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दुर्गा पूजा के दौरान अनोखा मूर्ति विसर्जन, पूजा समिति कर रही स्वच्छ भारत की परिकल्पना को साकार

हजारीबाग में मूर्ति विसर्जन के दौरान स्वच्छ भारत का संदेश दिया गया. पूजा समिति द्वारा अनोखे तरीके से मूर्ति विसर्जन किया गया.

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 3 hours ago

Durga Puja 2024
मूर्ति विसर्जन (Etv Bharat)

रांची: देशभर में स्वच्छ भारत अभियान को लेकर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. आम लोगों को जागरूक किया जा रहा है. स्वच्छ भारत का सबसे सुंदर उदाहरण हजारीबाग की दुर्गा पूजा ने पेश किया. हजारीबाग के बंगाली दुर्गा मंडप में बड़ी भव्यता के साथ दुर्गा पूजा की जाती है. भक्त 9 दिनों तक मां के दरबार में पहुंचकर अपनी हाजिरी लगाते हैं. फिर अनोखे तरीके से मूर्ति का विसर्जन करते हैं.

हजारीबाग बंगाली दुर्गा स्थान में मूर्ति विसर्जन की विधि बेहद खास है. मंडप प्रांगण में कृत्रिम जलाशय बनाकर मूर्ति का विसर्जन किया गया. मूर्ति विसर्जन के पीछे मुख्य उद्देश्य स्वच्छ भारत की परिकल्पना है. पूजा समिति के सदस्यों का कहना है कि छठ तालाब में मूर्ति का विसर्जन किया जाता है, वहां साफ-सफाई नहीं होती है. इस कारण मां को विदाई देते समय अच्छा नहीं लगता.

अनोखा मूर्ति विसर्जन (Etv Bharat)

सदस्यों का कहना है कि मूर्ति निर्माण में रंग के साथ कई वस्तुओं का उपयोग किया जाता है. इसलिए स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए मां की प्रतिमा को कृत्रिम तालाब में विसर्जित किया गया. बाद में प्रतिमा की मिट्टी को पेड़ों की जड़ों में डाल दिया जाता है. जिससे पेड़ों को भी खाद के रूप में मिट्टी मिल जाती है. प्रांगण परिसर में प्रतिमा विसर्जित करने के पीछे समिति के लोगों का भावनात्मक लगाव भी है. उनका मानना ​​है कि उन्हें ऐसा लगता है जैसे मां पूरे साल मंडप में उनके साथ रहती हैं.

रांची: देशभर में स्वच्छ भारत अभियान को लेकर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. आम लोगों को जागरूक किया जा रहा है. स्वच्छ भारत का सबसे सुंदर उदाहरण हजारीबाग की दुर्गा पूजा ने पेश किया. हजारीबाग के बंगाली दुर्गा मंडप में बड़ी भव्यता के साथ दुर्गा पूजा की जाती है. भक्त 9 दिनों तक मां के दरबार में पहुंचकर अपनी हाजिरी लगाते हैं. फिर अनोखे तरीके से मूर्ति का विसर्जन करते हैं.

हजारीबाग बंगाली दुर्गा स्थान में मूर्ति विसर्जन की विधि बेहद खास है. मंडप प्रांगण में कृत्रिम जलाशय बनाकर मूर्ति का विसर्जन किया गया. मूर्ति विसर्जन के पीछे मुख्य उद्देश्य स्वच्छ भारत की परिकल्पना है. पूजा समिति के सदस्यों का कहना है कि छठ तालाब में मूर्ति का विसर्जन किया जाता है, वहां साफ-सफाई नहीं होती है. इस कारण मां को विदाई देते समय अच्छा नहीं लगता.

अनोखा मूर्ति विसर्जन (Etv Bharat)

सदस्यों का कहना है कि मूर्ति निर्माण में रंग के साथ कई वस्तुओं का उपयोग किया जाता है. इसलिए स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए मां की प्रतिमा को कृत्रिम तालाब में विसर्जित किया गया. बाद में प्रतिमा की मिट्टी को पेड़ों की जड़ों में डाल दिया जाता है. जिससे पेड़ों को भी खाद के रूप में मिट्टी मिल जाती है. प्रांगण परिसर में प्रतिमा विसर्जित करने के पीछे समिति के लोगों का भावनात्मक लगाव भी है. उनका मानना ​​है कि उन्हें ऐसा लगता है जैसे मां पूरे साल मंडप में उनके साथ रहती हैं.

हजारीबाग दुर्गा बाड़ी पूरे देश में यह संदेश दे रही है कि स्वच्छता के प्रति सभी को जागरूक होना होगा और नई सोच लानी होगी. तभी स्वच्छ भारत का सपना पूरा होगा.

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