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ढगवार में मिल्क प्लांट की आधारशिला रखेंगे मुख्यमंत्री, 225 करोड़ आएगी लागत - MILK PROCESSING PLANT DHAGWAR

सीएम सुक्खू ढगवार में मिल्क प्लांट की आधारशिला रखेंगे. इस संयत्र के बनने से पशुपालकों की आय बढ़ेगी.

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 22, 2025, 7:42 PM IST

धर्मशाला: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू गुरुवार को धर्मशाला के ढगवार में 225 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाले अत्याधुनिक मिल्क प्लांट की आधारशिला रखेंगे. हिमाचल प्रदेश सरकार ढगवार में 1.5 लाख लीटर प्रतिदिन (एलएलपीडी) की प्रारंभिक क्षमता वाला एक स्वचालित दूध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित कर रही है, जिसे 3 लाख लीटर प्रतिदिन (एलएलपीडी) तक बढ़ाया जा सकता है.

उपायुक्त कांगड़ा हेमराज बैरवा ने बताया कि, 'ढगवार में बनने जा रहे मिल्क प्लांट से दूध उत्पादकों और पशु पालकों को लाभ मिलेगा. इस संयंत्र के लिए दूध की खरीद प्रमुखतः चार जिलों कांगड़ा, ऊना, चंबा और हमीरपुर पर केंद्रित होगी, जिससे लगभग आधा हिमाचल प्रत्यक्ष रूप से लाभांवित होगा. दूध के संग्रहण के लिए जिला कांगड़ा सहित अन्य जिलों में भी सहकारी समितियों के गठन पर जोर दिया जा रहा है. इस पहल से आजीविका के नए अवसर पैदा होने के साथ-साथ डेयरी फार्मिंग की लाभप्रदता में सुधार होगा और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान मिलेगा. इस प्लांट के बनने से स्थानीय डेयरी किसानों के बीच व्यापक भागीदारी और समावेशिता सुनिश्चित होगी.'

यह उतपाद होंगे निर्मित

उपायुक्त कांगड़ा ने कहा कि, 'यह अत्याधुनिक इकाई दूध, टोंड दूध, डबल टोंड दूध, फ्लेवर्ड, दहीं, पनीर, लस्सी, खोया और मोजेरेला चीज सहित मूल्यवर्धित डेयरी उत्पादों का उत्पादन करेगी. ढगवार स्थित दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र के स्तरोन्नयन से इन क्षेत्रों में दूध की खरीद, प्रसंस्करण और विपणन प्रणाली सुदृढ़ होगी.'

ग्रामीण अर्थव्यवस्था होगी मजबूत

उपायुक्त हेमराज बैरवा कहते हैं कि, 'दूध उत्पादन के व्यवसाय को लाभप्रद बनाने के लिए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 'हिम गंगा' योजना की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य राज्य में दूध आधारित अर्थव्यवस्था विकसित करना है. इस संयंत्र का उद्देश्य हिमाचल प्रदेश के पशुपालकों को उनके दूध के लिए एक विश्वसनीय बाजार प्रदान करके सीधे लाभ पहुंचाना है. उच्च गुणवत्ता वाले डेयरी उत्पादों के उत्पादन के माध्यम से दूध के मूल्य को बढ़ाकर, यह संयंत्र पशुपालकों की आय को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी.'

ये भी पढ़ें: "निजी भूमि से अपने इस्तेमाल के लिए काट सकते हैं पेड़, सिर्फ बेचने पर प्रतिबंध"

धर्मशाला: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू गुरुवार को धर्मशाला के ढगवार में 225 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाले अत्याधुनिक मिल्क प्लांट की आधारशिला रखेंगे. हिमाचल प्रदेश सरकार ढगवार में 1.5 लाख लीटर प्रतिदिन (एलएलपीडी) की प्रारंभिक क्षमता वाला एक स्वचालित दूध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित कर रही है, जिसे 3 लाख लीटर प्रतिदिन (एलएलपीडी) तक बढ़ाया जा सकता है.

उपायुक्त कांगड़ा हेमराज बैरवा ने बताया कि, 'ढगवार में बनने जा रहे मिल्क प्लांट से दूध उत्पादकों और पशु पालकों को लाभ मिलेगा. इस संयंत्र के लिए दूध की खरीद प्रमुखतः चार जिलों कांगड़ा, ऊना, चंबा और हमीरपुर पर केंद्रित होगी, जिससे लगभग आधा हिमाचल प्रत्यक्ष रूप से लाभांवित होगा. दूध के संग्रहण के लिए जिला कांगड़ा सहित अन्य जिलों में भी सहकारी समितियों के गठन पर जोर दिया जा रहा है. इस पहल से आजीविका के नए अवसर पैदा होने के साथ-साथ डेयरी फार्मिंग की लाभप्रदता में सुधार होगा और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान मिलेगा. इस प्लांट के बनने से स्थानीय डेयरी किसानों के बीच व्यापक भागीदारी और समावेशिता सुनिश्चित होगी.'

यह उतपाद होंगे निर्मित

उपायुक्त कांगड़ा ने कहा कि, 'यह अत्याधुनिक इकाई दूध, टोंड दूध, डबल टोंड दूध, फ्लेवर्ड, दहीं, पनीर, लस्सी, खोया और मोजेरेला चीज सहित मूल्यवर्धित डेयरी उत्पादों का उत्पादन करेगी. ढगवार स्थित दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र के स्तरोन्नयन से इन क्षेत्रों में दूध की खरीद, प्रसंस्करण और विपणन प्रणाली सुदृढ़ होगी.'

ग्रामीण अर्थव्यवस्था होगी मजबूत

उपायुक्त हेमराज बैरवा कहते हैं कि, 'दूध उत्पादन के व्यवसाय को लाभप्रद बनाने के लिए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 'हिम गंगा' योजना की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य राज्य में दूध आधारित अर्थव्यवस्था विकसित करना है. इस संयंत्र का उद्देश्य हिमाचल प्रदेश के पशुपालकों को उनके दूध के लिए एक विश्वसनीय बाजार प्रदान करके सीधे लाभ पहुंचाना है. उच्च गुणवत्ता वाले डेयरी उत्पादों के उत्पादन के माध्यम से दूध के मूल्य को बढ़ाकर, यह संयंत्र पशुपालकों की आय को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी.'

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