जयपुर : कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर गोविंद सिंह डोटासरा ने चार साल पूरे कर लिए हैं. इस मौके पर पार्टी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने कांग्रेस मुख्यालय पर डोटासरा का सम्मान किया. इसके बाद गोविंद सिंह डोटासरा ने भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि भाजपा देश में नफरत फैलाने का काम कर रही है. प्रदेश की भाजपा सरकार के मंत्रियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए डोटासरा ने कहा कि वे सदन में सवालों के जवाब तक नहीं दे पाते हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सदन में शक्ल दिखाने आते हैं. जब वे सदन में आएंगे ही नहीं, तो कैसे पता चलेगा कि हो क्या रहा है?.
क्या सदन से बड़े हो गए हैं मुख्यमंत्री : डोटासरा ने कहा कि गृह विभाग का जिम्मा खुद मुख्यमंत्री के पास है. वो सदन में सिर्फ शक्ल दिखाने आते हैं. जिस दिन उन्हें जवाब देना होता है. उसी दिन वे सदन में आते हैं. क्या वे सदन से बड़े हो गए ?. सदन के नेता कभी सदन में आए ही नहीं, तो वे किस बात के नेता हैं. वे कभी सदन में आते ही नहीं तो कैसे पता चलेगा कि उनका मंत्री कैसे जवाब दे रहा है. प्रतिपक्ष क्या सवाल कर रहा है. कैसे पता चलेगा कि बजट में क्या कमी-खामी रह गई है. ये अंतर्यामी हैं, जो बाहर बैठकर सब पता कर लेंगे.
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देश में नफरत फैला रही है भाजपा : डोटासरा ने कहा कि बीजेपी देश में नफरत फैला रही है. संविधान को तोड़ने की बात करते हैं. इमरजेंसी कब लगी थी और ये आज काला दिवस मनाने की बात करते हैं. स्कूल में सावरकर के बारे में पढ़ाने और जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने की याद में दिवस मनाने की बात करते हैं. देश संविधान से चलेगा. जब इनको तीसरी बार मौका दिया है, तो ये काम करके दिखाएं. दस साल में तो कुछ किया नहीं इन्होंने. नफरत और उन्माद फैलाना भाजपा और आरएसएस की फितरत में है.
आज देश में अघोषित आपातकाल : डोटासरा ने कहा कि देश में जब इमरजेंसी लगी थी, तो संविधान के मुताबिक लगी थी. उस फैसले को लोगों ने ठीक भी नहीं बताया था और कांग्रेस हारी भी, लेकिन इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने जबरदस्त वापसी भी की. उन बातों को लेकर ये कितने दिन चलेंगे. आज तो देश में अघोषित आपातकाल है. आज देश में आग लगी है. बेरोजगारी उच्चतम स्तर पर है. नौजवान कह रहा है. हमें काम चाहिए. किसान अपनी लागत पर मुनाफा मांग रहा है.
लोकसभा और विधानसभा में मुद्दों पर चर्चा नहीं : डोटासरा ने कहा कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी उन्हें धो रहे हैं. हम विधानसभा में जनता से जुड़े मुद्दों पर जवाब मांगते हैं तो मंत्री जवाब नहीं दे पाते हैं. सारे मंत्री फेल हैं. मुख्यमंत्री भी फेल हैं. कल बजट पर जवाब देते समय मुख्यमंत्री ने प्रदेश की जगहंसाई करवाई. सीएम लिखा हुआ पढ़कर भी जवाब नहीं दे पाए.
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जहां भी गड़बड़ लग रही जांच करवा लें : गोविंद डोटासरा ने कहा कि क्या बजट दिया है. सीएम समझा नहीं पाए. ये पूर्ववर्ती सरकार के फैसलों की जांच की बात करते हैं. जहां भी इनको गड़बड़ लगे, जांच करवा लें. किसने हाथ पकड़े है. इनको काम करना नहीं आता और काम करने की मंशा भी नहीं है. एक महीने से ज्यादा समय हो गया इनके कृषि मंत्री गायब हैं. उनके इस्तीफे पर इनके पास कोई जवाब नहीं है. मंत्री जाकर अधिकारी को ज्ञापन दे रहे हैं तो सरकार को खुद को सोचना चाहिए.
मंत्रिमंडल में अनुभवहीन लोगों की टीम : डोटासरा ने कहा कि ये अनुभवहीन लोगों की टीम है. इनके मंत्री एक दिन भी प्रश्नकाल और शून्यकाल में जवाब नहीं दे पाए हैं. बजट में हमारे समय की घोषणाओं का डाटा पढ़ा गया है. अधिकारी जो आंकड़े देते हैं. वो ये पढ़ रहे थे. बजट में उनका विजन कहां है. उन्होंने कहा कि इस बजट का भाजपा को उपचुनाव में कोई माइलेज मिलता नहीं दिख रहा है. बीजेपी पांचों सीट हारते दिख रही है. मुख्यमंत्री को पांच-छह बार दिल्ली तलब कर लिया गया. कड़ी चेतावनियां दी जा रही हैं. देखते हैं कितना असर होता है.
गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि ये वन स्टेट वन इलेक्शन की बात करते हैं. भरतपुर में जिला प्रमुख का पद खाली है. चुनाव नहीं करवा पा रहे हैं. भादरा में नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव नहीं कर पा रहे हैं. चित्तौड़गढ़ में भी अध्यक्ष का चुनाव नहीं करवा पा रहे हैं. प्रदेश में 12 जगह तो ये उपचुनाव ही नहीं करवा पा रहे हैं. फिर क्या वन स्टेट वन इलेक्शन. क्या ये संविधान और कानून को बदल देंगे क्या.
बिजली-पानी को लेकर 1-2 अगस्त को करेंगे प्रदर्शन : गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि बिजली-पानी को लेकर हम 1-2 अगस्त को तहसील से लेकर जिला स्तर पर धरना-प्रदर्शन करेंगे. सरकार बिजली-पानी पर चर्चा की बात कर रही है. हम चर्चा में भाग लेंगे और सरकार को घेरेंगे. आजादी के बाद से आज तक विधानसभा का ऐसा कोई सत्र नहीं रहा, जिसमें कानून-व्यवस्था पर चर्चा नहीं हुई हो. ये डिमांड में भी कानून-व्यवस्था पर चर्चा नहीं करवाना चाहते. अलग से भी चर्चा नहीं करवाना चाहते, जबकि इनका हमारी सरकार के समय सबसे बड़ा मुद्दा कानून-व्यवस्था का ही था. आज इनका नहीं सहेगा राजस्थान का नारा इन्हीं पर उल्टा पड़ रहा है.