रांची: ईडी की कार्रवाई के बीच सरकार पर संभावित खतरा को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार 30 जनवरी को अपने आवास पर सत्ताधारी दलों के विधायकों के साथ देर शाम बैठक की. इस दौरान ईडी की कार्रवाई और सरकार पर संभावित खतरा पर विस्तार से चर्चा की गई. इस बैठक में प्लान बी के तहत सत्ताधारी दलों के द्वारा विशेष परिस्थिति में नेता का नाम चयन करने का सर्वसम्मति से अधिकार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को देने का निर्णय लिया.
हालांकि बैठक के बाद बाहर निकले हेमंत सरकार के मंत्री और विधायकों का मानना था कि मुख्यमंत्री बदलने का सवाल ही नहीं उठता है. गठबंधन एकजुट है और हेमंत सोरेन को 5 साल के लिए विधानसभा में अपना नेता चुना है. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने मीडियाकर्मियों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रति सभी विधायक और मंत्रियों ने विश्वास जताया है. ऐसे में सवाल ही नहीं उठाता है कि चेहरा बदल जाए और प्लान बी तैयार किया जाए. उन्होंने राजभवन जाने और कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाए जाने से इनकार किया है.
कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि भाजपा की चाल को एक बार फिर गठबंधन मजबूती के साथ विफल करने में सफल होगा. पेयजल मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि सरकार कैसे चले और जो मौजूदा स्थिति है उस पर बैठक में चर्चा हुई है. सभी लोगों ने एक स्वर से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रति विश्वास जताया है. विधायक दीपिका पांडे ने कहा कि हर परिस्थिति का सामना करने के लिए गठबंधन तैयार है और सरकार पर किसी तरह का संकट नहीं है. कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने अपने अनोखे अंदाज में कहा कि राम है और रहेंगे राम को कोई हटा नहीं सकता है.
करीब ढाई घंटे तक मुख्यमंत्री आवास पर हुई सत्ताधारी दलों की बैठक में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद के विधायक उपस्थित थे. हालांकि सीता सोरेन, बसंत सोरेन, रामदास सोरेन, लोबिन हेंब्रम सहित कई विधायक बैठक से अनुपस्थित दिखे. इन विधायकों की अनुपस्थिति के बारे में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं. इन सब के बीच सब की निगाहें 31 जनवरी को ईडी की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ होने वाली पूछताछ पर टिकी है. जमीन घोटाला मामले में फंसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इडी के दसवे समन का जवाब देते हुए 31 जनवरी दोपहर 1 बजे पूछताछ के लिए हाजिर होने की इच्छा जताई है.
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