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पीजी सीट छोड़ने पर मेडिकल कॉलेज ने लगाया 30 लाख का जुर्माना, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

जबलपुर हाईकोर्ट ने मामले में राज्य शासन, डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन और सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डीन को नोटिस जारी कर मांगा जवाब.

JABALPUR HIGH COURT
JABALPUR HIGH COURT (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 26, 2024, 5:06 PM IST

Updated : Nov 26, 2024, 5:18 PM IST

जबलपुर: मेडिकल कॉलेज की पीजी सीट छोड़ने के बदले 30 लाख जुर्माने के रूप में वसूलने जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस एसए धर्माधिकारी एवं जस्टिस अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने राज्य शासन, डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन और सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डीन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

याचिका के मुताबिक छात्र ने रैगिंग से परेशान होकर सीट छोड़ने का निर्णय लिया

तेलंगाना के वारंगल जिले निवासी डॉ मेकला साईं कृष्णा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि उन्होंने 2022 में उक्त मेडिकल कॉलेज के एमएस (जनरल सर्जरी) कोर्स में प्रवेश लिया था. एमएस की पढ़ाई के दौरान याचिकाकर्ता से जूनियर डॉक्टर के रूप में लगातार 48 घंटे काम कराया गया. हॉस्टल में भी वह अन्य तरह से रैगिंग का शिकार हुआ. रैगिंग से परेशान होकर उसने सीट छोड़ने का निर्णय लिया. इसके लिए सीट लीविंग बॉण्ड के तहत उसे 30 लाख रुपये जमा कराने पड़े.

नेशनल मेडिकल कमीशन ने जनवरी 2024 को राज्य सरकारों को सीट लीविंग बॉण्ड पर पुनर्विचार करने कहा था

दलील दी गई कि संसद में स्वास्थ्य मंत्री ने सीट लीविंग बॉण्ड का मुद्दा उठाया था. जिसमें सरकार ने इसे वापस लेने की बात कही थी. नेशनल मेडिकल कमीशन ने जनवरी 2024 को सभी राज्य सरकारों को सीट लीविंग बॉण्ड को समाप्त करने पर पुनर्विचार करने कहा था. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पैरवी की.

जबलपुर: मेडिकल कॉलेज की पीजी सीट छोड़ने के बदले 30 लाख जुर्माने के रूप में वसूलने जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस एसए धर्माधिकारी एवं जस्टिस अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने राज्य शासन, डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन और सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डीन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

याचिका के मुताबिक छात्र ने रैगिंग से परेशान होकर सीट छोड़ने का निर्णय लिया

तेलंगाना के वारंगल जिले निवासी डॉ मेकला साईं कृष्णा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि उन्होंने 2022 में उक्त मेडिकल कॉलेज के एमएस (जनरल सर्जरी) कोर्स में प्रवेश लिया था. एमएस की पढ़ाई के दौरान याचिकाकर्ता से जूनियर डॉक्टर के रूप में लगातार 48 घंटे काम कराया गया. हॉस्टल में भी वह अन्य तरह से रैगिंग का शिकार हुआ. रैगिंग से परेशान होकर उसने सीट छोड़ने का निर्णय लिया. इसके लिए सीट लीविंग बॉण्ड के तहत उसे 30 लाख रुपये जमा कराने पड़े.

नेशनल मेडिकल कमीशन ने जनवरी 2024 को राज्य सरकारों को सीट लीविंग बॉण्ड पर पुनर्विचार करने कहा था

दलील दी गई कि संसद में स्वास्थ्य मंत्री ने सीट लीविंग बॉण्ड का मुद्दा उठाया था. जिसमें सरकार ने इसे वापस लेने की बात कही थी. नेशनल मेडिकल कमीशन ने जनवरी 2024 को सभी राज्य सरकारों को सीट लीविंग बॉण्ड को समाप्त करने पर पुनर्विचार करने कहा था. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पैरवी की.

Last Updated : Nov 26, 2024, 5:18 PM IST
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