बेतियाः बिहार में पिछले कई दिनों से लगातार कई इलाकों में बारिश हो रही है. जिस वजह से न केवल नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है, बल्कि कई ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात भी बन गए हैं. उधर, नेपाल में भी बारिश के कारण वाल्मीकिनगर गंडक बराज से शनिवार को पानी छोड़ा गया था, जिस वजह से दियारा क्षेत्रों में जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया. इन सबके बीच नौतन प्रखंड में सोमवार को कुछ बच्चे जान जोखिम में डालकर नाव से स्कूल जा रहे थे. उनका गांव टापू में तब्दील हो गया है.
अब चार महीने तक नाव से ही जा सकेंगे स्कूलः नौतन प्रखंड के विम्भरपुर गांव के बच्चे अब चार महीने तक नाव से ही स्कूल आएंगे और जाएंगे. क्योंकि गांव के बाहर स्कूल है. स्कूल जाने के लिए नाव ही सहारा है. स्कूली बच्चों का कहना है कि चार महीनों तक जान जोखिम में डाल स्कूल जाना होता है. जिस दिन नाव मिलता है उस दिन स्कूल जाते हैं, नहीं तो स्कूल नहीं जा पाते हैं. स्कूल नहीं जाने पर पढ़ाई का नुकसान होता है, साथ ही शिक्षकों की डांट भी सुननी पड़ती है.
जान जोखिम में डालकर स्कूल जातेः नौतन प्रखंड के भगवानपुर पंचायत के कई गांव हर साल बाढ़ की चपेट में आकर टापू में तब्दील हो जाते हैं. यह स्थिति ग्रामीणों के लिए बेहद कष्टदायक है, हर साल इन ग्रामीणों को ऐसे ही बाढ़ का दंश झेलना पड़ता है. लेकिन प्रशासन ने आज तक इसका स्थायी समाधान नहीं निकाला है. बच्चों को अपनी जान जोखिम में डालकर नाव से स्कूल जाना पड़ता है, जिससे उन्हें हर वक्त डर बना रहता है कि कहीं नाव पलट न जाए.
स्थायी समाधान चाहते हैं लोगः प्रशासन की इस लापरवाही और बच्चों की परेशानियों को नजरअंदाज करना, ग्रामीणों के लिए असहनीय हो चुका है. स्कूली बच्चे और उनके परिवार वाले सड़क और पुल की मांग कर रहे हैं ताकि वे सुरक्षित तरीके से स्कूल जा सकें. इन बच्चों की सुरक्षा की चिंता करते हुए, स्थानीय लोगों ने सरकार और जिला प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है. उनका कहना है कि बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए स्थायी समाधान की आवश्यकता है ताकि हर साल होने वाले इस संकट से राहत मिल सके.
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