोनकर ने की. उन्होंने बताया कि दोनों आरोपी उत्तर प्रदेश के ही रहने वाले हैं, उन्हें सिस्टम की पूरी जानकारी थी. उन्होंने ही डाटा को हैक करके इस तरीके की घटना को अंजाम दिया.

एडीसीपी क्राइम ने बतायाा कि पुलिस अब उनके किसी गिरोह से संपर्क होने का आधार तलाश रही है. एडीसीपी क्राइम मनीष सोनकर ने बताया कि दोनों आरोपियों से लगातार पूछताछ जारी है. हमने जो 64 खाते फ्रीज किए थे, उनमें करीब 60 लाख से अधिक रुपए को सुरक्षित कर लिया गया है जबकि लगभग इस मामले में 100 से अधिक खाते खुले थे. 1. 10 करोड़ रुपए का फ्रॉड किया गया था.

श्रम विभाग के अफसरों में मचा था हड़कंप : दरअसल जब श्रम विभाग के अफसर को 1.10 करोड़ रुपए की घोटाले की बात पता चली थी तो पूरे महकमें में हड़कंप की स्थिति हो गई थी. कुछ दिन पहले ही खुद श्रम मंत्री अनिल राजभर ने इस मामले का भी संज्ञान लिया था.

वहीं एक सबसे खास बात यह भी थी कि इस मामले में आरोपियों ने जिस यूजर आईडी और पासवर्ड का उपयोग किया था. वह भी एक अपर श्रमायुक्त स्तर के अफसर का था. ऐसे में अफसर यह मान रहे थे कि विभाग का ही कोई ऐसा शातिर दिमाग वाला है, जिसने इस तरीके की घटना को अंजाम दिया.

जानिए कि किस तरह हुआ घोटाला : बता दें श्रम विभाग के अंतर्गत एक योजना का संचालन किया जाता है, जिसका नाम कन्या विवाह सहायता योजना है. इसी योजना में 1.10 करोड़ रुपए का फ्रॉड हुआ. श्रम विभाग के एक आला फसर ने बताया कि इस योजना के तहत आवेदक को या लाभार्थी को एक कन्या के लिए 55000 की मदद दी जाती है. हालांकि आवेदक का जो पंजीयन है वह बोर्ड के पंजीकृत पोर्टल पर 1 साल पुराना होना चाहिए.

एक ही दिन में दो-दो बार ट्रांजेक्शन : जो घोटाला हुआ था, उसमें जो लाभार्थी सामने आए थे. उन्हें एक ही दिन में दो बार 55-55 हजार रुपए की राशि का ट्रांजेक्शन किया गया था. एडीसीपी क्राइम मनीष सोनकर ने यह भी बताया था कि इस योजना में जो खाते खुले थे वह एक निजी संचार कंपनी के पेमेंट बैंक के खाते थे. जिनका समय से सत्यापन भी नहीं कराया गया था. अब क्राइम ब्रांच के अफसर का दावा है कि वह आरोपियों से पूछताछ के दौरान घोटाले की पूरी रकम 1.10 करोड़ रुपए की रिकवरी कर लेंगे.

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